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प्लास्टिक के कप में चाय पीने के खतरों को जानिए

प्लास्टिक कप में चाय पीने के नुकसान

प्लास्टिक कप में चाय पीने के नुकसान

सुबह-सुबह चाय की प्याली हाथ में लेकर धूप सेंकना — हमारे देश में चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक भावना है। माँ की रसोई से उठती अदरक वाली चाय की खुशबू, रेलवे स्टेशन पर कुल्हड़ से आती मिट्टी की सौंधी महक, दोस्तों के साथ ठहाकों के बीच बँटी चुस्कियाँ — चाय ने हमें अनगिनत यादें दी हैं।

लेकिन आज, जब आप किसी चाय की दुकान पर रुकते हैं, तो हाथ में एक हल्का, चमकदार प्लास्टिक का कप थमा दिया जाता है। सस्ता, सुविधाजनक, पर क्या आपने कभी सोचा है — इस छोटे से प्लास्टिक के कप के बदले हम क्या खो रहे हैं?

प्लास्टिक के कप में चाय पीने से होता है क्या?

जब गर्म चाय प्लास्टिक के कप में डाली जाती है, तो उच्च तापमान के कारण प्लास्टिक में मौजूद रसायन (जैसे BPA, Styrene) चाय में घुलने लगते हैं।

ये रसायन धीरे-धीरे हमारे शरीर में पहुँचकर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं:

सोचिए, जिस चाय से हम सुकून पाना चाहते हैं, वही अगर धीरे-धीरे हमारे शरीर को बीमार कर दे, तो क्या वो सुकून असली रह पाएगा?

बचपन के कुल्हड़ बनाम आज का प्लास्टिक

याद है वो मिट्टी के कुल्हड़ जिनमें चाय पीते ही एक अनकही खुशी मिलती थी?

उस कुल्हड़ की मिट्टी की सोंधी खुशबू चाय में घुल जाती थी, और वो प्याली एक अनुभव बन जाती थी।

प्लास्टिक के कप में न खुशबू है, न स्वाद — सिर्फ एक रासायनिक बोझ है, जो न शरीर के लिए अच्छा है, न आत्मा के लिए।

कुल्हड़ में चाय का स्वाद सिर्फ स्वाद नहीं था, वो हमारे गाँव-शहर की मिट्टी से जुड़ने का एक जरिया था।

आज जब हम प्लास्टिक के कप से चाय पीते हैं, तो कहीं न कहीं हम अपनी जड़ों से भी दूर हो रहे हैं।

पर्यावरण पर भी पड़ता है भारी असर

प्लास्टिक का कप एक बार उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है, और फिर वो सालों तक मिट्टी में सड़ता नहीं।

हर एक प्लास्टिक कप जो आज फेंका गया, वह हमारी धरती पर सैकड़ों सालों तक बोझ बना रहेगा।

नदियाँ, खेत, जानवर — सब इस प्लास्टिक प्रदूषण से जूझ रहे हैं।

सोचिए, चाय की एक चुस्की के लिए हम अपनी धरती माँ पर क्या-क्या थोप रहे हैं।

समाधान क्या है?

एक छोटी सी सोच, एक बड़ा बदलाव

कभी अगली बार जब चाय का मन करे और आपके हाथ में प्लास्टिक का कप थमाया जाए — तो एक पल के लिए रुकिए।

सोचिए — ये सिर्फ चाय नहीं है। ये आपके स्वास्थ्य की, आपकी मिट्टी की, और आपके बचपन की खुशबू की भी बात है।

कुल्हड़ में चाय पीजिए — सेहत भी बचेगी, यादें भी महकेंगी, और धरती भी मुस्कराएगी।

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