आख़िर क्यों, Mahadevi Rukmini सदैव माथे पर सिंदूर लगाती थीं?

14th  september 2025

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रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी और लक्ष्मी जी का अवतार मानी जाती हैं।  वे आदर्श पतिव्रता नारी का प्रतीक हैं। 

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महादेवी रुक्मिणी कौन थीं?  

सिंदूर भारतीय स्त्रियों के लिए सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का प्रतीक है।  इसे माथे पर लगाने से माँ पार्वती और लक्ष्मी जी का आशीर्वाद मिलता है। 

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सिंदूर का महत्व 

श्रीकृष्ण से विवाह के बाद रुक्मिणी जी ने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सदैव सिंदूर धारण किया। यह उनके अटूट प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक बना। 

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रुक्मिणी और सिंदूर की परंपरा 

मान्यता है कि रुक्मिणी जी कहती थीं: “सिंदूर मेरे सौभाग्य और कृष्ण-प्रेम की निशानी है।”  इस कारण वे कभी इसे त्यागती नहीं थीं। 

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एक धार्मिक मान्यता 

रुक्मिणी जी से हमें सीख मिलती है कि समर्पण, श्रद्धा और आस्था ही रिश्तों को मजबूत बनाते हैं।  सिंदूर सिर्फ श्रृंगार नहीं, बल्कि प्रेम और निष्ठा का प्रतीक है। 

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प्रेरणा आज की नारी के लिए 

महादेवी रुक्मिणी का सिंदूर = कृष्ण भक्ति + सौभाग्य + प्रेम की अनंत गाथा।  यह परंपरा आज भी हिंदू संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। 

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