भारत में साइबर सुरक्षा अलर्ट: बैंकों को एंटी-DDoS और फायरवॉल सुरक्षा लागू करने के निर्देश

भारत में साइबर सुरक्षा अलर्ट: बैंकों को एंटी-DDoS और फायरवॉल सुरक्षा लागू करने के निर्देश
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते साइबर खतरे के बीच, भारत सरकार ने देश की डिजिटल सुरक्षा को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। हाल ही में आयोजित बैठक में वित्त मंत्री ने प्रमुख बैंकों को अपने डिजिटल ढांचे को फायरवॉल और एंटी-DDoS सिस्टम से मजबूत करने के निर्देश दिए। यह पहल तब सामने आई जब कई बैंकों ने बड़े पैमाने पर संभावित डिस्ट्रिब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस (DDoS) हमलों की आशंका जताई।
प्रमुख बड़े बैंकों ने वित्त मंत्री को बड़े पैमाने पर साइबर हमलों से बचाव के लिए एंटी-DDoS सिस्टम लागू करने की जानकारी दी।
DDoS सिस्टम के बारे में:
डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस (DDoS) अटैक एक साइबर अटैक है,जिसमें दुर्भावनापूर्ण ट्रैफिक किसी नेटवर्क या वेबसाइट पर अत्यधिक भार डाल देता है, जिससे कार्य बाधित होता है।
DDoS अटैक, डेनियल ऑफ सर्विस (Dos) हमलों का बड़े पैमाने का संस्करण हैं जो लक्ष्य को अधिभारित करने के लिए एकल स्रोत के बजाय कई समझौता किये गए सिस्टम (बॉटनेट) का उपयोग करते हैं।
DDoS हमलों का प्राथमिक उद्देश्य लक्षित सिस्टम, सेवा या नेटवर्क पर अत्यधिक ट्रैफ़िक लाकर उसे निष्किय करना होता है।
- वैल्यू-बेस्ड अटैक : उच्च ट्रैफिक के साथ नेटवर्क बैंडविड्थ को ओवरलोड करना
- प्रोटोकॉल आधारित: नेटवर्क प्रोटोकॉल की कमजोरियों का फायदा उठाता है।
- वॉल्यूमेट्रिक: अत्यधिक डेटा भेज कर बैंडविड्थ को जाम कर देता है।
- एप्लिकेशन लेयर अटैक: संसाधनों को खत्म करने के लिए वेब सर्वर जैसे ऐप को लक्षित करता है।
एंटी-DDoS सिस्टम के बारे में
एंटी-DDoS सिस्टम सुरक्षा उपाय है जो दुर्भावनापूर्ण ट्रैफिक की पहचान करके और उसे कम करके इन हमलों से बचाने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
ये सिस्टम DDoS हमलों को रोकने के लिए दर सीमित करने,ट्रैफ़िक फिल्टरिंग और नेटवर्क आधारित सुरक्षा सहित विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर सकते है।
- हार्डवेयर-आधरित एंटी-DDoS: ये भौतिक उपकरण है जो नेटवर्क स्तर पर सुरक्षा प्रदान करते है, तथा लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही दुर्भावनापूर्ण ट्रैफ़िक को फ़िल्टर कर देते है।
- सॉफ्टवेयर-आधरित एंटी-DDoS: ये सॉफ्टवेयर समाधान है जिन्हें DDoS हमलों की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिए सर्वर या क्लाउड पर तैनात किया जा सकता है।
DDoS हमला कैसे करता है?
- बॉटनेट निर्माण: मैलवेयर से संक्रमित उपकरण हैकर्स द्वारा नियंत्रित किये जाते है।
- ट्रैफिक वृद्धि: ये बॉट्स लक्ष्य पर भारी मात्रा में ट्रैफिक भेजते हैं, जिससे सिस्टम धीमा या बंद हो जाता है।
प्रभाव:
DDoS अटैक सेवाओं को बाधित करते हैं, राजस्व को प्रभावित करते हैं, तथा साइबर सुरक्षा कमजोरियों को उजागर करते है, जिससे संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है।
बचाव के उपाय
- फायरवॉल, IDS और रेट लिमिटिंग का प्रयोग करना।
- लोड बैलेंसर के माध्यम से ट्रैफिक का संतुलन बनाए रखना।
- नेटवर्क ट्रैफिक की निगरानी करना ताकि किसी असामान्य गतिविधि का समय रहते पता चल सके।
- ट्रैफिक फ़िल्टरिंग,दर सीमा,सिक्योरिटी ऑडिट,घटना प्रतिक्रिया योजना,बहु-कारक प्रमाणीकरण और बॉट डिटेक्शन (कैप्चा,व्यवहार विश्लेषण) द्वारा DDoS अटैक के विरुद्ध सुरक्षा में सुधार किया गया है।
DDoS हमले आधुनिक युग की सबसे चुनौतीपूर्ण साइबर सुरक्षा समस्याओं में से एक हैं, जो न केवल तकनीकी अवरोध पैदा करते हैं बल्कि संस्थानों की प्रतिष्ठा और आर्थिक स्थिरता को भी खतरे में डालते हैं। भारत सरकार द्वारा बैंकों और वित्तीय संस्थानों को फायरवॉल, एंटी-DDoS सिस्टम और अन्य उन्नत साइबर सुरक्षा उपायों को अपनाने के निर्देश एक सतर्क, समयोचित और रणनीतिक कदम है।
इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि भारत डिजिटल बुनियादी ढांचे को साइबर खतरों से सुरक्षित रखने के लिए गंभीर और प्रतिबद्ध है।
बैंकों को न केवल तकनीकी निवेश करना होगा, बल्कि कर्मचारियों को साइबर साक्षरता से भी लैस करना होगा, ताकि वे इन खतरों को समय रहते पहचानकर उनका प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकें।
डिजिटल विकास के साथ-साथ सुरक्षा भी अनिवार्य है — यही साइबर युग की सबसे बड़ी सीख है।