उत्तरकाशी सैलाब: धराली गांव में बादल फटा, 4 की मौत, 50 से अधिक लापता, रेस्क्यू जारी

नई दिल्ली/उत्तरकाशी। उत्तरकाशी के धराली में खीर गंगा से आए सैलाब ने तबाही मचा दी। गांववालों ने खतरे की आशंका होते ही लोगों को आगाह करने के लिए लगातार सीटियां बजाईं, लेकिन तेज रफ्तार से आए मलबे और पानी के कारण कई लोग अपनी जान नहीं बचा सके। कई लोगों ने अंतिम सांस तक संघर्ष किया, लेकिन मौत के आगोश में समा गए। वहीं, सुरक्षित बचे लोग पहाड़ी पर बैठकर अपने ईष्ट देवताओं से परिजनों की सुरक्षा की प्रार्थना करते रहे।
सीटियों से चेताया, फिर भी नहीं बच पाए कई लोग
जैसे ही खीर गंगा में पानी के साथ मलबे का गुबार उठा, सामने स्थित मुखबा गांव के ग्रामीणों ने खतरे को भांपते हुए धराली के लोगों को चेतावनी देने के लिए सीटियां बजानी शुरू कर दीं। कुछ लोग तो तुरंत घरों और होटलों से निकलकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए, लेकिन कई लोग खतरे को समय पर नहीं समझ पाए और मलबे में दब गए।
घटना की Timeline & निशानदेही
-
आज दोपहर खीर गंगा नदी के आसपास बादल फटने के कारण भारी जलप्रवाह और मलबा धराली बाजार तक पहुंचा।
-
इसने कई होटलों, दुकानें और मकान धराशायी कर दिए और यात्रियों व स्थानीयों को फंसा दिया।
-
स्थानीय मुखबा गांव में बैठे ग्रामीणों ने खतरे को भांपते हुए सीटी बजा कर धरालीवासियों को चेताया, लेकिन प्रतिक्रिया समय से न होने के कारण कई मलबे में दब गए।
जनहानि और लापता व्यक्तियों की जानकारी
-
परिचित सूत्रों ने बताया है कि चार लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं लगभग 50 लोग लापता हैं और मलबे के नीचे फंसे होने का अंदेशा है।
-
कुछ स्थानीय निवासी और बाहरी पर्यटक भी प्रभावित हैं, जिन पर अब भी तलाश अभियान जारी है।
पुलिस और सेना ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन
सैलाब के कारण बाजार में मलबा घुस गया, जिससे कई लोग होटलों और बगीचों में फंस गए। सूचना मिलते ही हर्षिल पुलिस और सेना की टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाला गया। हालांकि देर शाम तक खीर गंगा के दूसरी ओर से लगातार मलबा आने के कारण आवासीय क्षेत्रों में खतरा बना रहा।
बचाव कार्य क्या हो रहा है?
-
राज्य सरकार ने SDRF, NDRF, भारतीय सेना, ITBP और पुलिस को राहत एवं बचाव अभियानों में लगाया हुआ है।
-
सेना की Ibex ब्रिगेड, ITBP और SDRF टीमों ने लगभग 130 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाला, अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
-
हाई कमान ने 150+ अधिकारी एवं जवानों के साथ गहरी खोज अभियान चलाया, जिसमें sniffer dogs और भारी मशीनरी का इस्तेमाल हो रहा है।
राहत और हेल्पलाइन
-
प्रशासन ने 9456556431 हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, ताकि प्रभावित परिवार सहायता प्राप्त कर सकें।
-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए प्रभावितों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
चेतावनी और बारिश का अलर्ट
-
भारतीय मौसम विभाग ने 10 अगस्त तक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे नए मलबा आने और बादलों के फटने की सम्भावना बढ़ गई है।
-
अधिकारियों ने ग्रामीणों और पर्यटकों से नदी किनारे सुरक्षित दूरी बनाये रखने की सलाह दी है।
बार-बार बढ़ रहा खीर गंगा का जलस्तर
खीर गंगा का जलस्तर पहले भी कई बार बढ़ चुका है और इससे बाजार व आसपास के इलाकों में नुकसान हुआ है। इस इलाके में नदी का जलग्रहण क्षेत्र कम है और ढाल तेज होने के कारण पानी तेजी से नीचे आता है। मंगलवार को बादल फटने के बाद पानी और मलबा इतनी तेजी से धराली बाजार तक पहुंचा कि लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला।
क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता
-
धराली — गंगोत्री मार्ग पर स्थित इलाका है जहाँ जलग्रहण क्षेत्र संकुचित और ढाल तेज होती है, जिससे मलबा तेजी से बहता है।
-
साइंटिस्ट्स का मानना है कि लगातार निर्माण और ग्लेशियर पिघलने के कारण प्राकृतिक जोखिम लगातार बढ़ता जा रहा है।
पहले भी हुई है तबाही
यह कोई पहला मौका नहीं है जब खीर गंगा का जलस्तर बढ़ने से नुकसान हुआ हो।
-
2023: जलस्तर बढ़ने से कई दिनों तक गंगोत्री हाईवे बंद रहा और दुकानों व होटलों को भारी नुकसान हुआ।
-
2017-18: नदी का जलस्तर बढ़ने से मलबा होटलों, दुकानों और कई घरों में घुस गया था। हालांकि उस समय जनहानि नहीं हुई थी, लेकिन लोगों को आपदा से उबरने में एक साल लग गया था।
धार्मिक स्थल गंगोत्री धाम के मार्ग पर आने वाले पर्यटन स्थल धराली में यह आपदा फिर चेतावनी देती है कि हर दो-तीन वर्ष में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्कता अभेद्य होनी चाहिए। भविष्य में प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा पूर्वाभ्यास, दीवार निर्माण और रियल-टाइम सतर्कता नीतियों को तत्काल अपनाने की जरूरत है।
सुरक्षा के इंतजाम अब भी नाकाफी
स्थानीय लोग और प्रशासन कई बार की तबाही के बाद भी पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं कर पाए हैं। वर्ष 2023 में कुछ सुरक्षात्मक कार्य जरूर किए गए थे, लेकिन नदी का स्पैन कम होने के कारण आपदा को रोका नहीं जा सका।