राष्ट्रपति मुर्मू का राज्यसभा के लिए हर्ष श्रृंगला, उज्ज्वल निकम सहित चार नए सदस्यों को किया नामित

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राष्ट्रपति मुर्मू

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामांकित किया है, जिनमें पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और 26/11 हमलों के विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम शामिल हैं। यह नामांकन प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर किया गया है। यह कदम राज्यसभा में विशेषज्ञता और विविधता को और समृद्ध बनाएगा।

राज्यसभा के बारे में

  • राज्यसभा एक सतत सदन है जिसे “काउंसिल ऑफ स्टेट्स” भी कहा जाता है, जो भारतीय संसद का उच्च सदन है। यह एक स्थायी निकाय है और इसका विघटन नहीं हो सकता। हालाँकि, इसके एक-तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत हो जाते है।
  • यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों और राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्यों से मिलकर बनता है।
  • राज्यसभा में प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र के प्रतिनिधियों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रयोजन के लिए विशेष रूप से गठित निर्वाचित मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  • भारतीय संविधान की IV अनुसूची राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यसभा में सीटों के आवंटन से संबंधित है ।
  • लोकसभा द्वारा शुरू किये गए कानूनों की समीक्षा करने और उनमें बदलाव करने में राज्यसभा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।
  • लोकसभा कानून बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर सकता है और कानून बनने हेतु राज्यसभा से पारित होने के लिए एक विधेयक की आवश्यकता होती है ।

राज्यसभा की संरचना

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80 राज्यसभा की संरचना को नियंत्रित करता है।

  • संघटन: राज्यसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या 250 है। जिसमें से 238 सदस्य राज्यों से है तथा वर्तमान में, राज्यसभा में 245 सदस्य है, जिनमें से 225 सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि है, 8 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि है और 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते है।
  • निर्वाचक मंडल: केवल राज्य विधान सभा और विधान सभा वाले संघ शासित प्रदेशों के सदस्य ही मतदान कर सकते है।
  • चुनाव प्रक्रिया: सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधत्व के माध्यम से होता है।
  • आयु: इसके सदस्य बनने की न्यूनतम आयु 30 वर्ष है।
  • अवधि: यह एक स्थायी सदन है।
  • कार्यकाल: मनोनीत सदस्य अन्य राज्यसभा सदस्यों की तरह 6 वर्ष का कार्यकाल पूरा होता है तथा एक-तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते है।
  • सदन का अध्यक्ष: उपराष्ट्रपति सदन का अध्यक्ष होता है।

नामांकन के मानदंड

  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए 12 सदस्यों को साहित्य, विज्ञान, कला, समाज सेवा में उनके विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव के आधार पर मनोनीत किया जाता है।

नामांकन का उद्देश्य

  • विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि के साथ संसदीय बहस को समृद्ध बनाना।
  • राज्यों के प्रतिनिधि सीधे राज्यों में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों द्वारा चुने जाते है।
  • उन प्रतिष्ठित व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित करना जो चुनाव के माध्यम से राजनीति में प्रवेश नहीं कर सकते।
  • राज्यसभा के सेवानिवृत्त सदस्य किसी भी संख्या में पुन: निर्वाचित एवं पुन: नामांकन के लिए पात्र होते है।
  • उच्च सदन में प्रतिनिधित्व में विविधता लाने में मदद करता है।

शक्तियों और अधिकार

  • निर्वाचित सदस्यों के समान अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होते है।
  • केन्द्रीय संसद किसी मामले को राज्य सूची से हटाना या स्थानातंरण करना चाहती है तो राज्य सभा का अनुमोदन लेना आवश्यक है ।
  • अपवाद: वे भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते। हालाँकि, वे उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते है।
  • अनुच्छेद 67: उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है, लोकसभा में नहीं ।
  • अनुच्छेद 249: संसद को राज्य सूची में सूचीबद्ध विषय पर कानून बनाने के लिए अधिकृत करता है ।
  • यह अनुच्छेद 312 के तहत संसद को केंद्र और राज्यों दोनों के लिए नई अखिल भारतीय सेवाएँ बनाने के लिए भी अधिकृत कर सकती है ।
  • आपातकाल (अनुच्छेद 352,356 और 360): यदि राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल (राष्ट्रीय, राज्य या वित्तीय) लगाने की घोषणा उस समय जारी की जाती है जब लोकसभा भंग हो चुकी हो, तो वह घोषणा केवल राज्यसभा द्वारा अनुमोदित होने पर भी प्रभावी रह सकती है।

राज्यसभा भारत की द्विसदनीय संसदीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदन के रूप में, विधायी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा साथ ही क्षेत्रीय हितों के लिए एक मंच भी प्रदान करता है जो संघीय संतुलन सुनिश्चित करता है।

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