नेपाल में ‘राजा आउनुपर्छ’ की गूंज: क्या है गोरखनाथ की भविष्यवाणी और Gen Z का आंदोलन

काठमांडू/नेपाल: नेपाल एक बार फिर एक बड़े राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है। प्रधानमंत्री केपी ओली के इस्तीफे के बाद राजधानी काठमांडू से लेकर देश के अन्य हिस्सों तक Gen Z युवाओं के उग्र प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया है। सड़कों पर जलते टायर, सोशल मीडिया पर उठते हैशटैग और हर तरफ गूंजता एक नारा — “राजा आउनुपर्छ” (राजा वापस आना चाहिए) — यह सब मिलकर नेपाल की राजनीति को हिला कर रख चुके हैं।
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र में है एक पुरानी आध्यात्मिक भविष्यवाणी — गुरु गोरखनाथ की भविष्यवाणी, जिसे लोग आज के हालातों से जोड़कर देख रहे हैं।
दो दिन की आग: ओली सरकार गिरी, संसद और PM हाउस तक प्रदर्शन
सोमवार से शुरू हुआ यह विरोध सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं रहा। संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और यहां तक कि ओली के निजी आवास पर भी प्रदर्शन हुए।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे Facebook, Instagram, WhatsApp) को बैन करके उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की, लेकिन इसका उल्टा असर हुआ — सरकार गिर गई।
Gen Z का गुस्सा क्यों फूटा?
नेपाल के युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, और राजनीतिक अस्थिरता ने इस उबाल को जन्म दिया।
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वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में युवा बेरोजगारी दर 20% तक पहुंच चुकी है।
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हर दिन 2,000 से ज्यादा युवा विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं।
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और पिछले 17 वर्षों में 13 बार सरकारें बदल चुकी हैं।
इस निराशा और आक्रोश ने TikTok, X (Twitter), और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स को जनांदोलन का हथियार बना दिया है।
गुरु गोरखनाथ की भविष्यवाणी फिर चर्चा में
नेपाल के गोरखनाथ मठ से जुड़ी एक पुरानी मान्यता के अनुसार, राजा पृथ्वीनारायण शाह को गोरखनाथ बाबा ने आशीर्वाद दिया था कि उनके वंश का शासन ग्यारह पीढ़ियों तक चलेगा।
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2001 में हुए राजमहल हत्याकांड में राजा दीपेंद्र को आधिकारिक तौर पर राजा घोषित किया गया था, हालांकि वे कोमा में थे।
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2008 में राजशाही का अंत हुआ और नेपाल गणराज्य बना।
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कुछ लोग मानते हैं कि यह भविष्यवाणी पूरी हो चुकी है, लेकिन कुछ लोगों का दावा है कि दीपेंद्र को “पूर्ण राजा” नहीं माना जा सकता, इसलिए 11वीं पीढ़ी अब भी आनी बाकी है।
अब जब सड़कों पर “राजा आउनुपर्छ” के नारे गूंज रहे हैं, तो इस भविष्यवाणी पर बहस एक बार फिर से गर्म हो गई है।
कहां है नेपाल का राज परिवार?
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह फिलहाल सार्वजनिक जीवन से दूर हैं।
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वे काठमांडू के निर्मल निवास या नागर्जुन हिल्स स्थित हेमंताबास में रहते हैं।
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मार्च और मई में वे कुछ धार्मिक समारोहों में शामिल होते हैं, जहां हजारों समर्थक आज भी उनके स्वागत में जुटते हैं।
उनकी बहू हिमानी शाह और पोते हृदयेन्द्र भी हाल में सार्वजनिक तौर पर सामने आए हैं।
हालांकि अब तक ज्ञानेंद्र शाह ने राजनीति में वापसी की औपचारिक इच्छा प्रकट नहीं की है।
नेपाल का अगला कदम क्या होगा?
प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल राजनीतिक शून्यता की स्थिति में है।
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मुख्यधारा की पार्टियां अब भी गणराज्य के पक्ष में हैं और राजशाही की वापसी को नकारती हैं।
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लेकिन सड़कों पर युवा कुछ और कह रहे हैं।
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सोशल मीडिया से शुरू हुआ आंदोलन अब नेतृत्व की मांग कर रहा है, और यदि मौजूदा पार्टियां इसे नजरअंदाज करती हैं, तो यह लहर और तेज हो सकती है।
नेपाल में हो रहे इस बदलाव को सिर्फ राजनीतिक संकट कहना गलत होगा — यह सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक असंतोष का विस्फोट है।
गुरु गोरखनाथ की भविष्यवाणी, Gen Z का असंतोष और “राजा आउनुपर्छ” का नारा — तीनों मिलकर बता रहे हैं कि नेपाल एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है।
क्या इतिहास खुद को दोहराएगा?
क्या गोरखनाथ की गूंज फिर से सिंहासन की ओर इशारा कर रही है?
यह समय बताएगा…