बिहार : बिहार की राजनीति के सबसे चर्चित परिवार, लालू प्रसाद यादव के परिवार में इन दिनों एक के बाद एक संकट गहराता जा रहा है। जहां एक ओर कानूनी मामलों का शिकंजा कसता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर तेज प्रताप यादव की निजी जिंदगी ने पूरे परिवार को एक नया राजनीतिक और पारिवारिक चक्रव्यूह में फंसा दिया है।
तेज प्रताप यादव की प्रेम कहानी और वैवाहिक विवाद ने ना सिर्फ परिवार के भीतर तनाव पैदा किया है, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की राजनीतिक स्थिरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
कानूनी शिकंजा और पारिवारिक विवाद साथ-साथ:
लालू प्रसाद यादव पहले ही चारा घोटाले में दोषी ठहराए जा चुके हैं और फिलहाल बेल पर हैं। साथ ही, रेलवे टेंडर घोटाला मामले में ईडी और सीबीआई की जांच में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और मीसा भारती शामिल हैं।
इन कानूनी चुनौतियों के बीच, तेज प्रताप यादव की पहली पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक का मामला पहले से ही अदालत में लंबित है। ऐश्वर्या ने तेज प्रताप, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं।
परिवार से दूरी, पार्टी से बेदखली?
अब इस विवाद ने और बड़ा मोड़ तब ले लिया जब सूत्रों के हवाले से खबर आई कि लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बेदखल कर दिया है। यह फैसला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि तेज प्रताप राजनीतिक रूप से सक्रिय और महत्वाकांक्षी रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप अब न तो परिवारिक अपमान सहेंगे और न ही राजनीतिक चुप्पी साधेंगे, जिससे यह विवाद और अधिक तूल पकड़ सकता है।
तेजस्वी यादव पर बढ़ा दबाव:
तेजस्वी यादव पहले से ही विपक्ष के निशाने पर हैं। एक ओर उन्हें कानूनी मामलों का सामना करना पड़ रहा है, दूसरी ओर तेज प्रताप के साथ पारिवारिक तनाव ने उनकी सियासी स्थिति को अस्थिर कर दिया है।
राजनीतिक विपक्ष लगातार इस आंतरिक कलह को मुद्दा बना रहा है और यह पूछ रहा है कि जो परिवार अपना घर नहीं संभाल सकता, वह राज्य कैसे संभालेगा?
लालू परिवार आज जिस दौर से गुजर रहा है, वह सिर्फ कानूनी या पारिवारिक संकट नहीं बल्कि राजनीतिक अस्थिरता का संकेत भी है।
अब यह देखना होगा कि तेज प्रताप यादव इस बेदखली पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या यह परिवार को और ज्यादा तोड़ने वाला साबित होगा या कोई सुलह की कोशिश होगी।