पुरी (ओडिशा) — ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में एक बड़ी घटना घटी है। हर वर्ष की तरह इस बार भी ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा का आयोजन बेहद श्रद्धा और उत्साह के साथ हुआ, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते आयोजन में अव्यवस्था देखने को मिली। एक मोड़ पर भगवान बलभद्र का रथ ‘तालध्वज’ अटक गया, जिससे पूरे जुलूस की गति धीमी हो गई और करीब 600 श्रद्धालु घायल हो गए या गर्मी की वजह से बीमार पड़ गए।
रथ खींचने में आई कठिनाई, भीड़ से बिगड़ा नियंत्रण
पुरी की ग्रैंड रोड पर रथ यात्रा के दौरान भगवान बलभद्र के रथ को एक मोड़ पर खींचना कठिन हो गया, जिससे रथ रुक गया। इस बीच पीछे से आ रही भारी भीड़ एकत्र हो गई, और कई श्रद्धालु दबाव में फंस गए। सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, उम्मीद से कहीं अधिक श्रद्धालु इस वर्ष पहुंचे थे, जिससे नियंत्रित व्यवस्था बिगड़ गई।
बिना अनुमति के कई श्रद्धालु प्रतिबंधित क्षेत्र में भी घुस गए, जिससे रथों की आवाजाही में और बाधा उत्पन्न हुई। हालात ऐसे हो गए कि कई लोगों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता की जरूरत पड़ी।
#WATCH | Odisha | Shri Jagannath Mahaprabhu’s Rath Yatra is underway in Puri pic.twitter.com/LXjGZ7gLXP
— ANI (@ANI) June 27, 2025
600 से ज्यादा लोग घायल, भगदड़ टली
पुरी मेडिकल कॉलेज और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में 600 से अधिक श्रद्धालुओं का इलाज किया गया, जिनमें कई को डिहाइड्रेशन, बेहोशी और पैरों में चोटें आई थीं। सौभाग्यवश, किसी की मौत नहीं हुई और भगदड़ जैसी स्थिति भी टल गई।
ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा, “अत्यधिक गर्मी और उमस के कारण कुछ श्रद्धालु बेहोश हो गए, लेकिन बचाव दल ने तुरंत रेस्पॉन्ड किया।” मंत्री ने यह भी बताया कि प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, पानी व ग्लूकोज की व्यवस्था, और मौके पर एंबुलेंस की सुविधा रखी गई थी।
जगन्नाथ यात्रा की परंपरा और कार्यक्रम
पुरी की रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा को उनके रथों — नंदी घोष, तालध्वज और दर्पदलन — पर विराजमान कर 2.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह मंदिर त्रिदेवों की मौसी का घर माना जाता है, जहां वे एक सप्ताह रुकते हैं और फिर वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं।
इस अवसर पर पूरे पुरी शहर में ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हो भक्ते’ के जयकारे गूंजते हैं। भक्तों की भीड़ और रथों की भव्यता देखने लायक होती है। रथ खींचने से पहले मंदिर में विधिवत मंगल आरती, पहांडी यात्रा, और छेरा पहनरा जैसे पारंपरिक अनुष्ठान संपन्न किए गए।
सोने की झाड़ू और रथ यात्रा की शुरुआत
पुरी के राजा ने परंपरा के अनुसार सोने की झाड़ू से रास्ता बुहारा, जिसके बाद भगवान बलभद्र के रथ को सबसे पहले खींचा गया। फिर सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ भक्तों द्वारा खींचा गया।
10,000 सुरक्षाकर्मी और हाई-टेक निगरानी
रथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था में 10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को लगाया गया, जिसमें CAPF की 8 कंपनियां भी शामिल थीं। ओडिशा के डीजीपी वाई.बी. खुरानिया ने बताया कि पूरे मार्ग पर 275 से अधिक AI-Enabled CCTV कैमरों से नजर रखी जा रही है, ताकि हर स्थिति पर रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सके।
पुरी की रथ यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का भी सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। हालांकि, इस वर्ष की भीषण गर्मी और भीड़ ने कई चुनौतियां पेश कीं, लेकिन सरकार और प्रशासन ने तत्परता से स्थिति को संभाला। रथ यात्रा अभी भी जारी है और भक्त गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं।