सितंबर 2025 त्योहारों की लिस्ट: गणेश विसर्जन से शारदीय नवरात्रि तक सभी व्रत और पर्व

सितंबर 2025 हिंदू पंचांग के अनुसार आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। गणेश उत्सव की पूर्णाहुति से लेकर पितृ पक्ष, विश्वकर्मा पूजा और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत तक—भक्तों के लिए यह महीना विशेष साधना, व्रत और पूजन का समय रहेगा। नीचे दिन-वार पूरी सूची के साथ संक्षिप्त विवरण दिया गया है। (नोट: पंचांग/मुहूर्त क्षेत्र के अनुसार बदल सकते हैं—स्थानीय पंचांग/पुरोहित से मिलान अवश्य करें।)
सितंबर 2025: व्रत-त्योहारों की तारीखें और महत्व
3 सितंबर (बुधवार) – अगस्त्य अर्घ्य, पार्श्वा एकादशी
– समुद्रमंथन के ऋषि अगस्त्य को अर्घ्य अर्पण का दिन।
– पार्श्वा एकादशी: विष्णुभक्तों के लिए उपवास/जप का विशेष फलदायक दिन।
4 सितंबर (गुरुवार) – वामन जयंती, भुवनेश्वरी जयंती, कल्कि द्वादशी
– भगवान विष्णु के वामन अवतार की जयंती; दान-पुण्य व व्रत का महत्व।
– दशमहाविद्या भुवनेश्वरी की उपासना; सौभाग्य-समृद्धि की कामना।
– कल्कि द्वादशी: धर्मस्थापना के कल्कि स्वरूप की आराधना।
5 सितंबर (शुक्रवार) – ओणम, शिक्षक दिवस, शुक्र प्रदोष व्रत
– केरल का प्रमुख पर्व ओणम: वामन-बलि कथा से जुड़ा फसलोत्सव।
– शिक्षक दिवस/विश्वेश्वरैया स्मृति सप्ताह का आरंभ; गुरु-सम्मान दिवस।
– शुक्र प्रदोष: शिवपूजन, संध्या कालीन व्रत और दीपार्चना।
6 सितंबर (शनिवार) – गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी
– गणेशोत्सव का समापन; श्रीगणेश की प्रतिमा का विसर्जन, “गणपति बप्पा मोरया!”
– अनंत चतुर्दशी: विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा, अनंत सूत्र धारण का विधान।
7 सितंबर (रविवार) – पूर्णिमा श्राद्ध, चंद्र ग्रहण (पूर्ण)
– पितरों के निमित्त पूर्णिमा श्राद्ध।
– पूर्ण चंद्र ग्रहण: गृहस्थों के लिए सूतक-नियम, मंदिरों में विशिष्ट विधान (स्थानीय दृष्यता अनुसार)।
8–21 सितंबर – पितृ पक्ष (श्राद्ध पखवाड़ा)
– पूर्वजों की तृप्ति हेतु तर्पण/श्राद्ध/दान; गृहस्थों के लिए अत्यंत पुण्यकारी समय।
14 सितंबर (रविवार) – जीवितपुत्रिका व्रत, अष्टमी रोहिणी
– संतान-दीर्घायु हेतु माताओं का निर्जला/नियमित उपवास।
– रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी: श्रीकृष्ण आराधना का विशेष योग।
15 सितंबर (सोमवार) – इंजीनियर्स डे, विश्वेश्वरैया जयंती
– भारत रत्न एम. विश्वेश्वरैया की जयंती; राष्ट्रनिर्माण में इंजीनियर्स के योगदान का दिवस।
17 सितंबर (बुधवार) – विश्वकर्मा पूजा, इंदिरा एकादशी
– सृष्टि-शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा—उद्योग, औज़ार, कार्यस्थल पर आराधना।
– इंदिरा एकादशी: पितृ-मोक्ष और विष्णुभक्ति के श्रेष्ठ व्रतों में से एक।
19 सितंबर (शुक्रवार) – मासिक शिवरात्रि, कलियुग पर्व पालन
– शिव-आराधना, निशीथ कालीन जप-ध्यान; गृहस्थों के लिए सरल व्रत विधान।
– कलियुग पर्व: क्षेत्र/परंपरा विशेष में मनाया जाने वाला अनुष्ठानिक पालन।
21 सितंबर (रविवार) – सर्वपितृ अमावस्या
– पितृ पक्ष का अंतिम और सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन; समष्टि श्राद्ध का विधान।
22 सितंबर (सोमवार) – शारदीय नवरात्रि आरंभ व घटस्थापना
– माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का आरंभ; कलश/घटस्थापना, जौ-बीजाई।
– (इसी दिन शरद विषुव और सूर्य ग्रहण भी उल्लेखित—दृश्यता/सूतक नियम स्थानानुसार जांचें।)
30 सितंबर (मंगलवार) – दुर्गा अष्टमी व संधि पूजा
– महाष्टमी पर कुमारिका-पूजन/अपराजिता-पूजा; संधि-कालन में विशेष हवन/आरती।
कैसे करें तैयारी? (त्वरित गाइड)
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स्थानीय पंचांग मिलान: अमांत/पूर्णिमांत भेद व सूतक/दृश्यता क्षेत्रानुसार बदलती है—अपने शहर के पंचांग या विश्वसनीय ऐप/पुरोहित से समय अवश्य मिलाएं।
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व्रत-नियम: स्वास्थ्य अनुसार व्रत रखें; फलाहार/सात्त्विक आहार अपनाएँ, दान-धर्म करें।
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गृह-पूजन सेट-अप: कलश, धूप-दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य, जौ-बीज (नवरात्रि हेतु) पहले से तैयार रखें।
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पर्यावरण-सुरक्षा: गणेश विसर्जन/हवन आदि में पर्यावरण-अनुकूल सामग्री का प्रयोग करें।