राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025: प्रो. महालनोबिस की जयंती पर ‘डेटा आधारित भारत’ की नई सोच

प्रो. महालनोबिस की स्मृति में आयोजित सांख्यिकी दिवस 2025 समारोह
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस भारत में, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) द्वारा 29 जून को दिल्ली में 19वां सांख्यिकी दिवस मनाया गया। हर साल 29 जून को भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है, जो महान भारतीय सांख्यिकीविद् प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित होता है। इस वर्ष यह आयोजन ‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75 वर्ष’ थीम के साथ दिल्ली में आयोजित हुआ। इसका उद्देश्य युवाओं और नीति निर्माताओं के बीच सांख्यिकी की भूमिका को लेकर जागरूकता बढ़ाना है, जिससे सुशासन और राष्ट्रीय विकास में डेटा आधारित निर्णयों को बढ़ावा मिले।
सांख्यिकी दिवस के बारे में:
- राष्ट्रीय दिवस प्रतिवर्ष 29 जून सांख्यिकी को महान भारतीय सांख्यिकीविद् में से एक और भारत में आधुनिक सांख्यिकीय प्रणालियों के जनक प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक नियोजन और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण तथा सांख्यिकी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना विशेष रूप से युवाओं तथा बहुविधो में।
- इस बार सांख्यिकी दिवस “राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75 वर्ष” थीम के साथ मनाया गया,यह प्रतिवर्ष, एक थीम के साथ, उन प्रासंगिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है जो डेटा संचालित होते है और राष्ट्रीय विकास संबंधी चिंताओं के लिए प्रासंगिक होते है। राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस साक्ष्य के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ावा देने का दिन है।
- यह शासन और राष्ट्रीय विकास के लिए आवश्यक विश्वसनीय, समय पर और बड़े पैमाने पर समाजिक- आर्थिक डेटा उपलब्ध कराने में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के दीर्घकालिक योगदान पर प्रकाश डालता है।
- यह प्रथम बार 2007 में मनाया गया था, ताकि सामाजिक और आर्थिक नियोजन तथा नीति निर्णय लेने की प्रक्रिया में सांख्यिकी की भूमिका के बारे में जनता को शिक्षित किया जा सके तथा सुशासन में डेटा संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या के महत्व को रेखांकित किया जा सके।
अन्य तथ्य : विश्व सांख्यिकी दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर पांच वर्ष में 20 अक्टूबर में मनाया जाता है।
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस के बारे में:
- भारतीय सांख्यिकी के जनक प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को हुआ था। वे एक महान वैज्ञानिक, पुरातत्वविद और योजनाकार थे। उन्होंने भारत में अभिलेखों की रैंक और आधुनिक अभिलेख प्रणाली को एक नई दिशा दी।
- वे भारत के प्रथम योजना आयोग (वर्तमान में नीति आयोग) के सदस्य तथा उन्होंने डेटा-आधारित शासन और नियोजन के समर्थक के रूप में उपलब्धि हासिल की।
- महालनोबिस ने आर्थिक और सामाजिक विकास की समस्याओं पर सांख्यिकी तकनीकों को लागू करके भारत की पंचवर्षीय योजनाओं की योजना और उनके क्रियान्वयन में योगदान दिया।
- उन्होंने 1931 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की तथा उसके आधार पर सांख्यिकी में प्रमुख शोध और शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण कराया। उसके बाद 1950 में, उन्होंने नीतिगत उद्देश्यों के लिए सामाजिक आर्थिक डेटा एकत्र करने के लिए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) की स्थापना की।
- भारत सरकार द्वारा उन्हें विज्ञान और सांख्यिकी में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया जा चुका है।
महत्व:
- यह दिन पूरे भारत में इस दिन को बड़े उत्साह और सम्मान के साथ मनाया जाता है।
- स समारोह का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और नीति निर्माण में सांख्यिकी के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
- इस दिन को मनाने का अर्थ है सांख्यिकी साक्ष्यों पर आधारित निर्णयों को किस प्रकार बेहतर तथा पारदर्शी बनाया जा सके।
- यह दिन छात्रों और युवा पेशेवरों को सांख्यिकी और डेटा विज्ञान को अपने करियर के रूप में अपनाने के लिए भी प्रेरित करता है।
- लगभग सभी युवा शैक्षणिक संस्थान, अनुसंधान इकाइयां और सरकारी विभाग व्याख्यान, पैनल चर्चा और प्रदर्शनियों के आयोजन में सक्रिय रूप से भाग लेते है।
- सांख्यिकी का प्रयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पर्यावरण और आर्थिक नियोजन में प्रमुखता से किया जाता है।
प्रोफेसर महालनोबिस की विरासत को स्मरण करते हुए, इस दिन को भारत में समावेशी विकास और सतत विकास प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में सांख्यिकी के महत्व को पुष्ट करना है। यह दिवस केवल सम्मान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय संदेश है की आधुनिक भारत को आगे बढ़ाने में सांख्यिकी और वैज्ञानिक विज्ञान का कितना बड़ा योगदान है। प्रोफेसर महालनोबिस की सोच और कार्यकुशलता की झलक आज भारत के विकास की हर सतह पर नजर आती है।