30th August 2025
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क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं को सिर्फ़ "कृष्ण" नहीं, बल्कि "राधा-कृष्ण" कहते थे? जानिए राधा अष्टमी 2025 के अवसर पर इसके पीछे का दिव्य रहस्य और इसका आध्यात्मिक महत्व।
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राधा और कृष्ण का प्रेम संसार का सर्वोच्च आदर्श माना जाता है। उनका संबंध आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है।
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कृष्ण कहते थे: "मैं राधा के बिना अधूरा हूँ।" इसलिए वे स्वयं को "राधा-कृष्ण" कहते थे।
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राधा केवल प्रेमिका नहीं, बल्कि भक्ति की सर्वोच्च मूर्ति हैं। उनके बिना कृष्ण की लीला अधूरी मानी जाती है।
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"राधा नाम" का उच्चारण करने मात्र से ही कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि कृष्ण ने अपने नाम से पहले राधा का नाम जोड़ा।
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आध्यात्मिक संदेश: राधा-कृष्ण का नाम लेना हमें प्रेम, भक्ति और एकता का मार्ग दिखाता है।
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इस राधा अष्टमी पर "राधा-कृष्ण" का नाम जपें और अपने जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद पाएं।
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