भारत की ऐतिहासिक महिलाएं: जिन्होंने अपने पहले कदम से रच दिया इतिहास
भारत की पहली महिला पदाधिकारी: जिन्होंने इतिहास रच दिया
भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में महिलाओं की भूमिका हमेशा प्रेरणादायक रही है। कई क्षेत्रों में महिलाओं ने पहली बार नेतृत्व संभालकर इतिहास रचा और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम की। यहां हम बात कर रहे हैं उन भारतीय महिलाओं की, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में पहली बार कोई बड़ा पद संभालकर “पहली महिला” का गौरव प्राप्त किया। आइए जानते हैं इनके बारे में…
राजनीति और संवैधानिक पदों पर पहली महिलाएं
1. श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल : पहली महिला राष्ट्रपति (2007-2012)
श्रीमती प्रतिभा पाटिल 2007 में भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। उनका कार्यकाल 2007 से 2012 तक रहा। इससे पहले वे राजस्थान की राज्यपाल भी रह चुकी थीं। भारत की 12वीं राष्ट्रपति और पहली महिला जिन्हें इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने का गौरव प्राप्त हुआ।
2. द्रौपदी मुर्मू : पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति (2022-वर्तमान)
2022 में द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनीं, लेकिन वे पहली आदिवासी महिला हैं जिन्हें यह सर्वोच्च पद मिला। वे ओडिशा से आती हैं और झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं मुर्मू ने सामाजिक और शैक्षिक विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य किया।
3. सरोजिनी नायडू – पहली महिला राज्यपाल (उत्तर प्रदेश, 1947)
स्वतंत्रता सेनानी और कवयित्री सरोजिनी नायडू 1947 में उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भी पहली महिला अध्यक्ष थीं। ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता सेनानी भी थीं।
4. सुचेता कृपलानी – पहली महिला मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश, 1963-67)
सुचेता कृपलानी 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, जो किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। वे गांधीजी की सहयोगी भी थीं। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली सुचेता कृपलानी एक कुशल प्रशासक भी थीं।
5. इंदिरा गांधी – पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री (1966-77, 1980-84)
इंदिरा गांधी 1966 में भारत की प्रधानमंत्री बनीं और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक मानी जाती हैं। भारत की ‘आयरन लेडी’ ने भारत की विदेश नीति और आंतरिक राजनीति को मजबूत दिशा दी।
6. मीरा कुमार – पहली महिला लोकसभा स्पीकर (2009-2014)
2009 में मीरा कुमार भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनीं। वे एक वरिष्ठ राजनयिक और पांच बार सांसद रह चुकी हैं। आईएफएस अधिकारी रह चुकी मीरा कुमार ने संसदीय मर्यादा और गरिमा को बनाए रखा।
7. वी.एस. रामादेवी – भारत की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त (1990)
वी.एस. रमादेवी 1990 में भारत की पहली महिला मुख्य चुनाव आयुक्त बनीं। वे कर्नाटक की राज्यपाल भी रहीं। वह भारत की इकलौती ऐसी महिला हैं जिन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त और राज्यपाल दोनों पदों पर कार्य किया।
8. रोज़ मिलियन बाथ्यू – पहली महिला UPSC चेयरपर्सन (1972)
रोज मिलियन बथेम 1972 में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। उन्होंने भारतीय सिविल सेवा की चयन प्रक्रिया में गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया।
9. डॉ. एनी बेसेंट – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष (1917)
1917 में डॉ. एनी बेसेंट इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थीं और थियोसोफिकल सोसायटी से जुड़ी थीं। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने वाली पहली विदेशी महिला।
10. राजकुमारी अमृत कौर – पहली महिला कैबिनेट मंत्री (स्वास्थ्य मंत्री, 1947-57)
स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में शामिल होकर अमृत कौर ने इतिहास रचा। वे महिला शिक्षा और स्वास्थ्य की प्रबल पक्षधर थीं। उन्होंने एम्स जैसी संस्थाओं की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
11. शन्नो देवी – राज्य विधानसभा की पहली महिला स्पीकर (हरियाणा विधानसभा, 1966)
