श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जांच लगातार गहराती जा रही है। बैसरन घाटी में हुए इस हमले में आतंकियों ने कथित तौर पर धर्म पूछकर 27 हिंदू पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी थी। अब इस जघन्य वारदात की तह तक जाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मोर्चा संभाल लिया है। जांच के दौरान सामने आया है कि इस हमले में स्थानीय पोनी राइडर्स यानी खच्चर चालकों की भूमिका संदिग्ध हो सकती है।
1500 से ज्यादा पोनी राइडर्स से हुई पूछताछ
सूत्रों के अनुसार, एनआईए अब तक करीब 1500 से 2000 पोनी राइडर्स से पूछताछ कर चुकी है। एजेंसियों का फोकस इस बात पर है कि आतंकियों ने दुर्गम पहाड़ी इलाकों से कैसे घुसपैठ की और क्या इस दौरान किसी स्थानीय की मदद ली गई। यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आतंकियों का पहलगाम में आना-जाना कैसे संभव हुआ, और क्या एंट्री व एग्जिट पॉइंट्स पर मौजूद स्थानीय लोगों को कुछ जानकारी थी।
बयानों में विरोधाभास से बढ़ा शक, कई हिरासत में
एनआईए सूत्रों ने बताया कि बीते आठ दिनों से लगातार खच्चर चालकों से पूछताछ हो रही है। इस दौरान कई राइडरों के बयान आपस में मेल नहीं खा रहे हैं, जिससे उनकी भूमिका पर संदेह गहराता जा रहा है। कुछ संदिग्ध पोनी राइडर्स को हिरासत में भी लिया गया है, जिनसे गहन पूछताछ जारी है।
तकनीकी निगरानी के दायरे में कई खच्चर चालक
जांच एजेंसियां अब इन पोनी राइडर्स की कॉल डिटेल्स, मोबाइल डेटा और लोकेशन हिस्ट्री खंगाल रही हैं। यह देखा जा रहा है कि कहीं उनका संपर्क किसी आतंकी संगठन या संदिग्ध व्यक्ति से तो नहीं हुआ। तकनीकी साक्ष्यों के जरिए एजेंसियां यह भी जानने की कोशिश कर रही हैं कि किन-किन रास्तों से आतंकी इलाके में दाखिल हुए और किसने इसमें सहायता की।
स्थानीय सहयोग से इनकार नहीं, जांच में और तेज़ी
एनआईए और अन्य एजेंसियों का मानना है कि हमले को अंजाम देने के लिए आतंकियों को स्थानीय स्तर पर किसी न किसी रूप में सहायता जरूर मिली होगी। पहलगाम और आसपास के दुर्गम इलाकों की भौगोलिक जानकारी के बिना इस तरह का हमला कर पाना संभव नहीं लगता। आने वाले दिनों में पूछताछ का दायरा और बढ़ सकता है, और कुछ और गिरफ्तारियां भी संभव हैं।
पहलगाम में हुए इस वीभत्स हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। एनआईए की जांच जिस दिशा में बढ़ रही है, उससे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि स्थानीय नेटवर्क की भूमिका की गहन जांच जरूरी है। यह मामला केवल आतंकी हमले का नहीं, बल्कि आतंकवाद और स्थानीय तंत्र के संभावित गठजोड़ का भी संकेत देता है।