सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत, पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं। इस महीने का हर सोमवार “सावन सोमवार” के नाम से जाना जाता है, और इसे शिव भक्ति का सबसे उत्तम अवसर माना जाता है।
सावन के इस पवित्र समय में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा या जानकारी का विशेष महत्व होता है। ये ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और हर एक का अपना पौराणिक महत्व है।
आइए जानते हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग कहां-कहां हैं, उनका महत्व और उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं।
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – गुजरात
सोमनाथ भारत का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह गिर सोमनाथ, गुजरात में स्थित है। मान्यता है कि चंद्रमा ने यहां शिव की तपस्या कर श्राप से मुक्ति पाई थी। सोमनाथ मंदिर को कई बार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ा गया, लेकिन हर बार यह और अधिक भव्यता के साथ बना।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – आंध्र प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम में स्थित है और इसे कैलाश का दक्षिण द्वार कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार शिवजी और पार्वती माता ने यहां कार्तिकेय की मनुहार के लिए निवास किया था। यह शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंग का संयुक्त स्थान है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – उज्जैन, मध्य प्रदेश
उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग दक्षिणमुखी है, जो इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाता है। यह शिवजी का “काल” रूप है, जो भक्तों को हर प्रकार के संकट से मुक्त करता है। यहां भस्म आरती बहुत प्रसिद्ध है।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – मध्य प्रदेश
नर्मदा नदी के बीचों-बीच मंडाता द्वीप पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग ॐ आकार का है। यह शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। यहां शिव और विष्णु के भक्तों के बीच हुए विवाद के बाद शिवजी प्रकट हुए थे।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – उत्तराखंड
हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ मंदिर तक पहुंचना कठिन जरूर है, लेकिन आस्था यहां हर बाधा पार करवा देती है। मान्यता है कि महाभारत के बाद पांडवों ने शिव की कृपा पाने के लिए यहां तपस्या की थी।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
भीमाशंकर मंदिर पुणे के पास सह्याद्रि पर्वत में स्थित है। यह मंदिर भीमा राक्षस के वध के बाद शिव द्वारा प्रकट होने के कारण प्रसिद्ध है। यहां की शांति और प्रकृति की सुंदरता भक्तों को आकर्षित करती है।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – वाराणसी, उत्तर प्रदेश
वाराणसी को भगवान शिव की नगरी माना जाता है और काशी विश्वनाथ मंदिर शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि जो यहां मृत्यु को प्राप्त करता है, वह मोक्ष पाता है। यह मंदिर गंगा के पास स्थित है।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – नासिक, महाराष्ट्र
त्र्यंबकेश्वर में गोदावरी नदी का उद्गम है। यहां भगवान शिव तीन मुखों में विराजमान हैं – ब्रह्मा, विष्णु और महेश। यह मंदिर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – देवघर, झारखंड
वैद्यनाथ धाम को बाबा बैद्यनाथ के नाम से भी जाना जाता है। यहां रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। सावन में यहां लाखों कांवड़िये जल चढ़ाने आते हैं।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – द्वारका, गुजरात
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका और ओखा के बीच स्थित है। यह शिवलिंग अत्यंत विशाल और प्रभावशाली है। मान्यता है कि शिवजी ने यहां दारुका राक्षस का वध किया था।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग – तमिलनाडु
यह मंदिर रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। मान्यता है कि राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले यहां शिव की पूजा की थी। यह भी एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो चार धाम में शामिल है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
यह 12वां और अंतिम ज्योतिर्लिंग है, जो एलोरा की गुफाओं के पास स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक महिला भक्त घृष्णा की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने यहां प्रकट होकर ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया।
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इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन क्यों हैं खास?
- प्रत्येक ज्योतिर्लिंग एक अलग ऊर्जा केंद्र है।
- इन स्थलों पर पूजा करने से पापों का नाश होता है।
- जीवन में सुख-शांति, मोक्ष और शिव कृपा की प्राप्ति होती है।
- सावन में विशेष पूजा और रुद्राभिषेक का फल कई गुना अधिक होता है।
कैसे करें ज्योतिर्लिंगों की घर बैठे पूजा?
अगर आप यात्रा नहीं कर पा रहे हैं, तो सावन में घर पर भगवान शिव की पूजा करते समय 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम स्मरण करें। साथ ही यह मंत्र पढ़ सकते हैं:
“सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम्॥
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम्।
वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे॥
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥”
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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उर्जा से परिपूर्ण तीर्थ हैं। सावन में इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पूजन या स्मरण मात्र से ही शिव की कृपा प्राप्त होती है।
अगर आप भी सावन में शिवभक्ति में लीन हैं, तो इन ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानना और इनका ध्यान करना आपके लिए पुण्य और शांति का मार्ग बन सकता है।