UPSC टॉपर पूरवा चौधरी OBC विवाद में फंसीं, प्रमाण पत्र की जांच शुरू

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UPSC टॉपर पूरवा चौधरी OBC प्रमाण पत्र विवाद में, जांच के आदेश

UPSC टॉपर पूरवा चौधरी OBC प्रमाण पत्र विवाद में, जांच के आदेश

नई दिल्ली। UPSC परीक्षा 2024 में शीर्ष स्थान हासिल कर देशभर में सुर्खियां बटोरने वाली पूरवा चौधरी इन दिनों एक नए विवाद में घिर गई हैं। जहां एक ओर लोग उनकी खूबसूरती और प्रेरणादायक सफलता की तारीफ कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके OBC नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कई लोग उनके जाति प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं।

OBC प्रमाण पत्र को लेकर विवाद

पूरवा चौधरी ने UPSC परीक्षा OBC नॉन-क्रीमी लेयर कोटे में दी थी। लेकिन अब कुछ यूजर्स और एक्टिविस्ट्स ने दावा किया है कि उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और इंस्टाग्राम पर दिख रही लाइफस्टाइल इस श्रेणी की शर्तों के अनुरूप नहीं है। उनका आरोप है कि पूरवा के परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपये से अधिक हो सकती है, जो OBC नॉन-क्रीमी लेयर के मानकों के विपरीत है।

जांच के आदेश, UPSC की पारदर्शिता पर सवाल

इस मामले ने न केवल पूरवा की व्यक्तिगत छवि पर असर डाला है, बल्कि UPSC चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी बहस छेड़ दी है। कई लोगों का कहना है कि यदि प्रमाण पत्र में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो यह न केवल अन्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा, बल्कि देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी आंच आएगी।

वहीं, पूरवा के समर्थक इस पूरे विवाद को एक “सुनियोजित साजिश” बता रहे हैं। उनका कहना है कि एक सफल महिला को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है ताकि उसकी मेहनत और उपलब्धि को कलंकित किया जा सके।

प्रशासनिक कार्रवाई शुरू

विवाद को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने इस मामले की प्रारंभिक जांच के आदेश दे दिए हैं। वाणिज्य और सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी प्रमाण पत्र की वैधता की जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट जल्द ही पेश की जाएगी।

पूरवा की प्रतिक्रिया

फिलहाल पूरवा चौधरी ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, पहले दिए गए अपने इंटरव्यूज़ में उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय कठिन परिश्रम, अनुशासन और परिवार के समर्थन को दिया था।

पूरवा चौधरी OBC विवाद से जुड़ा यह मामला न केवल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि यह प्रशासन और UPSC के लिए भी एक अहम चुनौती है। जांच रिपोर्ट से ही यह साफ हो पाएगा कि विवाद में कितनी सच्चाई है और पूरवा की सफलता कितनी पारदर्शी है।

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