29TH JULY 2025
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रामेश्वरम्, बारह ज्योतिर्लिंगों में सातवां, शिव और राम के अद्भुत मिलन का प्रतीक है। यह स्थान दर्शाता है कि भगवान भी भगवान को पूजते हैं।
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जहां राम ने शिव की पूजा की, वहीं जन्मी भक्ति की सर्वोच्च परंपरा। रामेश्वरम् – सातवां ज्योतिर्लिंग
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तमिलनाडु के पंबन द्वीप पर स्थित यह मंदिर भारत के दक्षिणी छोरों में से एक पर है। यह चार धामों में भी शामिल है।
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लंका यात्रा से पहले भगवान राम ने शिवलिंग स्थापित कर पूजा की ताकि रावण वध के लिए आशीर्वाद मिल सके। इसी शिवलिंग को ‘रामनाथस्वामी’ कहा गया।
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भारत का सबसे लंबा मंदिर गलियारा (~1200 मीटर), 22 तीर्थ कुंड – हर कुंड का विशेष आध्यात्मिक महत्व, शिव और विष्णु दोनों के भक्तों के लिए पूजनीय
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राम ने दर्शाया कि विनम्रता और भक्ति सबसे बड़ी शक्ति होती है – चाहे आप ईश्वर ही क्यों न हों।
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देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर जीवनमुक्ति की कामना करते हैं, रामसेतु के दर्शन भी यहीं से संभव हैं, एक अनोखा संगम – धर्म, इतिहास और विज्ञान का
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जो अपने से बड़े को नमन करे, वही सच्चा धर्म पथिक कहलाता है।
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