Operation SINDOOR: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर जहां पूरे देश में गुस्सा और दुख है, वहीं अब सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए जवाबी मिशन “ऑपरेशन सिंदूर” ने पीड़ितों के दिलों को छू लिया है। इस ऑपरेशन का नाम सुनकर हमले की एक घायल पीड़िता भावुक हो गई और कहा – “मुझे नहीं पता था कि देश हमें इतनी गहराई से याद रखेगा, ये नाम हमारे जख्मों पर मरहम जैसा है।”
हमले में खोया परिवार, बच गई एक उम्मीद
हमले की शिकार 35 वर्षीय अंजलि सिंह, जो कि अपने पति और 7 साल की बेटी के साथ यात्रा पर निकली थीं, इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। दुर्भाग्य से उनके पति और बेटी की मौके पर ही मौत हो गई थी। श्रीनगर के अस्पताल में उपचाराधीन अंजलि अब धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं।
“जब मैंने सुना कि सेना ने ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर‘ रखा है, मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैं खूब रोई। यह मेरे लिए सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि मेरे पति और बेटी को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि है,” अंजलि ने अस्पताल के बिस्तर से कहा।
सुरक्षा बलों की संवेदनशीलता ने जीता दिल
भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जिस तरह से ऑपरेशन को अंजाम दिया और पीड़ितों की भावनाओं का ख्याल रखा, उसने देशवासियों का दिल छू लिया है। “सिंदूर” नाम का यह ऑपरेशन आतंकियों के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई थी, जिसमें प्रमुख साजिशकर्ताओं को ढूंढकर मार गिराया गया।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह ऑपरेशन केवल सुरक्षा की दृष्टि से नहीं, बल्कि नैतिक और भावनात्मक मोर्चे पर भी हमारे संकल्प को दर्शाता है।”
देशभर से मिल रहा समर्थन
सोशल मीडिया पर #OperationSindoor ट्रेंड कर रहा है। लोग इसे सेना की संवेदनशीलता और पीड़ितों के सम्मान का प्रतीक मान रहे हैं। कई लोग कह रहे हैं कि यह सिर्फ बदला नहीं, बल्कि मानवीयता की मिसाल है।
सरकार ने दिए सहायता के निर्देश
केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे और पुनर्वास की योजना घोषित की है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “हम पीड़ितों के साथ खड़े हैं। आतंक का जवाब पूरी ताकत और मानवीयता दोनों से देंगे।”
“ऑपरेशन सिंदूर” केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि उन मासूमों को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि है जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गंवाई। अंजलि जैसे पीड़ितों के लिए यह एक नई उम्मीद है, कि देश उन्हें भूला नहीं, बल्कि उनके दर्द को सम्मान के साथ याद रखता है।