Tiwa Langkhon Festival: तिवा समुदाय ने भव्यता से मनाया लंगखोन त्योहार
Tiwa Langkhon Festival: असम के कार्बी आंगलोंग जिले के उमसोवाई गांव में तिवा समुदाय ने लंगखोन त्योहार बड़े ही उत्साह और भव्यता के साथ मनाया। चार दिनों तक चलने वाला यह वार्षिक फसल उत्सव तिवा जनजाति की आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। इस दौरान बांस की पूजा की जाती है, जिसे उर्वरता और प्रकृति के साथ सामंजस्य का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, यह त्योहार सामुदायिक एकता, संगीत, नृत्य और देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा का अनूठा संगम है।
उत्सव के बारे में:
- तिवा जनजाति का एक वार्षिक फसल उत्सव है, जो उत्सव चार दिनों तक चलता है।
- इस उत्सव में लोग खरीफ तथा आगामी रबी फसल के मौसम में अच्छी फसल के लिए कामना करते है।
- इसमें चार दिनों तक बांस की पूजा की जाती है, जिसमें वहां के देवी एवं देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है।
- बांस उर्वरता, लचीलापन और प्रकृति के साथ सामंजस्य का प्रतीक है।
सांस्कृतिक महत्व:
- तिवा लंगखोन उत्सव का एक सांस्कृतिक महत्व है जिसमें समुदाय अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते है।
- इसमें रामसा देवता और अन्य देवताओं को अर्पित की जाने वाली आनुष्ठानिक भेंट के तौर पर मनाया जाता है।
- यह उर्वरता, लचीलापन और प्रकृति के साथ सामंजस्य का प्रतीक है।
- इसमें संगीत और नृत्य सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी एक उत्सव का हिस्सा है।
- धान की फसलों को कीटों से बचाने के लिए प्रार्थना करना अपने आप में एक एक आस्था और धार्मिक परंपरा को प्रदर्शित करता है।
- यह अच्छी फसल और सामुदायिक कल्याण के लिए कृतज्ञता का प्रतीक है।
तिवा जनजाति क्या है ?
- भारत में तिवा जनजाति पूर्वोत्तर क्षेत्र के अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा राज्य में पाई जाती है।
- तिवा जनजाति को लालुंग भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें असम में एक अनुसूचित जनजाति के रूप में जाना जाता है। साथ ही इसका संबंध इंडो-चीनी मंगोलॉयड नस्लीय समूह से है।
- तिवा जनजाति में मात्रसत्तात्मक समाज है जहाँ एक लड़का किसी लड़की से शादी करने के लिए उसके पास जाता है इस व्यवस्था को कोबिया लिवा कहा जाता है।
- ये लोग झूम या स्थानांतरित कृषि करते है, तथा सूअर उनके आहार और संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा है।
- तिवा जनजाति के लोगों में त्यौहार संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जैसे कि- बिहू, बोरोट उत्सव, सोगरा पूजा, जोनबिल मेला, कबला, लेंगखोन पूजा, और यांगली पूजा आदि।
लंगखोन त्योहार असम के साथ-साथ कई पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है, यह तिवा समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक सामाजिक और धार्मिक उत्सव है। जनजाति द्वारा भरपूर फसल के साथ-साथ कीटों और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा के लिए भगवान के प्रति आस्था और विश्वास प्रकट करते है।
एक और नया कदम
Q.1 तिवा जनजाति का संबंध निम्नलिखित में से किस समूह से संबंधित है?
- तिब्बती
- मंगोलिया
- इंडो-तिब्बती
- इंडो-चीनी मंगोलॉयड
Q.2 जनजातियों द्वारा उत्सव में किसकी पूजा की जाती है?
- गन्ना
- चावल
- बांस
- गेंहू
Q.3 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- तिवा बिहू
- वांचुवा
- जोनबिल मेला
- बोरोट उत्सव
Q.4 तिवा जनजाति के द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा त्यौहार नहीं मनाया जाता है?
- केवल 1
- केवल 2
- केवल 3
- केवल 4
- कोई भी नहीं
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