जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बार फिर से तनाव पैदा कर दिया है। इस हमले में अब तक कम से कम 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। मारे गए लोगों में 26 वर्षीय नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नारवाल भी शामिल हैं, जो हनीमून मनाने गए थे और आतंकियों की गोली का शिकार बन गए।
यह हमला अनुच्छेद 370 हटने के बाद का सबसे भयावह हमला बताया जा रहा है।
एक युवा अफसर का अधूरा सपना
लेफ्टिनेंट नारवाल दो साल पहले नौसेना में भर्ती हुए थे और हाल ही में उन्होंने हिमांशी से विवाह किया था। शादी के महज सात दिन बाद उनकी जिंदगी का अंत हुआ, जब आतंकियों ने बैसरन घाटी में अंधाधुंध फायरिंग की।
उनके दादा हवा सिंह ने NDTV को बताया, “उसने बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखा था। पर अब क्या मांगें सरकार से? उसे तो कोई लौटा नहीं सकता।”
राजनीतिक और कूटनीतिक भूचाल
हमले के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे, और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में। पीएम मोदी ने दौरा बीच में ही रद्द कर दिल्ली लौटते हुए हमले की कड़ी निंदा की और कहा, “दुष्ट ताकतों की यह साजिश कभी सफल नहीं होगी।”
वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने घटनास्थल का दौरा कर सुरक्षा एजेंसियों को कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पाकिस्तान पर संदेह की सुई
हमले के बाद पाकिस्तान से कई प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं। पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने लिखा, “किसी भी भारतीय दुस्साहस का पाकिस्तान मुँहतोड़ जवाब देगा।”
वहीं पाकिस्तान की सांसद शेरी रहमान ने हमले की निंदा की, लेकिन भारत पर आरोप लगाया कि वह हमेशा पाकिस्तान को दोष देता है।
इससे पहले पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर का विवादास्पद बयान सुर्खियों में था, जिसमें उन्होंने कश्मीर को “पाकिस्तान की गर्दन की नस” और हिन्दू-मुसलमानों के बीच “मूलभूत फर्क” की बात कही थी। विश्लेषकों का मानना है कि उनका यह भाषण हमले के समय के लिहाज़ से बेहद असंवेदनशील था।
पाकिस्तानी पत्रकार और विश्लेषक भी इस भाषण को लेकर विभाजित हैं। कुछ इसे “ब्रेनवॉश की रणनीति” बता रहे हैं, तो कुछ इसे “नफरत फैलाने वाला” करार दे रहे हैं।
क्या भारत करेगा सैन्य कार्रवाई?
द इकनॉमिस्ट के डिफेंस एडिटर शशांक जोशी का मानना है कि भारत मई के अंतिम सप्ताह में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है। उनके अनुसार, “भारत यदि तय कर ले कि किसने यह किया है और जवाब देना है, तो कोई उसे रोक नहीं पाएगा।”
एक असहज शांति और आने वाले दिन
पहलगाम हमले ने जम्मू-कश्मीर में शांति की उस उम्मीद को झकझोर दिया है, जो हाल के वर्षों में बढ़ते पर्यटन और राजनीतिक स्थिरता के कारण बनी थी। यह हमला न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स में उबाल लाने वाला मोड़ भी बन सकता है।
अब यह देखना शेष है कि भारत इस हमले का कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से क्या जवाब देता है—क्या यह एक और सर्जिकल स्ट्राइक की भूमिका है, या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरने की योजना?