SSC परीक्षा में गड़बड़ी पर बोले सिसोदिया: खतरे में 70 लाख छात्रों का भविष्य
नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने SSC परीक्षाओं में हो रही भारी गड़बड़ियों को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। गुरुवार, 7 अगस्त को SSC परीक्षा की तैयारी कराने वाले देशभर के कुछ शिक्षकों ने सिसोदिया से मुलाकात की और छात्रों की स्थिति को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया।
मुलाकात के दौरान शिक्षकों ने बताया कि देशभर में लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटका है, क्योंकि परीक्षा केंद्रों की व्यवस्थाएं बेहद खराब हैं। कहीं परीक्षा तबेलों में करवाई जा रही है, तो कहीं एक ही छात्र को निरीक्षक बना दिया गया है। इसके अलावा, जिन छात्रों की परीक्षाएं हो चुकी हैं, उनके साथ दुर्व्यवहार और अपमान की घटनाएं भी सामने आई हैं।
“70 लाख बच्चों के सपनों की हत्या मत कीजिए”
मनीष सिसोदिया ने इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा, “मैं केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर विनती करता हूं – 70 लाख मेहनती बच्चों के भविष्य से मत खेलिए।”
उन्होंने 13 अगस्त से शुरू होने वाली SSC-CGL परीक्षा को तुरंत स्थगित करने की मांग की है। इस परीक्षा में लगभग 30 लाख छात्र शामिल होने वाले हैं, लेकिन परीक्षा की तैयारियों को लेकर गंभीर खामियां उजागर हो चुकी हैं।
व्यापमं घोटाले में फंसी कंपनी को मिली ज़िम्मेदारी!
सिसोदिया ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जिस कंपनी को SSC परीक्षा आयोजित करने की ज़िम्मेदारी दी गई है, उसका नाम पहले व्यापमं घोटाले जैसे गंभीर भ्रष्टाचार मामलों में सामने आ चुका है। बावजूद इसके, उसे दोबारा इतनी बड़ी परीक्षा की ज़िम्मेदारी देना सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता है।
गरीब छात्रों के साथ अन्याय
उन्होंने आगे कहा कि “किसी ने ट्यूशन पढ़ाकर फीस जोड़ी, किसी ने खेत में काम किया – ऐसे बच्चों को टूटी कुर्सियों और खराब माउस के बीच परीक्षा देने पर मजबूर किया जा रहा है। यह सिर्फ परीक्षा नहीं, उनके सपनों की हत्या है।”
पुनर्परीक्षा की मांग
मनीष सिसोदिया ने मांग की कि जिन छात्रों के साथ दुर्व्यवहार हुआ है या जिनकी परीक्षाएं प्रभावित हुई हैं, उन सभी की परीक्षाएं रद्द कर दोबारा कराई जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को राजनीतिक लाभ से ऊपर उठकर देश के करोड़ों छात्रों के भविष्य की रक्षा करनी चाहिए।
SSC परीक्षाओं को लेकर उठते सवाल अब केवल परीक्षा प्रणाली तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह मुद्दा देश के युवा भविष्य के अधिकार और अवसरों की रक्षा का बन गया है। देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
