Aug 26, 2025
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पूजा के दौरान गणपति बप्पा को उनका प्रिय भोग “मोदक” अर्पित करना विशेष महत्व रखता है। बिना मोदक के उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर क्यों मोदक गणपति जी का सबसे पसंदीदा भोग माना जाता है?
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गणेश चतुर्थी हो या गणपति पूजन, भोग में सबसे पहले मोदक चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि गणेशजी को मोदक अत्यंत प्रिय है।
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कथा है कि एक बार देवी पार्वती ने गणेशजी को मोदक खिलाया। उसे खाकर वे इतने प्रसन्न हुए कि बोले – "मोदक ही मेरा सबसे प्रिय भोग होगा।"
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मोदक सुख और ज्ञान का प्रतीक है। बाहर से साधारण और अंदर से मीठा — यह हमें सिखाता है कि जीवन में सादगी रखें और भीतर से मधुर व ज्ञानवान बनें।
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गणेशजी को मोदक अर्पित करने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसी कारण गणेश पूजा बिना मोदक अधूरी मानी जाती है।
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मोदक में नारियल और गुड़ का उपयोग होता है। यह सेहत के लिए लाभकारी है और ऊर्जा देता है, इसलिए इसे प्रसाद में खास जगह मिली है।
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“मोदक” शब्द संस्कृत के “मोदा” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है खुशी और आनंद। यही कारण है कि इसे भगवान गणेश का प्रिय भोग माना जाता है।
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मान्यता है कि जब भक्त बप्पा को श्रद्धा से मोदक अर्पित करते हैं, तो भगवान गणेश उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं और जीवन को खुशियों से भर देते हैं।
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मोदक सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि भक्ति और ज्ञान का प्रतीक है। यही कारण है कि गणेशजी को "मोदकप्रिय" कहा जाता है।
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क्या आपने गणेशोत्सव पर घर पर मोदक बनाया है?