Vice President of India 2025: हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्याग पत्र सौंपा। भारत के अब तक के इतिहास में वी. वी. गिरि और आर. वेंकटरमन के बाद अपना कार्यकाल पूर्ण होने से पहले पद छोड़ने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए है। संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राज्यसभा के उपसभापति सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता कर सकते है। इसी के चलते चुनाव आयोग द्वारा 9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव संपन्न हुआ जिसमें सीपी राधाकृष्णन ने 377 वोटों के बहुमत के आंकड़े को पार कर 152 वोटों से शानदार जीत हासिल कर भारत के नए उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए, जिन्होंने विपक्ष के बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया। तो, आइए जानते हैं उपराष्ट्रपति के चुनाव, संवैधानिक पद, शक्ति और गरिमा के बारे में…
उपराष्ट्रपति से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
भारत के उपराष्ट्रपति का पद अमेरिकी उपराष्ट्रपति के मॉडल पर आधारित है, लेकिन यह अमेरिकी उपराष्ट्रपति के पद से भिन्न है क्योंकि अमेरिका का उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने की स्थिति में अपने पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल की शेष अवधि तक उस पद पर बना रहता है। हालांकि कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के दौरान वह राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य नहीं करता है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 63 यह प्रावधान करता है कि भारत में एक उपराष्ट्रपति होगा, जो राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारी है।
- संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 उपराष्ट्रपति से संबंधित है।
निर्वाचन मंडल एवं मतदान:
- अनुच्छेद 66(1) के तहत, चुनाव एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और गुप्त मतदान द्वारा होता है ।
- यह अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचन मंडल द्वारा निर्वाचित होता है तथा इसके निर्वाचन मंडल में लोकसभा तथा राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य + मनोनीत सदस्य शामिल होते है, लेकिन राज्य विधायिकाओं के सदस्य शामिल नहीं होते है।
- वर्तमान में दोनों सदनों के कुल सदस्यों की संख्या 782 है।
- सभी संसद सदस्यों के मतों का मूल्य एकसमान होता है ।
- अनुच्छेद 324 तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए निर्वाचन आयोग (ईसीआई) चुनाव का संचालन करता है।
पात्रता मानदंड:
- भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो।
- राज्यसभा की सदस्यता के लिए योग्य होना चाहिए।
- राज्य या केंद्र सरकार के तहत किसी भी लाभ का पद धारण नही होना चाहिए।
- संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नही होना चाहिए।
शपथ:
अनुच्छेद 69 के अंतर्गत, उपराष्ट्रपति अपने संवैधानिक पद की शपथ ग्रहण करते है, जो राष्ट्रपति या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा दिलाई जाती है । शपथ में वह संविधान की रक्षा करने एवं अपने पद के कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने की प्रतिज्ञा करते है ।
कार्यकाल, त्याग पात्र और रिक्ति:
- अनुच्छेद 67 के तहत, उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन उत्तराधिकारी के कार्यभार ग्रहण करने तक वे पद पर बने रह सकते है ।
- इसके साथ ही अनुच्छेद 65 के अंतर्गत, यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्याग या हटाए जाने तथा किसी अन्य कारण रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में तब तक कार्य करते है जब तक की नए राष्ट्रपति का चुनाव नही हो जाता ।
- अनुच्छेद 67 (A) के तहत, उपराष्ट्रपति कभी भी राष्ट्रपति को लिखित पत्र देकर पद से त्याग दे सकता है।
- अनुच्छेद 68 के अनुसार, कार्यकाल पूर्ण होने, पद त्याग, मृत्यु तथा आयोग्यता या पद से हटाए जाने पर पद रिक्त होता है तो इसके पश्चात् 6 महीने के भीतर चुनाव अनिवार्य है ।
- राष्ट्रपति की अनुपस्थिति तथा बीमारी के पश्चात उपराष्ट्रपति ही उनके पद पर पूर्ण अधिकारों का निर्वहन करते है, किन्तु कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के दौरान वह राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य नही करता है ।
- संविधान में उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के संबंध में कोई भी उल्लेख नहीं किया गया है ।
- हालांकि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सदस्यों के प्रभावी बहुमत तथा लोकसभा के सदस्यों की सहमति तथा साधारण बहुमत से अनुमोदित करके हटाया जा सकता है ।
- उपराष्ट्रपति को पद से हटाने जाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाता है ।
- इस प्रस्ताव को लाने से पहले उपराष्ट्रपति को 14 दिन पहले लिखित सुचना देना अनिवार्य है, जिसमें पद से हटाने का उद्देश्य स्पष्ट रूप से लिखा हो चाहिए ।
उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ:
- राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष की शक्तियां एवं कार्य लोकसभा अध्यक्ष के समान होती है ।
- अनुच्छेद 64 के तहत राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करते है, तो केवल बराबरी की स्थिति में निर्णायक मत देते है ।
- सभापति विधेयकों, प्रस्तावों और संकल्पों को विस्तृत विचार के लिए संसदीय समितियों को संदर्भित करके एक प्रशासनिक भूमिका निभाता है ।
- उपराष्ट्रपति देश के सर्वोच्च संवैधनिक पद है, इस पद की उतनी ही शक्ति, दायित्व, गरिमा और संवैधानिक प्रावधान है जितने की एक राष्ट्रपति और अन्य किसी भी संविधान में उल्लेखित पद की है ।
एक और नया कदम
Q.1 उपराष्ट्रपति पद का उल्लेख निम्नलिखित किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 66
- अनुच्छेद 63
- अनुच्छेद 64
- अनुच्छेद 67
Q.2 उपराष्ट्रपति का पद किस देश के संविधान से संबंधित है?
- इंग्लैंड
- यूरोप
- अमेरिका
- जापान
Q.3 उपराष्ट्रपति को शपथ कौन दिलाता है?
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- सभापति
- संसद का सदस्य
Q.4 निम्नलिखित युग्मों में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
- उपराष्ट्रपति का पद त्याग – अनुच्छेद 68
- उपराष्ट्रपति का शपथ – अनुच्छेद 69
- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल – अनुच्छेद 67
- उपराष्ट्रपति का चुनाव – अनुच्छेद 324
कमेंट बॉक्स में आपके जबाव का इंतजार रहेगा ……