शिवलिंग, भगवान शिव का प्रतीक रूप है, जिसकी पूजा से भक्तों को मोक्ष, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। जानिए शिवलिंग के कितने प्रकार होते हैं और कौन-से शिवलिंग की पूजा का क्या महत्व है।
शिवलिंग के प्रमुख प्रकार
धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार 12 से अधिक प्रकार के शिवलिंग होते हैं, लेकिन पूजन की दृष्टि से मुख्यतः 6 प्रकार के शिवलिंग अधिक प्रसिद्ध और पूज्य माने जाते हैं:
1. स्वयंभू लिंग (Swayambhu Lingam)
- ये शिवलिंग प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं, जैसे कि पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुए हों।
- इनकी पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इन्हें शिव ने स्वयं प्रकट किया माना जाता है।
- उदाहरण: अमरनाथ शिवलिंग (बर्फ से स्वयं बनता है)
2. बाण लिंग (Banalinga)
- यह नर्मदा नदी से प्राप्त होता है और पूरी तरह चिकना और गोल होता है।
- इसकी पूजा से शांति, संतान सुख और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
3. परद शिवलिंग (Parad Lingam)
- पारे (रसराज) से बना होता है, जिसे बहुत शक्तिशाली माना जाता है।
- इसे घर में स्थापित करना कठिन होता है, लेकिन इसकी पूजा से तांत्रिक बाधाएं और दुर्भाग्य दूर होते हैं।
4. स्फटिक लिंग (Sphatik Lingam)
- यह पारदर्शी क्रिस्टल से बना होता है।
- इसकी पूजा से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
5. धातु लिंग (Metal Lingam)
- यह तांबा, पीतल, चांदी या सोने जैसी धातुओं से बना होता है।
- सामान्य घरेलू पूजा में इसका उपयोग किया जाता है।
6. गंध लिंग (Gandha Lingam)
- चंदन, केसर या अन्य सुगंधित पदार्थों से बनाया गया होता है।
- विशेष अवसरों या त्योहारों पर इसका निर्माण और पूजन किया जाता है।
किस शिवलिंग की पूजा क्यों करें?
शिवलिंग का प्रकार | पूजा का लाभ |
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स्वयंभू लिंग | मोक्ष, पापों का नाश |
बाण लिंग | पारिवारिक सुख, संतान प्राप्ति |
परद लिंग | धन-संपत्ति, तांत्रिक रक्षा |
स्फटिक लिंग | मानसिक शांति, लक्ष्मी कृपा |
धातु लिंग | सामान्य पूजा, सुख-समृद्धि |
गंध लिंग | विशेष पर्वों पर सौंदर्य और शुभता |
विशेष जानकारी:
- घर में कौन-सा शिवलिंग रखें? स्फटिक लिंग और बाण लिंग घर में रखना शुभ और आसान होता है।
- परद शिवलिंग को विशेष विधि और नियमों से स्थापित किया जाता है, इसलिए बिना जानकार सलाह के घर में न रखें।
सावन में इन बातों का रखें ध्यान
- घर में स्फटिक या बाण लिंग की स्थापना करें।
- प्रतिदिन जल, बेलपत्र, दूध और भस्म से अभिषेक करें।
- सोमवार व्रत के साथ शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- इस बार के शुक्रवार आरंभ वाले सावन में शुक्र और चंद्र के विशेष योग से शिव-लक्ष्मी कृपा एकसाथ मानी जा रही है।