देवेंद्र सिंह से लेकर ज्योति तक – ISI के लिए काम कर रहे थे भारतीय?

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ज्योति मल्होत्रा से देवेंद्र तक: क्या भारत में छिपे हैं ISI के एजेंट?

ज्योति मल्होत्रा से देवेंद्र तक: क्या भारत में छिपे हैं ISI के एजेंट?

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां एक बार फिर सतर्क हो गई हैं क्योंकि हाल ही में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में कुछ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। इन मामलों में सबसे अधिक चर्चा में हैं – ज्योति मल्होत्रा, एक सिविलियन महिला, और देवेंद्र सिंह, जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी। इन गिरफ्तारियों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत के भीतर अब भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम करने वाले जासूस सक्रिय हैं?

कौन हैं ज्योति मल्होत्रा?

ज्योति मल्होत्रा को भारतीय खुफिया एजेंसियों ने एक लंबे समय तक चले ऑपरेशन के बाद पकड़ा है। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, वह सोशल मीडिया और ऑनलाइन चैटिंग ऐप्स के जरिए पाकिस्तानी हैंडलर्स को संवेदनशील जानकारी भेजने के शक में गिरफ्तार हुई हैं।
सूत्रों के मुताबिक:

  • वह सेना के कैंपों से जुड़ी जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही थीं।

  • उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI द्वारा हनीट्रैप के ज़रिए संपर्क किया गया था।

  • मोबाइल डेटा, फोटोज और लोकेशन डिटेल्स ISI को भेजे गए।

देवेंद्र सिंह: पूर्व पुलिस अफसर और आतंकवादियों से संबंध

देवेंद्र सिंह, जम्मू-कश्मीर पुलिस में डिप्टी एसपी के पद पर तैनात था। उन्हें 2020 में गिरफ्तार किया गया जब वह आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ कार में पकड़ा गया। जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:

  • देवेंद्र सिंह पहले भी आतंकियों को हथियार सप्लाई करने और पनाह देने के मामलों में संदेह के घेरे में रहा है।

  • उनके पास से भारी मात्रा में कैश, हथियार और ISI से जुड़ी संदिग्ध गतिविधियों के सबूत मिले।

  • NIA की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि वह लंबे समय से ISI से जुड़े नेटवर्क के संपर्क में थे।

नोमान इलाही: डार्क वेब का जासूस

पानीपत, हरियाणा के नोमान इलाही की गिरफ्तारी ने जासूसी के डिजिटल आयाम को उजागर किया। पेशे से कंप्यूटर ऑपरेटर नोमान डार्क वेब (Dark Web) के जरिए ISI के लिए काम कर रहा था। उसने रेलवे और सैन्य मूवमेंट की जानकारी विदेशी नंबरों पर भेजी। पूछताछ में नोमान ने स्वीकार किया कि वह नकदी के बदले लोगों से USB ड्राइव और दस्तावेज लेता था और उन्हें डार्कनेट पर अपलोड करता था। उसकी तकनीकी विशेषज्ञता ने उसे ISI का भरोसेमंद एजेंट बनाया। नोमान की गिरफ्तारी ने डार्क वेब के जरिए जासूसी के खतरे को सामने लाया, जो पारंपरिक जासूसी से कहीं अधिक जटिल है।

जासूसी की सजा: कितना गंभीर है अपराध?

भारत में जासूसी एक गंभीर गैर-जमानती अपराध है। भारतीय दंड संहिता और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act, 1923) के तहत:

अपराध सजा
विदेशी ताकत के लिए जासूसी उम्रकैद या 14 साल तक की कैद
सैन्य गोपनीय जानकारी साझा करना फांसी तक की सजा (यदि युद्ध जैसी स्थिति हो)
इलेक्ट्रॉनिक डेटा चोरी IT Act + Official Secrets Act के तहत संयुक्त सजा

अगर इन मामलों में आरोपी दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें उम्रकैद या यहां तक कि फांसी की सजा तक हो सकती है, खासकर अगर यह साबित हो जाए कि उनकी जानकारी से भारत की सैन्य सुरक्षा को नुकसान पहुंचा है।

सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती

इन घटनाओं से भारत की खुफिया एजेंसियों के सामने कुछ कड़े सवाल खड़े होते हैं:

  • ISI लगातार हनीट्रैप, साइबर साजिश और पैसे के लालच से भारतीय नागरिकों और अधिकारियों को फंसा रहा है।

  • सोशल मीडिया, WhatsApp, Telegram जैसे प्लेटफॉर्म अब नए ‘जासूसी हथियार’ बन गए हैं।

  • आंतरिक सुरक्षा अब उतनी ही अहम हो गई है जितनी सीमावर्ती सुरक्षा।

क्या कर रही है सरकार?

भारत सरकार और गृह मंत्रालय ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  • सभी सेना और सुरक्षा बलों में साइबर जागरूकता ट्रेनिंग अनिवार्य की गई है।

  • सोशल मीडिया मॉनिटरिंग यूनिट्स को और अधिक तकनीकी सहायता दी गई है।

  • ISI से जुड़े नेटवर्क को खत्म करने के लिए कई सीक्रेट ऑपरेशन चल रहे हैं।

ज्योति मल्होत्रा से लेकर देवेंद्र सिंह तक के मामले इस बात का संकेत हैं कि भारत के भीतर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अभी भी सक्रिय है और वह भारतीय नागरिकों को लालच या ब्लैकमेल के ज़रिए अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है।
ऐसे में आम जनता, सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षाबलों को सावधान रहना, जानकारी साझा करने से पहले सोचना और संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत रिपोर्ट करना बेहद जरूरी है।

देशभक्ति केवल सीमा पर लड़ाई लड़ने तक सीमित नहीं है — यह डिजिटल और मानसिक सतर्कता भी है।

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