Adi Vani App Launch: आदिवासी भाषाओं के संरक्षण और अनुवाद के लिए भारत का पहला AI प्लेटफॉर्म

0
Adi Vani App Launch

Adi Vani App Launch: जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने “आदि वाणी” ऐप का बीटा संस्करण जनजातीय गौरव वर्ष समारोह के उपलक्ष्य के रूप में जनजातीय भाषाओं के लिए भारत के पहले एआई- संचालित अनुवाद मंच के रूप में लॉन्च किया है। यह पहल न केवल संकटग्रस्त जनजातीय बोलियों के संरक्षण के लिए अहम है, बल्कि शिक्षा, सुशासन और सेवाओं तक समावेशी डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करने में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

आदि वाणी बीटा संस्करण लॉन्च:

  • आदि वाणी ऐप जनजातीय भाषाओं के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)- संचालित अनुवाद उपकरण है।
  • यह जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आईआईटी दिल्ली, बिट्स पिलानी और आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी नवा रायपुर, मेघालय तथा झारखंड के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • यह प्लेटफार्म भाषाओं का दस्तावेजीकरण, अनुवाद और शिक्षण को संभव बनाकर भाषाई क्षरण को रोकने का डिजिटल मंच प्रदान करता है।
  • इसका बीटा संस्करण एक वेब पोर्टल के माध्यम से प्ले स्टोर और मोबाइल ऐप पर उपलब्ध है।

उद्देश्य

  1. इसका मुख्य उद्देश्य  डिजिटल समावेशन और सुगम्यता को बढ़ावा देते हुए 22 से अधिक भारतीय भाषाओं में अनुवाद प्रदान करना।
  2. जनजातीय भाषाओं के लिए एक वृहद भाषा मॉडल के विकास में सहायता करना।
  3. ये विविधता, समानता और सहभागी शासन जैसे संवैधानिक मूल्यों को सशक्त करते हुए हाशिये पर खड़े समुदायों की आवाज को मुख्यधारा में लाना इसका प्रमुख उद्देश्य है।
  4. यह दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।

मुख्य विशेषताएँ

  • भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता जनजातीय अनुवादक: जनजातीय गौरव वर्ष के अंतर्गत विकसित करना।
  • विरासत को संरक्षित करने के लिए लोककथाओं और मौखिक परंपराओं का डिजिटलीकरण करना।
  • प्रौद्योगिकी और समुदाय: भाषा संरक्षण के लिए सामुदायिक प्रयासों के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का संयोजन।
  • छात्रों और प्रारंभिक शिक्षार्थियों के लिए इंटरैक्टिव भाषा सीखने के मॉडयूल विकसित करना।
  • हिंदी, अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच वास्तविक समय पाठ और भाषण अनुवाद करने के साथ ही ये निम्न भाषाओं का भी समर्थन करता है जैसे- संथाली (ओडिशा ), भील (मध्य प्रदेश), मुंडारी (झारखंड), गोंडी (छत्तीसगढ़) आदि।

अन्य आगामी भाषाएँ कुई और गारो अगले चरण में होगी।

महत्व

भाषाई संकट

भारत में 461 जनजातीय भाषाएँ है:

  • UNESCO वर्गीकरण के अनुसार 81 संवेदनशील है और 42 गंभीर रूप से लुप्तप्राय है।
  • डिजिटलीकरण और संरक्षण: संकटग्रस्त जनजातीय भाषाओं के डिजिटलीकरण, संरक्षण और पुनरुद्वार के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग।
  • यह भाषाओं और संस्कृतियों के संरक्षण से सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है।
  • यह पाठ, वीडियो, दस्तावेज, वेब सामग्री और वास्तविक समय भाषण का अनुवाद सक्षम करता है, जिससे बहुभाषी पहुंच तथा समावेशिता सुनिश्चित होती है।
  • यह समावेशी आदिवासी सशक्तिकरण और भाषाई संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
  • अंतराल को पाटना: संचार बाधाओं को दूर करने और सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने में मदद करता है।

आदि वाणी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे आदिवासी भाषाओं, संस्कृति और विरासत को संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किया गया है, जो प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्वदेशी समुदायों को सशक्त बनाता है। यह एक समावेशी , ज्ञान आधारित भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही ये ऐप आदि कर्मयोगी पहल को भी समर्थन देगा, जिसके तहत 20 लाख ग्राम-स्तरीय स्वयंसेवकों और सामुदायिक नेताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *