Pitru Paksha 2025: सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) का अत्यंत महत्व है। इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 से 21 सितंबर 2025 तक रहेगा। इन 15 दिनों में अपने पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से आत्माओं को शांति और कर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
श्राद्ध शब्द “श्रद्धा” से बना है, जिसका अर्थ है – पितरों के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करना। धार्मिक मान्यता है कि हमारे शरीर और रक्त में पितरों के अंश मौजूद हैं और इसी कारण उन पर हमारा ऋण होता है। इस ऋण को उतारने के लिए श्राद्ध कर्म का विधान है।
पितृ पक्ष 2025 तिथियां और शुभ मुहूर्त
इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा। हर दिन का अपना श्राद्ध और तर्पण का महत्व होता है।
| तिथि | श्राद्ध | कुतुप मुहूर्त | रौहिणी मुहूर्त | अपराह्न काल |
|---|---|---|---|---|
| 7 सितंबर | पूर्णिमा श्राद्ध | 11:54 AM – 12:44 PM | 12:44 PM – 01:34 PM | 01:34 PM – 04:05 PM |
| 8 सितंबर | प्रतिपदा श्राद्ध | 11:53 AM – 12:44 PM | 12:44 PM – 01:34 PM | 01:34 PM – 04:04 PM |
| 9 सितंबर | द्वितीया श्राद्ध | 11:53 AM – 12:43 PM | 12:43 PM – 01:33 PM | 01:33 PM – 04:03 PM |
| 10 सितंबर | तृतीया/चतुर्थी श्राद्ध | 11:53 AM – 12:43 PM | 12:43 PM – 01:33 PM | 01:33 PM – 04:02 PM |
| 11 सितंबर | पंचमी श्राद्ध | 11:53 AM – 12:42 PM | 12:42 PM – 01:32 PM | 01:32 PM – 04:02 PM |
| 12 सितंबर | षष्ठी श्राद्ध | 11:53 AM – 12:42 PM | 12:42 PM – 01:32 PM | 01:32 PM – 04:02 PM |
| 13 सितंबर | सप्तमी श्राद्ध | 11:52 AM – 12:42 PM | 12:42 PM – 01:31 PM | 01:31 PM – 04:00 PM |
| 14 सितंबर | अष्टमी श्राद्ध | 11:52 AM – 12:41 PM | 12:41 PM – 01:31 PM | 01:31 PM – 03:59 PM |
| 15 सितंबर | नवमी श्राद्ध | 11:51 AM – 12:41 PM | 12:41 PM – 01:30 PM | 01:30 PM – 03:58 PM |
| 16 सितंबर | दशमी श्राद्ध | 11:51 AM – 12:41 PM | 12:41 PM – 01:30 PM | 01:30 PM – 03:57 PM |
| 17 सितंबर | एकादशी श्राद्ध | 11:51 AM – 12:41 PM | 12:41 PM – 01:30 PM | 01:30 PM – 03:56 PM |
| 18 सितंबर | द्वादशी श्राद्ध | 11:51 AM – 12:39 PM | 12:39 PM – 01:28 PM | 01:28 PM – 03:55 PM |
| 19 सितंबर | त्रयोदशी श्राद्ध | 11:51 AM – 12:39 PM | 12:39 PM – 01:28 PM | 01:28 PM – 03:55 PM |
| 20 सितंबर | चतुर्दशी श्राद्ध | 11:50 AM – 12:39 PM | 12:39 PM – 01:27 PM | 01:27 PM – 03:54 PM |
| 21 सितंबर | सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध | 11:51 AM – 12:38 PM | 12:38 PM – 01:27 PM | 01:27 PM – 03:53 PM |
श्राद्ध और तर्पण दोपहर 12 बजे के बाद कुतुप व रोहिणी मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना गया है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध विधि
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सुबह स्नान कर घर की शुद्धि करें और गंगाजल छिड़कें।
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दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठे।
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तांबे या पीतल के पात्र में गंगाजल, काले तिल और दूध मिलाएं।
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दोनों हाथों में जल लेकर अंजलि बनाएं और तीन बार पितरों को अर्पित करें।
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पितरों का स्मरण करते हुए ब्राह्मण को भोजन कराएं।
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पंचबली (गाय, कुत्ता, कौवा, देवता और चींटी) को अन्न अवश्य दें।
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ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद दान दें और आशीर्वाद लें।
पितृ पक्ष में तर्पण विधि
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पीतल या स्टील की परात में जल, तिल और दूध मिलाएं।
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हाथों में कुश लेकर अंजलि बनाकर जल अर्पित करें।
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हर पितृ के लिए कम से कम तीन बार तर्पण करें।
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अंत में पितरों के नाम से भोजन और खीर अग्नि में अर्पित करें।
श्राद्ध का महत्व
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श्राद्ध से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
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कर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है।
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जीवन में सुख-समृद्धि और संतानों की उन्नति होती है।
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घर में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
इस प्रकार पितृ पक्ष 2025 में श्राद्ध और तर्पण करना हर गृहस्थ का धर्म माना गया है। जो भी सच्चे मन से इस विधि को करता है, उसके जीवन में पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।

