Punjab Flood 2025: आखिर क्यों आ रही बाढ़? कौन है जिम्मेदार- दैवीय आपदा या मानव निर्मित प्रकोप?

Punjab Flood 2025: पंजाब इन दिनों भीषण बारिश और बाढ़ की चपेट में है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि राज्य सरकार को मजबूरन पूरे प्रदेश को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करना पड़ा। लगातार हो रही बारिश और नदियों में बढ़ते जलस्तर ने पंजाब के लगभग हर जिले को प्रभावित कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1,400 से ज्यादा गांव जलमग्न हो चुके हैं और 30 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। दशकों बाद पंजाब के लोग इस तरह के विकराल हालात का सामना कर रहे हैं।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह केवल एक दैवीय आपदा है या फिर हमारी गलतियों से उपजा मानव निर्मित प्रकोप? आइए विस्तार से समझते हैं –
बाढ़ से तबाह पंजाब: हर ओर हाहाकार
पंजाब में बीते कुछ दिनों से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। इससे सतलुज, ब्यास और घग्गर जैसी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। कई जगहों पर बांध और नाले उफान पर हैं, जिससे निचले इलाके पूरी तरह डूब चुके हैं।
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23 जिलों में से हर जिला प्रभावित
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1,400 गांवों में पानी भर चुका है
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लाखों लोग बेघर या विस्थापित हुए हैं
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30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है
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हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है
गांवों में खेतों और घरों में घुटनों से ऊपर तक पानी जमा है। स्कूल, अस्पताल और सरकारी इमारतें भी जलभराव से प्रभावित हैं। राहत और बचाव कार्य तेज हैं, लेकिन हालात फिलहाल काबू से बाहर दिखाई दे रहे हैं।
क्या सिर्फ प्रकृति जिम्मेदार है?
बारिश और बाढ़ को अक्सर लोग “दैवीय आपदा” कहते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल प्राकृतिक कारणों से नहीं होता, बल्कि इसमें इंसानी गलतियों की भी बड़ी भूमिका होती है।
1. अनियोजित शहरीकरण
पंजाब के शहर और कस्बों का विस्तार बिना किसी ठोस प्लानिंग के हुआ है। नालों और जलनिकासी की जगहों पर कॉलोनियां और सड़कें बना दी गईं। नतीजा ये है कि बारिश का पानी निकलने के बजाय बस्तियों में घुस जाता है।
2. नदियों और नालों का अतिक्रमण
सालों से लोग नदियों और नालों के किनारे अवैध निर्माण करते रहे हैं। इससे पानी का नैचुरल फ्लो रुक गया और थोड़ी ज्यादा बारिश में भी जलभराव होने लगा।
3. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
ग्लोबल वार्मिंग और बदलते मौसम पैटर्न की वजह से मानसून अब असामान्य हो गया है। कभी बारिश कम होती है, तो कभी अचानक इतनी तेज बरसात हो जाती है कि सिस्टम संभल नहीं पाता।
4. जंगलों की कटाई और मिट्टी का कटाव
हरियाली और जंगलों की कटाई से मिट्टी बांधने की क्षमता खत्म हो गई है। नतीजा ये है कि तेज बारिश में पानी तेजी से बहकर निचले इलाकों में तबाही मचाता है।
राज्य सरकार और प्रशासन की चुनौती
पंजाब सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पूरे प्रदेश को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है। एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में लगी हैं। हेलीकॉप्टर और बोट के जरिए फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
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प्रभावित इलाकों में राहत शिविर लगाए गए हैं।
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ग्रामीणों को खाने-पीने का सामान और दवाइयां दी जा रही हैं।
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पानी से डूबी सड़कों पर सेना और पुलिस की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है।
लेकिन इतनी बड़ी तबाही को काबू में लाना आसान नहीं है।
बाढ़ के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
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किसानों पर सबसे बड़ा असर
हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। धान और मक्के की खेती पूरी तरह डूब चुकी है। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा। -
स्वास्थ्य संकट
जलभराव से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। डेंगू, मलेरिया और दस्त जैसी बीमारियां फैलने का डर है। -
बेरोजगारी और विस्थापन
कई परिवार बेघर हो गए हैं। जिनकी रोजी-रोटी खेती या छोटे कारोबार पर निर्भर थी, वे सब ठप हो चुके हैं।
भविष्य के लिए क्या सबक?
विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में बार-बार बाढ़ जैसी स्थिति से बचने के लिए दीर्घकालिक उपाय करने होंगे –
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जलनिकासी सिस्टम को मजबूत करना होगा।
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नदियों और नालों से अतिक्रमण हटाना होगा।
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जंगलों और हरियाली को बचाना होगा।
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जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर आपदा प्रबंधन की योजना बनानी होगी।
पंजाब में आई बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि हमारी लापरवाहियों और अनियोजित विकास का नतीजा भी है। जब तक हम प्रकृति से छेड़छाड़ करना बंद नहीं करेंगे और टिकाऊ विकास की ओर कदम नहीं बढ़ाएंगे, तब तक ऐसी आपदाएं बार-बार हमें तबाह करती रहेंगी।
आज जरूरत है कि सरकार, समाज और नागरिक मिलकर न सिर्फ राहत और बचाव कार्य पर ध्यान दें, बल्कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।