WHO की वैश्विक महामारी संधि को मिला वैश्विक समर्थन, कोरोना से सबक या राजनीति?

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🌍 WHO Pandemic Treaty सहमति vs संप्रभुता | अगली महामारी से पहले तैयारी?

🌍 WHO Pandemic Treaty सहमति vs संप्रभुता | अगली महामारी से पहले तैयारी?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) : 
दुनिया भर में स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर उठती चिंताओं के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से प्रस्तावित वैश्विक महामारी संधि (Global Pandemic Treaty) को अब व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। इस संधि का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में कोई भी महामारी कोविड-19 जैसी अव्यवस्थित और विनाशकारी स्थिति ना ला सके।

WHO ने इस संधि के माध्यम से सभी सदस्य देशों को एक साझे कानून और जवाबदेही ढांचे में बांधने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें जानकारी साझा करना, टीकों और दवाओं की निष्पक्ष उपलब्धता सुनिश्चित करना, और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना शामिल है।

क्या है वैश्विक महामारी संधि?

इस संधि का मसौदा 2021 से तैयार किया जा रहा है, जब कोविड-19 की दूसरी लहर ने वैश्विक स्तर पर तबाही मचाई थी। इसका मुख्य उद्देश्य है:

  • महामारी की पूर्व चेतावनी और जानकारी साझा करने का एक मजबूत नेटवर्क बनाना।

  • वैज्ञानिक शोध और डेटा को पारदर्शी बनाना।

  • वैक्सीन, दवा और टेस्टिंग किट जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना।

  • महामारी के समय बिना किसी राजनीतिक दबाव के त्वरित निर्णय लेने की व्यवस्था करना।

WHO महानिदेशक का बयान

WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने कहा:

कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि जब तक हर देश सुरक्षित नहीं होगा, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं होगा। यह संधि सभी देशों की साझी सुरक्षा, साझा जवाबदेही और साझा समाधान के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है।

भारत सहित कई देशों का समर्थन, लेकिन कुछ चिंताएं भी

भारत ने संधि के उद्देश्यों का स्वागत करते हुए कहा है कि वह ऐसे किसी भी वैश्विक प्रयास में भागीदार रहेगा जो सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है। हालांकि, भारत समेत कई विकासशील देशों ने यह भी स्पष्ट किया है कि:

  • संधि में राष्ट्रीय संप्रभुता और नीति-निर्माण अधिकार को प्रभावित न किया जाए।

  • ड्रग और वैक्सीन कंपनियों की पारदर्शिता अनिवार्य हो।

  • वैश्विक स्वास्थ्य फंडिंग का असमान वितरण रोका जाए।

क्या यह आम लोगों को राहत देगा?

कोरोना महामारी ने करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बदल दी।
कई परिवारों ने अपनों को खोया, लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं, बच्चों की पढ़ाई छूट गई, और मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा।

दिल्ली निवासी रश्मि सिंह, जिन्होंने कोविड के दौरान अपने पिता को खोया, कहती हैं:

अगर सरकारों के बीच बेहतर समन्वय होता, दवाइयां समय पर मिलतीं, और अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी न होती, तो शायद आज मेरे पापा जिंदा होते। अगर ये संधि वाकई कुछ बदल सकती है, तो इसे ज़रूर आना चाहिए।

क्या यह संधि बाध्यकारी होगी?

संधि का प्रारूप फिलहाल स्वैच्छिक सहयोग और नीतिगत दिशानिर्देश के तौर पर तैयार किया गया है। लेकिन WHO चाहता है कि इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी (Legally Binding Treaty) बनाया जाए, ताकि सभी देश इसे गंभीरता से लागू करें।

क्या यह एक बेहतर भविष्य की शुरुआत है?

WHO की यह पहल एक सकारात्मक संकेत है कि दुनिया कोविड-19 जैसी त्रासदी से सबक ले रही है। हालांकि, यह तभी कारगर होगी जब इसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति, पारदर्शिता और आम लोगों की प्राथमिकताओं को केंद्र में रखा जाएगा

यह सिर्फ एक संधि नहीं, बल्कि एक वादा है — कि अगली बार हम तैयार होंगे।

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