Plastic Upcycling: भारत में प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति अत्यंत गंभीर है, और हालिया अध्ययनों के अनुसार, भारत विश्व का सबसे बड़ा प्लास्टिक प्रदूषक बन चुका है। आज वैश्विककरण के इस दौर में, जहां हमें सब कुछ पैकेट में चाहिए और बना बनाया चाहिए, जिसकी वजह से हम प्राकृतिक चीजों से दूर होते जा रहे हैं। हम अपने दैनिक जीवन में ना जाने कितना प्लास्टिक का प्रयोग करने लगे हैं और ये दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। हम सोचते है कि अरे इतना ही तो इतने से क्या ही प्लास्टिक प्रदूषण होगा, लेकिन आप अपने द्वारा यूज किए गए प्लास्टिक को देश की आबादी से गुणा कीजिए। फिर देखिए कितना प्लास्टिक एक दिन में यूज हो रहा है। इतना ही नहीं आप एक महीना अपने द्वारा प्लास्टिक को कूड़ेदान में ना फेंककर इकट्ठा करना शुरु कीजिए, फिर देखिए आप एक महीने में ही कितना प्लास्टिक यूज कर रहे हैं। लेकिन आपका प्लास्टिक इकट्ठा करना बेकार नहीं जाएगा, हम आपको आगे बताएंगे कि आप इसका अपसाइकल करने में कैसे मदद कर सकते हैं। हमारा एक छोटा कदम बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।
इसके समाधान के लिए सरकार, उद्योग और नागरिकों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक के उपयोग में कमी, पुनर्चक्रण को बढ़ावा और प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन आवश्यक हैं। इस दिशा में हमें और आपको ही काम करना है, क्योंकि हमारी प्रकृति हमारी जिम्मेदारी है। मल्टीलेयर प्लास्टिक रिसाइकल करना इंपोसिबल होता है, इसलिए हमें प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम करना चाहिए क्योंकि आज के समय में प्लास्टिक का पूरी तरह से बंद करना तो मुश्किल हो गया है। लेकिन हम उन प्लास्टिक बैग्स को कूड़ेदान में ना फेंककर दान कर सकते हैं। जी हां आप प्लास्टिक डोनेट करके अपने पर्यावरण को साफ बनाने में एक छोटा सा योगदान दे सकते हैं। क्योंकि कई सोशल उद्यमियां है जो प्लास्टिक का अपसाइकल करके पर्यावरण को दूषित होने से बचा रही है, उसी में से एक सामाजिक संस्था है इकोकारी (ECOKAARI). तो आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे (EcoKaari) इकोकारी सोशल उद्यम के बारे में, जो अपशिष्ट प्लास्टिक को अपसाइकल करके सुंदर हस्तनिर्मित उपयोगी वस्तुएं बनाती है। आइए पहले जानते है इकोकारी (EcoKaari) क्या है?
इकोकारी (EcoKaari): इकोकारी (EcoKaari) एक सामाजिक संस्था है। EcoKaari UPCYCLES अपशिष्ट प्लास्टिक को चरखा (स्पिंडल) और हथकरघा का उपयोग करके सुंदर हस्तनिर्मित कपड़े बनाती है। इनका लक्ष्य पारंपरिक भारतीय शिल्प को अपसाइकल-हैंडवुवेन कपड़ों के साथ समकालीन डिजाइनों के साथ जोड़कर टिकाऊ विकल्प प्रस्तुत करना और नवाचार करना है।
अपसाइकलिंग (Upcycling) क्या है— पुरानी या बेकार चीज़ों को नया रूप देकर कुछ बेहतर और उपयोगी बनाना। यह रिसाइक्लिंग से एक कदम आगे की प्रक्रिया है क्योंकि इसमें चीज़ों की क्वालिटी और वैल्यू बढ़ाई जाती है। यहीं काम करता है सामाजिक संस्था इकोकारी।
आइए अब जानते हैं इकोकारी को प्लास्टिक कैसे डोनेट करें…
इकोकारी में किस तरह के प्लास्टिक दान कर सकते हैं।
- पॉलीथिन, ग्रॉसरी प्लास्टिक बैग्स
- सर्फ, चिप्स और कुकीस के मल्टीलेयर रेपर्स
- गिफ्ट्स के रेपर्स
- पुरानी ऑडियो और वीडियो के कैसेट टेप्स
इकोकारी में कैसे प्लास्टिक दान नहीं कर सकते हैं।
- दूध और तेल के पैकेट्स
- छोटे पाउच और स्ट्रोस
- टेट्रा पैक, पेैट बॉट्ल्स और सीडी
आपको प्लास्टिक के बैग्स या रेपर्स को कैसे काटना है, जिससे कि उसको अपसाइकल करना आसान हो। प्लास्टिक रैपर्स को हमेशा कट निशान दिए गए जगह से ही काटना चाहिए क्योंकि कहीं से भी काटने या फाड़ने से उन प्लास्टिक को अपसाइकल करना मुश्किल हो जाता है।
प्लास्टिक को डोनेट करने के लिए इकोकारी का एड्रेस है, यहां दो एड्रेस दिए गए है…
- महाराष्ट्र-
EcoKaari – Humanising Fashion
- पुणे-
(Landmark – New Balaji Traders / Healthcare Medical)
Email at:
info@ecokaari.org or ecokaari@gmail.com
Offical Website: www.ecokaari.org/
इसी के साथ ही अगर आप EcoKaari द्वारा बनाए गए सुंदर हस्तशिल्प प्रॉडक्ट को खरीदना चाहते है तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके प्रॉडक्ट की डिटेल चेक कर सकते हैं और खरीद सकते हैं।
इसके अलावा आप अपने क्षेत्र में भी प्लास्टिक रिसाइकल/अपसाइकल संस्था से भी जुड़ सकते हैं। याद रखिए, हमारा एक कदम हमारे पर्यावरण में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। क्योंकि प्लास्टिक प्रदूषण आज एक वैश्विक आपदा बन चुकी है, जिससे निपटना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। यह न केवल पर्यावरण का सवाल है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के जीवन से जुड़ा विषय है। हमें न केवल सरकार और संगठनों पर निर्भर रहना चाहिए, बल्कि स्वयं भी अपने जीवन में ऐसे बदलाव लाने चाहिए जो प्लास्टिक प्रदूषण को कम कर सकें। यदि हम आज जागरूक नहीं हुए, तो आने वाला कल बहुत अधिक कठिन हो सकता है।
हमें याद रखना चाहिए –
“धरती हमारी है, जिम्मेदारी भी हमारी है।”