UNESCO Tentative List 2025: भारत के 7 नए प्राकृतिक स्थल शामिल, कुल संख्या 69 हुई
UNESCO Tentative List 2025: भारत के सात धरोहर स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची (Tentative List ) को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा प्रस्तावित एवं शामिल किया गया है, जिससे भारत की कुल संख्या बढ़कर 69 हो गई है। जिसमें 49 सांस्कृतिक, 17 प्राकृतिक और 3 मिश्रित संपत्तियां शामिल है। हाल ही में, मराठा सैन्य परिदृश्य को 44वां तथा असम के चराईदेव के मोइदम को 43वां स्थल के रूप में शामिल किया गया था।
नए शामिल स्थल
- डेक्कन ट्रैप्स, पंचगनी और महाबलेश्वर, महाराष्ट्र
- सेंट मैरी आइलैंड क्लस्टर की भूवैज्ञानिक धरोहर, कर्नाटक
- मेघालयन युग की गुफाएं, मेघालय
- नागा हिल्स ओफियोलाइट, नागालैंड
- एरा मट्टी डिब्बालु (लाल रेत की पहाड़ियां) आंध्र प्रदेश।
- तिरुमला पहाड़ियों की प्राकृतिक धरोहर, आंध्र प्रदेश
- वर्कला क्लिफ्स, केरल
यूनेस्को अस्थायी सूची
- यह उन स्थलों की सूची है जिन्हें कोई देश विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने हेतु नामित करना तथा विश्व धरोहर नामांकन की दिशा में पहला कदम है।
- जिसमें देश अपनी विशिष्ट वैश्विक महत्व की सांस्कृतिक या प्राकृतिक स्थलों की पहचान करते है तथा नामांकन से कम-से-कम एक वर्ष पहले उन्हें यूनेस्को को प्रस्तुत कर देते है।
- विश्व धरोहर सूची में नामांकन से पहले यह अनिवार्य शर्त होती है कि यूनेस्को, किसी भी स्थल को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने से पहले उसे अस्थायी सूची में रखना अनिवार्य होता है।
- इसका प्रबंधन विश्व धरोहर अभिसमय (1972) के अंतर्गत किया जाता है, इससे यह सुनिश्चित होता है कि उस स्थल का मूल्यांकन, संरक्षण और प्रबंधन योजना वैश्विक मानकों के अनुरूप हो।
- भारत में इसका नोडल मंत्रालय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) है, जिसके द्वारा इसका संचालन होता है।
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के बारे में
19वीं शताब्दी में स्थापित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जो संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत, एक वैधानिक निकाय तथा भारत सरकार की एक पुरातात्विक एजेंसी है। यह देश का राष्ट्रीय शासी निकाय है जो राष्ट्र की राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, सुरक्षा और परिरक्षण के दायित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और 3,600 से अधिक संरक्षित स्मारकों के संरक्षण करने के लिए की गयी थी।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को 1871 में एक अलग विभाग के रूप में पुनर्जीवित किया गया जिसे पश्चात् कनिंघम को इसका पहला महानिदेशक नियुक्त किया गया।
- ब्रिटिश सेना के इंजीनियर तथा पुरातत्वविद अलेक्जेंडर कनिंघम को प्राचीन स्मारकों के व्यवस्थित दस्तावेजीकरण और संरक्षण के लिए उन्हें अक्सर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का जनक कहा जाता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है। इसके संगठन कई मंडलों और केंद्रों के रूप में संचालित होते है।
- इसके प्रमुख कार्यों में पुरातत्वीय अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातत्वीय स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित संस्मारकों का संरक्षण तथा रखरखाव आदि शामिल है।
- यह संगठन विभिन्न मंडलों और शाखाओ के माध्यम से कार्य करता है, जिसमें से प्रत्येक विशिष्ट क्षेत्रों और कार्यो के लिए जिम्मेदार है। वर्त्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 37 मंडल और उसके मुख्यालय है ।
यूनेस्को विश्व विरासत स्थल उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य के स्थल है जिन्हें भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षा और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका है। यह देश की अपनी समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके साथ ही भारत की नई प्रविष्टियाँ न केवल पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक धरोहर के महत्व को रेखांकित करती है, बल्कि सतत पर्यटन विकास को भी प्रोत्साहित करेंगी।