शन्नो देवी 1962 में हरियाणा विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं, जो भारत की किसी राज्य विधानसभा की पहली महिला स्पीकर थीं। विधानसभा संचालन में उनकी भूमिका मार्गदर्शक रही।
12. स्नेहलता श्रीवास्तव – लोकसभा की पहली महिला महासचिव (2017)
साल 2017 में स्नेहलता श्रीवास्तव लोकसभा सचिवालय की पहली महिला महासचिव बनीं। उन्होंने संसद प्रशासन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने संसद के संचालन को अधिक प्रभावशाली और व्यवस्थित बनाने में योगदान दिया।
13. वायलेट हरि अल्वा – राज्यसभा की पहली महिला उपसभापति (1962)
वॉयलेट अल्वा 1962 में राज्यसभा की डिप्टी चेयरपर्सन बनीं। वे भारतीय राजनीति में महिला भागीदारी की मजबूत प्रतीक थीं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर संसद में मजबूती से आवाज उठाई।
14. राधाबाई सुब्बारायण – पहली महिला सांसद (नॉमिनेटेड)
राधाबाई सुब्बारायण 1937 में ब्रिटिश भारत की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली की पहली महिला सदस्य बनीं। हालाँकि, राधाबाई 1938 में एक सामान्य निर्वाचन क्षेत्र से राज्य परिषद के लिए निर्विरोध चुनी गईं और राज्य परिषद की पहली महिला सदस्य बनीं। न्होंने मद्रास (अब तमिलनाडु) से लोकसभा में जीत दर्ज की।
न्याय और प्रशासन में पहली महिलाएं
1. न्यायमूर्ति फातिमा बीबी – पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (1989)
एम. फातिमा बीवी 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश बनीं। बाद में वे तमिलनाडु की राज्यपाल भी बनीं। भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी का प्रतीक बनीं।
2. लीला सेठ – जिला न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश (हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, 1991)
लीला सेठ 1991 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बनीं। वे भारत की पहली महिला थीं जिन्होंने यह पद संभाला। इन्हें 2000 में बना इंडियन पीनल कोड रिव्यू कमेटी की सदस्य भी बनाया गया।
3. अन्ना चांडी – पहली महिला डिस्ट्रिक्ट और फिर हाई कोर्ट जज (1937, 1959)
अन्ना चांडी 1937 में जिला जज बनीं और बाद में केरल हाई कोर्ट की पहली महिला जज बनीं। वे भारत की पहली महिला न्यायाधीश थीं। इन्हें 2000 में बना इंडियन पीनल कोड रिव्यू कमेटी की सदस्य भी बनाया गया। केरल की यह जज महिलाओं के अधिकारों की पुरजोर समर्थक थीं।
प्रशासनिक सेवाओं में पहली महिलाएं
1. एना जॉर्ज मल्होत्रा – पहली महिला आईएएस अधिकारी (1951 बैच)
1951 में एना जॉर्ज मल्होत्रा भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होने वाली पहली महिला बनीं। उन्होंने केंद्र और तमिलनाडु सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने कई मंत्रालयों में उच्च पदों पर कार्य किया और प्रधानमंत्री कार्यालय में भी रहीं।
2. किरण बेदी – पहली महिला आईपीएस अधिकारी (1972 बैच)
1972 में किरण बेदी पहली महिला IPS अधिकारी बनीं। उन्होंने कई सुधारात्मक कार्य किए और तिहाड़ जेल की अधीक्षक के रूप में खासी प्रसिद्धि पाई।
3. चोनिरा बेलियप्पा मुथम्मा – पहली महिला भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी (1948 बैच)
1948 में, मुथम्मा ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुईं। मुथम्मा को भारतीय विदेश सेवा में लैंगिक समानता के लिए भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए समान अवसरों के लिए लड़ाई लड़ी थी। मुथम्मा भारत की पहली महिला राजनयिक भी बनीं।
इतिहास की पहली महिला शासक
रज़िया सुल्तान – भारत की पहली मुस्लिम महिला शासक (दिल्ली सल्तनत, 1236-40)
दिल्ली सल्तनत की पहली और इकलौती महिला शासक रज़िया सुल्तान थीं, जिन्होंने 1236 से 1240 तक शासन किया। मर्दों के वर्चस्व वाले समाज में शासन संभालने वाली एकमात्र महिला थीं।
इन महिलाओं ने इतिहास की दिशा और दशा बदल दी। ये केवल ‘पहली’ नहीं थीं, बल्कि ‘प्रेरणा’ हैं – आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मार्गदर्शक। इन्होंने यह साबित किया कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी क्षेत्र महिलाओं के लिए बंद नहीं है और यह साबित किया कि अवसर और संकल्प से कोई भी ऊंचाई पाई जा सकती है। इनकी कहानियां न केवल प्रेरणा देती हैं, बल्कि एक सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में महिलाओं की भूमिका को भी रेखांकित करती हैं।
