गणपति बप्पा के 8 स्वरूप: अष्टविनायक यात्रा का महत्व 

30th  August 2025

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गणपति बप्पा के 8 स्वरूप यानी अष्टविनायक मंदिरों का इतिहास, महत्व और पुण्य जानें। महाराष्ट्र की यह यात्रा क्यों मानी जाती है विशेष। 

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अष्टविनायक यात्रा महाराष्ट्र की सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है। इन 8 गणपति स्वरूपों का दर्शन करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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परिचय 

मोरेश्वर मंदिर, मोरेगाँव (पुणे), अष्टविनायक यात्रा यहीं से शुरू होती है। माना जाता है कि गणपति ने यहाँ सिंधु नामक असुर का वध किया था। 

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मोरेश्वर (मूळ) 

सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक, यहाँ गणपति माँ सिद्धि के साथ विराजमान हैं। भक्तों को ज्ञान और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।

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सिद्धिविनायक (सिद्धि) 

बल्लाळेश्वर मंदिर, पाली, यहाँ गणपति भक्त बल्लाळ की पुकार पर प्रकट हुए थे। यह स्वरूप भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।

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बल्लाळेश्वर (भक्ति) 

वरदविनायक मंदिर, महड, यहाँ गणपति वरदान देने वाले स्वरूप में हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से यहाँ आता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। 

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वरदविनायक (वरदान) 

चिंतामणि मंदिर, थेऊर, यहाँ गणपति ने ऋषि कपिल को चिंतामणि रत्न वापस दिलाया था। यह स्वरूप चिंता मिटाकर ज्ञान देता है।

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चिंतामणि (ज्ञान) 

गिरिजात्मज मंदिर, लेण्याद्री, यह गणपति का बाल रूप है, जो माता पार्वती की गोद में पले। यह स्वरूप मातृत्व और सरलता का प्रतीक है। 

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गिरिजात्मज (मातृत्व) 

विघ्नहर मंदिर, ओझर, यहाँ गणपति ने विघ्नासुर नामक राक्षस का नाश किया। यह स्वरूप सभी बाधाएँ दूर करता है। 

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विघ्नहर (विघ्ननाशक) 

महागणपति मंदिर, रांजणगाँव, यह सबसे शक्तिशाली स्वरूप है। महागणपति साधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

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महागणपति (महाशक्ति)