अयोध्या : गुरुवार को गंगा दशहरा के पावन अवसर पर अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर एक बार फिर ऐतिहासिक अध्याय का साक्षी बना। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 53वें जन्मदिवस पर रामलला दरबार सहित सात पूरक मंदिरों में विभिन्न देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराई। यह अनुष्ठान राम मंदिर के प्रथम तल पर सम्पन्न हुआ, जिसमें वैदिक विधियों के साथ देवी-देवताओं को प्रतिष्ठित किया गया।

120 आचार्यों के मंत्रोच्चार से गूंजा राम दरबार
प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान का आरंभ काशी के यज्ञाचार्य जय प्रकाश त्रिपाठी के नेतृत्व में हुआ, जिसमें 120 वैदिक आचार्यों ने भाग लिया। सुबह आवाहित देवताओं के पूजन से शुरुआत हुई और करीब दो घंटे तक मंत्रोच्चार व हवन के पश्चात राम दरबार एवं अन्य मूर्तियों की विधिपूर्वक प्रतिष्ठा की गई।
राम दरबार की भव्य मूर्ति: श्रद्धा और शिल्प का संगम
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राम दरबार की कुल ऊंचाई सिंहासन सहित सात फीट रही।
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सीताराम का विग्रह साढ़े चार फीट ऊंचा है, जबकि सिंहासन की ऊंचाई साढ़े तीन फीट है।
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हनुमान व भरत की मूर्तियां बैठी मुद्रा में (ढाई फीट) और
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लक्ष्मण व शत्रुघ्न की मूर्तियां खड़ी मुद्रा में तीन-तीन फीट ऊंची हैं।
यह मूर्तियां श्रद्धा, कला और आस्था का अद्भुत संगम हैं।
एक साथ सात पूरक मंदिरों में प्रतिष्ठा
गंगा दशहरा के पावन दिन श्रीराम दरबार के साथ-साथ निम्नलिखित पूरक देवों की भी प्रतिष्ठा की गई:
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ईशान कोण: शिव मंदिर
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अग्निकोण: गणेशजी
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दक्षिणी भुजा: हनुमानजी
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नैऋत्य कोण: सूर्यदेव
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वायव्य कोण: मां भगवती
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उत्तरी भुजा: अन्नपूर्णा माता
सभी मंदिरों को दृश्य माध्यम (कैमरा एवं स्क्रीन) से एक साथ जोड़ा गया, जिससे श्रद्धालुओं ने डिजिटल रूप से भी जुड़ाव अनुभव किया।
कम भीड़, फिर भी आस्था अपार
हालांकि, 22 जनवरी 2024 जैसी भारी भीड़ और उत्सव नहीं दिखा, फिर भी रामलला के दर्शन निर्बाध रूप से होते रहे। वीवीआईपी उपस्थिति के कारण विशिष्ट दर्शन अस्थायी रूप से स्थगित कर दिए गए। राम जन्मभूमि पथ अपेक्षाकृत शांत रहा, लेकिन जो भी भक्त आए, वे इस अद्भुत अवसर का साक्षी बनने का सौभाग्य लेकर लौटे।
प्रमुख उपस्थितियां
इस दिव्य अवसर पर राम मंदिर ट्रस्ट के कई प्रमुख सदस्य एवं धार्मिक संत-महात्मा भी उपस्थित रहे:
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चंपतराय (महासचिव)
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गोविंददेव गिरि (कोषाध्यक्ष)
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वासुदेवानंद सरस्वती
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माध्वाचार्य विश्वेष प्रसन्नतीर्थ
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शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती
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महंत दिनेंद्रदास
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व्यवस्थापक गोपाल राव
राम मंदिर का यह चरण, जिसमें राम दरबार और पूरक देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई, रामजन्मभूमि आंदोलन की आध्यात्मिक पूर्णता की ओर बढ़ता एक और ऐतिहासिक कदम है। गंगा दशहरा जैसे शुभ दिन पर हुए इस कार्यक्रम ने अयोध्या के धार्मिक महत्व को और भी गौरवशाली बना दिया है।