Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख पर्वों में से एक है। देवी दुर्गा की उपासना और शक्ति आराधना के इन नौ दिनों का प्रारंभ घट स्थापना (कलश स्थापना) से होता है। इसे शांति कलश स्थापना भी कहा जाता है, जो पूरे अनुष्ठान की शुरुआत का प्रतीक है।
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर 2025 (सोमवार) से हो रहा है। इस दिन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि, उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के संयोग में घट स्थापना की जाएगी।
घट स्थापना का महत्व
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घट में सातों समुद्र, नदियों, देवी-देवताओं और दिक्पालों का आह्वान किया जाता है।
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कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं।
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शांति कलश की स्थापना के बाद ही नवरात्रि की पूजा को पूर्ण माना जाता है।
नवरात्रि 2025 शुभ मुहूर्त (प्रमुख शहरों के अनुसार)
| शहर | सुबह का मुहूर्त | अभिजीत मुहूर्त |
|---|---|---|
| दिल्ली | 06:13 – 07:29 | 11:49 – 12:38 |
| मुंबई | 06:31 – 07:20 | 12:07 – 12:55 |
| कोलकाता | 05:28 – 07:16 | 11:05 – 11:53 |
| चेन्नई | 06:01 – 07:22 | 11:37 – 12:26 |
| लखनऊ | 05:59 – 07:15 | 12:07 – 12:56 |
| वाराणसी | 05:50 – 07:20 | 11:34 – 12:23 |
| भोपाल | 06:10 – 07:01 | 11:26 – 12:15 |
| जयपुर | 06:19 – 07:10 | 11:55 – 12:44 |
| चंडीगढ़ | 06:15 – 07:09 | 11:51 – 12:40 |
| पटना | 05:42 – 07:32 | 11:18 – 12:06 |
- गृहस्थजन सुबह 7:30 से पहले या 9 बजे के बाद कलश स्थापना करें।
- पूजा पंडालों में अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है।
नवरात्रि कलश स्थापना विधि
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प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थल पर लाल आसन पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
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स्थल को शुद्ध करने के लिए जल छिड़कें और शुद्धिकरण मंत्र का जप करें।
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मिट्टी में सप्तमृतिका और जौं मिलाकर वेदी तैयार करें।
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कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसमें जल, सुपारी, सिक्का, अक्षत, पंचपल्लव रखें।
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नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित करें।
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घी का दीपक जलाकर देवी दुर्गा की आरती करें और परिवार सहित पूजा प्रारंभ करें।
पूजन के प्रमुख मंत्र
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शुद्धिकरण मंत्र: ओम अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा…
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कलश स्थापना मंत्र: ओम भूरसि भूमिरस्य…
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धान्य स्थापना मंत्र: ओम धान्यमसि धिनुहि देवान्…
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नारियल स्थापना मंत्र: ओम याः फलिनीर्या अफला…
निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि का हर दिन आध्यात्मिक शक्ति, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। कलश स्थापना केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि नवदुर्गा की आराधना का द्वार है। शुभ मुहूर्त में किए गए पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।

