शिक्षक दिवस 2025 : सरकारी स्कूल की टीचर ने किया ऐसा कमाल कि मिला नेशनल अवॉर्ड, जानें पूरी कहानी

0
Teacher’s Day 2025

शिक्षक दिवस 2025 : कहते हैं अगर जज्बा और मेहनत हो, तो किसी भी मुश्किल को जीत में बदला जा सकता है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की सरकारी स्कूल की शिक्षिका डॉ. प्रज्ञा सिंह ने यह साबित कर दिखाया है। उन्होंने अपनी मेहनत और अनोखे तरीकों से बच्चों को गणित का डर दूर कर दिया और उन्हें सीखने का नया मजेदार तरीका दिया। यही वजह है कि डॉ. प्रज्ञा सिंह को नेशनल टीचर्स अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया जा रहा है।

बचपन से था टीचर बनने का सपना

डॉ. प्रज्ञा सिंह का सपना हमेशा से टीचर बनने का था। छोटी उम्र में ही वह आसपास के बच्चों को पढ़ाया करती थीं। लेकिन 1997 में शादी के बाद उनकी पढ़ाई रुक गई और पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से करीब 10 साल तक वे पढ़ाई से दूर रहीं। हार न मानते हुए उन्होंने 2008 में B.Ed में दाखिला लिया और उसी साल व्यापम की प्राइमरी टीचर भर्ती परीक्षा पास कर हनोदा प्राइमरी स्कूल में टीचर बनीं।

दो साल बाद मिडिल स्कूल की परीक्षा पास की और वहीं से उनका सफर आगे बढ़ा। खास बात ये है कि उन्होंने जियोलॉजी में PhD भी की है।

PhD के बाद मिडिल स्कूल क्यों?

लोगों ने उनसे सवाल किया कि PhD करने के बावजूद वे मिडिल स्कूल में क्यों पढ़ाती हैं। इस पर उनका जवाब प्रेरणादायक था—
“मैं जियोलॉजी को मैथ्स से जोड़कर बच्चों को पढ़ाती हूं। जैसे स्कूल में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया और उसी के जरिए बच्चों को मिट्टी का आयतन और वक्रपृष्ठ जैसी गणितीय अवधारणाएं समझाईं।”

एक दिव्यांग बच्ची ने दिखाई राह

एक दिन जब वे क्लास में त्रिभुज का टॉपिक पढ़ा रही थीं, तब एक मानसिक रूप से दिव्यांग बच्ची ने हाथ उठाकर कहा— “मैडम देखो, मेरा चांद बन गया।”
यह सुनकर डॉ. प्रज्ञा को आइडिया आया कि अगर गणित को खेल और एक्टिविटी के जरिए सिखाया जाए तो बच्चे इसे डर की बजाय मजे से सीखेंगे।

यहीं से उन्होंने टीचिंग लर्निंग मटेरियल (TLM) तैयार किया।

खेल-खेल में गणित: बनाया अनोखा Maths Park

सरकारी फंड न मिलने के बावजूद डॉ. प्रज्ञा सिंह ने अपनी जेब से खर्च करके Maths Park तैयार किया।

  • फर्श पर नंबर गेम्स

  • सांप-सीढ़ी से कोण और जोड़

  • शतरंज से घातांक

  • लूडो से अंकगणित

  • बैलेंसिंग गेम से संतुलन

  • लाइफ-साइज लूडो और शतरंज

बच्चे अब गणित को खेल-खेल में सीखते और पसंद करने लगे हैं।

बच्चों का रिजल्ट और गांव का प्यार

उनके इनोवेटिव तरीकों का असर बच्चों के रिजल्ट में साफ नजर आया।

  • कई बच्चे ग्रामीण प्रतिभा खोज परीक्षा में सिलेक्ट हुए।

  • स्कॉलरशिप जीतने लगे।

  • एक साल में 4 बच्चों का सिलेक्शन हुआ और 5 बच्चों ने 8वीं की परीक्षा में 100% मार्क्स हासिल किए।

गांव वालों ने प्रज्ञा का सम्मान किया और स्कूल में बच्चों का दाखिला बढ़ने लगा।

चौथी बार में मिला नेशनल टीचर्स अवॉर्ड

डॉ. प्रज्ञा ने कई बार अवॉर्ड के लिए आवेदन किया—

  • 2019, 2023, 2024 – प्रेजेंटेशन की कमी के कारण सिलेक्शन नहीं हुआ।

  • 2025 – उन्होंने पूरी तैयारी की और अपनी ज्यूरी को प्रभावित किया।

आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें नेशनल टीचर्स अवॉर्ड 2025 से नवाजा गया।

पिता से सीखी बिजनेस माइंडसेट वाली सोच

डॉ. प्रज्ञा बताती हैं कि सीमित संसाधनों में भी कुछ बड़ा किया जा सकता है। अपने पिता से मिली सोच और खुद की मेहनत ने उन्हें यह मुकाम दिया।

प्रेरणा हर टीचर के लिए

डॉ. प्रज्ञा सिंह की कहानी हर उस टीचर के लिए प्रेरणा है, जो सोचता है कि संसाधनों की कमी से सपने अधूरे रह जाते हैं। उन्होंने दिखा दिया कि जुनून और मेहनत से सरकारी स्कूल के बच्चे भी कमाल कर सकते हैं।

इस टीचर्स डे पर डॉ. प्रज्ञा सिंह का सफर हमें यही सिखाता है कि सच्चा शिक्षक वही है जो न सिर्फ किताबें, बल्कि जिंदगी सिखाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *