UAPA क्या है? जानिए भारत के इस सख्त आतंकवाद विरोधी कानून की पूरी जानकारी

UAPA कानून: देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में सबसे कड़ा कानून
भारत में आतंकी गतिविधियों और देशद्रोही प्रयासों को रोकने के लिए कई सख्त कानून बनाए गए हैं, जिनमें सबसे चर्चित नाम है – UAPA यानी Unlawful Activities (Prevention) Act। यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में सरकार और जांच एजेंसियों को विशेष शक्तियां देता है। लेकिन हाल के वर्षों में इस कानून का उपयोग और दुरुपयोग दोनों चर्चा का विषय बन गए हैं।
UAPA क्या है?
UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act) एक केंद्रीय कानून है, जिसे 1967 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य है – भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को खतरे में डालने वाली “गैर-कानूनी गतिविधियों” को रोकना।
UAPA की प्रमुख विशेषताएं:
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“गैर-कानूनी गतिविधियों” की परिभाषा:
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ऐसा कोई भी कार्य जो भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती दे।
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भारत की एकता को कमजोर करने की कोशिश करे।
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राष्ट्र-विरोधी विचारों को बढ़ावा दे।
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आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियां:
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2004 में UAPA में संशोधन कर आतंकवादी गतिविधियों को भी इसके दायरे में लाया गया।
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अब यह कानून आतंकवादी संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी “आतंकी” घोषित करने की अनुमति देता है।
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गिरफ्तारी और हिरासत:
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UAPA के अंतर्गत आरोपी को बिना चार्जशीट के 180 दिनों तक जेल में रखा जा सकता है।
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गिरफ्तारी के लिए पुलिस को सामान्य न्यायिक प्रक्रिया से छूट मिलती है।
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बेल (जमानत) की प्रक्रिया:
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UAPA के अंतर्गत बेल पाना बहुत कठिन होता है।
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कोर्ट को पहले यह आश्वस्त होना होता है कि आरोपी प्रथम दृष्टया दोषी नहीं है।
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महत्वपूर्ण संशोधन:
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2004 संशोधन:
आतंकवादी गतिविधियों को कानून में शामिल किया गया। -
2008 संशोधन:
26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद जांच एजेंसी NIA (National Investigation Agency) का गठन किया गया और इसे UAPA के तहत विशेष अधिकार दिए गए। -
2012 संशोधन:
आतंकी फंडिंग को भी UAPA के तहत अपराध माना गया। -
2019 संशोधन (सबसे विवादास्पद):
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सरकार को अब व्यक्तिगत व्यक्ति को भी बिना किसी संगठन से जुड़े होने पर आतंकी घोषित करने का अधिकार मिला।
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इस संशोधन की काफी आलोचना हुई क्योंकि इससे स्वतंत्रता का हनन और मानवाधिकार उल्लंघन की आशंका जताई गई।
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UAPA के अंतर्गत कितने मामले दर्ज होते हैं?
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NCRB (National Crime Records Bureau) के अनुसार, 2015 से 2020 के बीच 7000 से अधिक लोगों को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया।
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इनमें से बहुत कम लोगों को दोषी ठहराया गया, जिससे UAPA के दुरुपयोग की बहस और तेज हो गई।
UAPA की आलोचना क्यों होती है?
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बेल की कठिन प्रक्रिया:
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लंबे समय तक जेल में रहना पड़ता है, भले ही कोई दोष सिद्ध न हो।
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राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप:
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सरकारों पर आरोप लगता है कि वे अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए UAPA का इस्तेमाल करती हैं।
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मानवाधिकार उल्लंघन:
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कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन UAPA को अमानवीय और कठोर बताते हैं।
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सरकार की सफाई:
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सरकार का कहना है कि यह कानून राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
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भारत जैसे देश, जहां आतंकी खतरे लगातार बने रहते हैं, वहां कठोर कानून समय की मांग है।
हाल ही के चर्चित मामले:
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भीमा कोरेगांव हिंसा
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दिल्ली दंगे (2020)
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कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों से जुड़े कई केस
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पत्रकार और एक्टिविस्ट्स की गिरफ्तारी
इन मामलों में UAPA के तहत गिरफ्तारियां हुईं, जिससे इसे लेकर राजनीति और मीडिया में बड़ा विवाद खड़ा हुआ।
UAPA भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़ माना जा सकता है, लेकिन इसका न्यायसंगत और विवेकपूर्ण उपयोग बेहद जरूरी है। इस कानून की पारदर्शिता और न्यायिक निगरानी सुनिश्चित की जाए तो यह आतंकी और देश विरोधी तत्वों पर लगाम कस सकता है। लेकिन यदि इसका राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल होता रहा, तो यह लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए खतरा बन सकता है।