यूक्रेन का ‘स्पाइडर वेब’ ऑपरेशन: कैसे रूसी बॉम्बर्स को बनाया गया शिकार

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यूक्रेन का 'स्पाइडर वेब' ऑपरेशन: कैसे रूसी बॉम्बर्स को चुपचाप किया गया ध्वस्त?

यूक्रेन का 'स्पाइडर वेब' ऑपरेशन: कैसे रूसी बॉम्बर्स को चुपचाप किया गया ध्वस्त?

रूस-यूक्रेन : रूस-यूक्रेन युद्ध अब पारंपरिक जंग से आगे बढ़कर हाईटेक और रणनीतिक ऑपरेशनों की जंग बन चुका है। हाल ही में यूक्रेन ने “स्पाइडर वेब” नामक एक ऑपरेशन के तहत रूस के अत्याधुनिक बॉम्बर्स को निशाना बनाकर दुनियाभर में खुफिया विशेषज्ञों और सैन्य रणनीतिकारों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आइए जानते हैं कि यह ऑपरेशन क्या था, कैसे अंजाम दिया गया और इसका युद्ध पर क्या असर पड़ा।

‘स्पाइडर वेब’ ऑपरेशन क्या है?

“स्पाइडर वेब” (Spider Web) यूक्रेन की सैन्य खुफिया एजेंसी GUR का एक कोडनेम मिशन है। इस ऑपरेशन के तहत यूक्रेनी सेना ने रूस के अंदर 4,000 किलोमीटर दूर तक FPV (First Person View) ड्रोन भेजे। ये ड्रोन सिर्फ उड़ नहीं रहे थे, बल्कि बेहद सटीक तरीके से रूसी एयरबेस के भीतर जाकर बमबारी कर रहे थे।

FPV ड्रोन: युद्ध का नया चेहरा

FPV ड्रोन बेहद हल्के, तेज़ और सस्ते होते हैं। इन्हें रियल-टाइम कैमरा से कंट्रोल किया जाता है, जिससे ऑपरेटर को ऐसा लगता है जैसे वह खुद ड्रोन के अंदर बैठा हो। इस ऑपरेशन में यूक्रेन ने इन ड्रोनों को रूस के सैन्य एयरबेस तक चुपचाप पहुंचाया — वो भी ट्रकों से, ताकि रडार या सैटेलाइट इनकी लोकेशन ट्रैक न कर सकें।

प्रमुख टारगेट:

  • एंगेल्स एयरबेस (Engels Airbase): यह रूस का स्ट्रैटेजिक बॉम्बर बेस है, जहां Tu-95 और Tu-160 जैसे न्यूक्लियर-कैपेबल बॉम्बर्स तैनात हैं।

  • शायद पहली बार इतनी गहराई तक यूक्रेन ने किसी ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

रूसी डिफेंस सिस्टम क्यों फेल हो गया?

  1. लो-फ्लाइंग टेक्नोलॉजी: FPV ड्रोन बहुत नीचे उड़ते हैं, जिससे वे पारंपरिक एयर डिफेंस सिस्टम जैसे S-400 या Pantsir को चकमा दे देते हैं।

  2. GPS Spoofing और Jamming बेअसर: रूसी सेना GPS स्पूफिंग से ड्रोन को दिशा से भटकाने की कोशिश करती है, लेकिन यूक्रेन ने इस ऑपरेशन में एडवांस्ड इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम का उपयोग किया।

  3. साइबर मास्किंग: ड्रोनों की सिग्नलिंग को विशेष कोडिंग के जरिए छिपाया गया था, जिससे उन्हें इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्ट नहीं किया जा सका।

ऑपरेशन का असर

  • रूस के बॉम्बर्स को ग्राउंडेड करना पड़ा।

  • Tu-95 बॉम्बर को नुकसान पहुंचा, जिससे रूस की लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक क्षमता प्रभावित हुई।

  • रूसी जनता और मीडिया में असुरक्षा का माहौल पैदा हुआ।

  • युद्ध के संतुलन में बदलाव का संकेत मिला।

एक्सपर्ट्स की राय

अमेरिकी और यूरोपीय रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, यह ऑपरेशन इस बात का संकेत है कि यूक्रेन अब सिर्फ रक्षा नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह रूसी सेना के लिए एक “Wake-up Call” है कि उनकी गहराई में भी कोई सुरक्षित नहीं है।

“स्पाइडर वेब” ऑपरेशन सिर्फ एक ड्रोन अटैक नहीं, बल्कि सैन्य रणनीति, तकनीकी चातुर्य और साहस का प्रतीक है। यह साबित करता है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि दिमाग और इनोवेशन से भी लड़े जाते हैं। यूक्रेन ने एक बार फिर दिखा दिया है कि कम संसाधनों के बावजूद भी, अगर रणनीति सटीक हो — तो ताकतवर दुश्मन भी असहाय हो सकता है।

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