Tariff क्या है? अमेरिका भारत पर क्यों लगा रहा है टैरिफ, जानिए असर और चुनौतियां

Tariff : दुनिया की अर्थव्यवस्था आपस में जुड़ी हुई है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार इसका अहम हिस्सा है। हर देश अपनी नीतियों के आधार पर आयात-निर्यात को नियंत्रित करता है। इसी प्रक्रिया में सबसे प्रमुख भूमिका निभाते हैं “टैरिफ”। हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत से निर्यात होने वाले कुछ उत्पादों पर टैरिफ (शुल्क) लगाने की खबरें सामने आई हैं, जिससे यह बहस तेज हो गई है कि इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था और दोनों देशों के रिश्तों पर क्या होगा।
टैरिफ क्या है?
टैरिफ का अर्थ है – किसी देश द्वारा आयातित (imported) वस्तुओं पर लगाया गया कर।
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इसका उद्देश्य विदेशी वस्तुओं को महंगा करना ताकि घरेलू उद्योगों को सुरक्षा मिल सके।
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टैरिफ से सरकार को राजस्व (Revenue) भी प्राप्त होता है।
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कभी-कभी टैरिफ का इस्तेमाल केवल आर्थिक कारणों से नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण:
मान लीजिए भारत अमेरिका से स्टील खरीदता है और अमेरिका उस पर 25% टैरिफ लगा देता है। तो जो स्टील पहले 100 रुपये का आता था, अब वह 125 रुपये का पड़ेगा। इसका सीधा असर भारत के खरीदार और उद्योगों पर पड़ेगा।
अमेरिका भारत पर टैरिफ क्यों लगा रहा है?
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व्यापार घाटे को कम करना
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अमेरिका का मानना है कि भारत को दिए गए कई व्यापारिक फायदे उसके लिए नुकसानदायक साबित हो रहे हैं।
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भारत से अमेरिका को निर्यात बढ़ता जा रहा है जबकि अमेरिकी निर्यात को भारत में उतनी बढ़त नहीं मिल रही।
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जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) की समाप्ति
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पहले भारत को GSP योजना के तहत अमेरिका में हज़ारों उत्पाद बिना शुल्क के निर्यात करने की सुविधा थी।
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लेकिन 2019 में ट्रंप प्रशासन ने यह सुविधा खत्म कर दी, जिससे भारत के कई उत्पाद महंगे हो गए।
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कृषि और डेयरी उत्पादों पर विवाद
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अमेरिका लंबे समय से चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी बाज़ार को अधिक खुलेपन के साथ अमेरिकी कंपनियों के लिए खोले।
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लेकिन भारत ने किसानों और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कई प्रतिबंध लगाए हैं।
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ई-कॉमर्स और डेटा लोकलाइजेशन नीति
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भारत ने अमेज़न और वॉलमार्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों पर ई-कॉमर्स नियमों के तहत कई पाबंदियां लगाई हैं।
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साथ ही भारत ने डेटा लोकलाइजेशन पर जोर दिया, जिससे अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए दिक्कतें बढ़ीं।
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राजनीतिक दबाव और सामरिक कारण
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कभी-कभी टैरिफ को कूटनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
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अमेरिका चाहता है कि भारत कई वैश्विक मुद्दों पर उसका समर्थन करे, और टैरिफ एक दबाव बनाने का तरीका भी है।
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अमेरिका किन-किन भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाता है?
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स्टील और एल्युमिनियम
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आभूषण और हैंडीक्राफ्ट
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कृषि उत्पाद (चावल, मसाले, झींगा मछली आदि)
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टेक्सटाइल और कपड़े
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केमिकल्स और फार्मा के कुछ उत्पाद
इन पर टैरिफ बढ़ने से भारत का निर्यात महंगा हो जाता है और अमेरिकी बाज़ार में प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है।
भारत पर टैरिफ का असर
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भारतीय निर्यातकों को नुकसान
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अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
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टैरिफ लगने से भारत से निर्यात होने वाले उत्पाद महंगे हो जाएंगे और मांग घट सकती है।
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रोज़गार पर असर
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निर्यात आधारित उद्योग जैसे टेक्सटाइल, ज्वेलरी, कृषि और IT सेक्टर में लाखों लोग काम करते हैं।
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निर्यात घटने से रोज़गार पर संकट आ सकता है।
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छोटे उद्योगों को झटका
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MSME सेक्टर (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) को सबसे अधिक नुकसान होगा क्योंकि वे अमेरिका में बड़े स्तर पर निर्यात करते हैं।
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द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव
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अमेरिका-भारत रिश्ते रणनीतिक दृष्टि से मजबूत हैं, लेकिन व्यापार विवाद रिश्तों में खटास ला सकता है।
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उपभोक्ताओं पर असर
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टैरिफ का असर सीधे उपभोक्ता कीमतों पर भी पड़ सकता है।
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अमेरिकी कंपनियां भारत को टैरिफ के जवाब में महंगे उत्पाद बेच सकती हैं।
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भारत के लिए अवसर और समाधान
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वैकल्पिक बाज़ार तलाशना
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भारत को केवल अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय यूरोप, अफ्रीका और एशिया में नए बाज़ार तलाशने होंगे।
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आंतरिक बाज़ार को मजबूत करना
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‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को तेज़ी से आगे बढ़ाना होगा।
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व्यापार वार्ता और कूटनीति
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भारत को अमेरिका के साथ टैरिफ पर संवाद बढ़ाना होगा।
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कई बार बातचीत के जरिए व्यापारिक विवाद सुलझ जाते हैं।
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निर्यात विविधीकरण
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केवल कुछ उत्पादों पर निर्भर रहने के बजाय भारत को उच्च तकनीकी उत्पादों और सेवाओं में निवेश बढ़ाना चाहिए।
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घरेलू उद्योग को संरक्षण
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सरकार को सब्सिडी, टैक्स छूट और वित्तीय मदद देकर छोटे उद्योगों को मजबूत करना चाहिए ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
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टैरिफ केवल एक आर्थिक नीति नहीं है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति और कूटनीति का भी हिस्सा है। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव पैदा कर सकते हैं। हालांकि भारत के पास विकल्प मौजूद हैं—चाहे वह नए बाज़ार तलाशना हो, घरेलू उद्योग को मजबूत करना हो या अमेरिका से फिर से वार्ता करना हो।
आज आवश्यकता है कि भारत अपनी आर्थिक और व्यापारिक नीतियों को और मजबूत बनाए ताकि किसी भी वैश्विक टैरिफ या व्यापारिक विवाद का असर न्यूनतम हो।