Sawan 2025 : सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और इस बार पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस पावन अवसर पर हम आपको शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रथम माने जाने वाले सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में बताएंगे, जिसके बाद आप उसकी महिमा से अभिभूत हुए बिना नहीं रह पाएंगे। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य कला के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: स्वयंभू शिव का प्रथम स्थान
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल के प्रभास पाटन में स्थित सोमनाथ मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान प्राप्त है। यह न केवल भगवान शिव के दिव्य स्वरूप की प्रतीक है, बल्कि यह वही भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन का अंतिम क्षण बिताया।
शास्त्रों में इसका उल्लेख इस प्रकार है, “सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये, ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतारं, तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥”
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बाण स्तंभ: वैज्ञानिकता और आस्था का संगम
मंदिर परिसर में स्थित एक प्राचीन बाण स्तंभ, जो छठी शताब्दी से विद्यमान है, दर्शाता है कि समुद्र से दक्षिण ध्रुव तक कोई अवरोध नहीं है। यह बाण स्तंभ एक दिशादर्शक स्तंभ है, जिसके ऊपरी सिरे पर एक तीर बना हुआ है, जिसका मुख समुद्र की तरफ है. इस बाण स्तंभ पर ‘आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योतिमार्ग’ लिखा हुआ है, जिसका मतलब है कि समुद्र के इस बिंदु से दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में किसी भी तरह की बाधा नहीं है यानी जब विज्ञान इतना प्रभावी नहीं था तब भी हमारे पुरातन शास्त्रों में यह वर्णित है.
श्रीकृष्ण का देहोत्सर्ग स्थल
प्रभास क्षेत्र वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने जरा नामक व्याध के तीर से घायल होकर अपने प्राण त्यागे थे। इस स्थान को ‘देहोत्सर्ग तीर्थ’ कहा जाता है और यह कृष्णभक्तों के लिए अत्यंत पूज्यनीय स्थल है। कहते हैं कि यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने जरा नामक व्याध के बाण पैर के तलवे में लगने के बाद प्राण त्याग दिए थे। इस प्रभास क्षेत्र और यहां स्थित भगवान सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग का वर्णन महाभारत, शिवपुराण, श्रीमद्भागवत तथा स्कंदपुराण में मिलता है। इसके साथ ही ऋग्वेद में भी सोमेश्वर यानी सोमनाथ का जिक्र मिलता है।
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इस तरह पड़ा ‘सोमनाथ’ नाम
कथाओं के अनुसार, चंद्रमा (जिसे सोम भी कहा जाता है) ने यहां आकर भगवान शिव की तपस्या की थी और अपने श्राप से मुक्ति पाई। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट होकर ‘सोमनाथ’ नाम प्राप्त किया। कहते हैं इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप और दुष्कृत्य का विनाश हो जाता है। अरब सागर के तट पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग के पास त्रिवेणी संगम (तीन नदियों – कपिला, हिरण और सरस्वती का संगम) है. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि अगर कुष्ठ रोगी सोमनाथ महादेव के दर्शन करते हैं और मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो उनको कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है।
हर सृष्टि के साथ बदलता है नाम
स्कंद पुराण के अनुसार, जब एक सृष्टि समाप्त होती है और दूसरी का आरंभ होता है, तो इस ज्योतिर्लिंग का नाम भी बदल जाता है। इस क्रम में जब वर्तमान सृष्टि का अंत हो जाएगा और ब्रह्मा जी नई सृष्टि निर्मित करेंगे तब सोमनाथ का नाम ‘प्राणनाथ’ होगा। अब तक इसके आठ नाम हो चुके हैं, जो भगवान शिव की चिरकालिकता और अनंत स्वरूप को दर्शाते हैं। स्कंदपुराण के प्रभास खंड के अनुसार माता पार्वती के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए महादेव कहते हैं कि अब तक सोमनाथ के आठ नाम हो चुके हैं।
सोमनाथ मंदिर परिसर के अन्य महत्वपूर्ण स्थल
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पुराना सोमनाथ मंदिर: महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाया गया यह मंदिर भी अत्यंत पूज्य है।
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भालका तीर्थ: जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अंतिम समय बिताया था।
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बलदेव गुफा: जहां भगवान बलराम ने अपने मूल नाग रूप में प्रस्थान किया।
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त्रिवेणी संगम: कपिला, हिरण और सरस्वती नदियों का पवित्र संगम।
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सूर्य मंदिर: जहां सूर्य देव और माता छाया की मूर्तियां विराजमान हैं।
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परशुराम मंदिर: भगवान विष्णु के छठे अवतार को समर्पित यह मंदिर पापों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
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गीता मंदिर: भगवद्गीता के ज्ञान को समर्पित यह स्थल ध्यान, चिंतन और आत्मिक विकास का केंद्र है।
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बाणगंगा: समुद्र में स्थित शिवलिंगों का अद्भुत स्थल, जिनके दर्शन केवल ज्वार के समय ही संभव हैं।
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सोमनाथ दर्शन का महत्व
यह माना जाता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और रोग, विशेष रूप से कुष्ठ जैसे कष्टों से मुक्ति मिलती है। श्रद्धालु यदि यहां आकर मृत्युंजय मंत्र का जाप करें तो उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होता है।
इस सावन करें सोमनाथ के दर्शन और पाएं शिव की कृपा
सावन 2025 का यह अवसर आध्यात्मिक उन्नति और आस्था की गहराई में उतरने का समय है। सोमनाथ मंदिर न केवल भगवान शिव का निवास है, बल्कि यह हमारे इतिहास, संस्कृति और श्रद्धा का प्रतीक है।