नई दिल्ली : नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत के लिए विकसित राज्य @2047’ विषय पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों के साथ अहम विचार-विमर्श किया। इस बैठक का उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को मज़बूत कर, सतत विकास, रोजगार सृजन और नीति नवाचार के ज़रिए भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है।
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल:
यह भारत सरकार की नीति- निर्माण व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो शासी परिषद का एक प्रमुख निकाय है जिसका कार्य विकास की कहानी को आकार देने में राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और रणनीतियों का साझा दृष्टिकोण विकसित करना है।
गवर्निंग काउंसिल नीति आयोग का सर्वोच्च नीति- निर्माणक निकाय है जो केंद्र और राज्यों को एक साथ लाकर सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है।
सहकारी संघवाद के उद्देश्यों को मूर्त रूप देने वाली शासी परिषद, राष्ट्रीय विकास एजेंडे के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए अंतर-क्षेत्रीय, अंतर-विभागीय और संघीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रस्तुत करती है।
इसके सदस्य भारत के प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), मुख्यमंत्री (विधानसभा वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश), अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उपराजयपाल तथा इसके पदेन सदस्य में नीति आयोग के उपाध्यक्ष और पूर्वकालिक सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आदि होते है।
कार्य:
- गवर्निंग काउंसिल सचिवालय (जीसीएस) गवर्निंग काउंसिल की बैठकों का समन्वय करता है।
- राष्ट्रीय विकास के मुद्दों पर चर्चा करना और राज्य के दृष्टिकोण को राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित करना।
- जीसीएस संसद में परिचालन के लिए नीति आयोग की वार्षिक रिपोर्ट से संबंधित मामलों के समन्वय के लिए नोडल प्रभाग के रूप में कार्य करता है।
- सामूहिक नीति निर्माण और विकेन्द्रित योजना के लिए एक मंच प्रदान करना।
- बैठक के परिणामों के अनुवर्ती कार्यों और कार्यान्वयन का समन्वय करना।
- यह प्रभाग संसदीय प्रश्नों, स्थायी समिति के मामलों, आरटीआई प्रश्नों , जीसीएस से संबंधित सीपीजीआरएएमएस शिकायतों को भी संभालता है।
नीति आयोग के बारे में:
- नीति आयोग भारत सरकार का प्रमुख नीतिगत थिंक-टैंक है, जिसे जनवरी 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के प्रस्ताव के माध्यम से स्थापित किया गया था, इसने पूर्ववर्ती योजना आयोग का स्थान लिया है।
- इसमें सहकारी संघवाद की भावना को प्रतिध्वनित करते हुए अधिकतम शासन और न्यूनतम सरकार की परिकल्पना को साकार करने के लिए ‘नीचे से ऊपर'( bottom up) के दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है।
- यह न तो संवैधानिक निकाय है और न ही वैधानिक निकाय है, क्योंकि इसका गठन कार्यकारी निर्णय द्वारा किया गया, न की क़ानूनी या संवैधानिक संशोधन के माध्यम से किया गया है।
- नीति आयोग का उद्देश्य सतत विकास को बढ़ावा देना, नीति नवाचार को बढ़ावा देना और शासन सुधारों को बढ़ाना इत्यादि।
नीति आयोग के दोहरे दायित्व है –
o देश भर में सतत विकास लक्ष्यों (एसजीडी) को अपनाने तथा कार्यान्वयन और निगरानी करना।
o विकास प्रक्रिया में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी बढ़ाकर प्रतीस्पर्धी और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना।
संगठनात्मक संरचना:
- नीति आयोग के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री है।
नीति आयोग की शासी परिषद में निम्नलिखित शामिल होते है –
o प्रधानमंत्री इसके प्रमुख तथा सभी राज्यों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री,केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल आदि।
o प्रधानमंत्री द्वारा नामित अधिकतम चार केंद्रीय मंत्री पदेन सदस्य होते है।
o प्रधानमंत्री द्वारा नामित विशेष आमंत्रित सदस्य (डोमेन विशेषज्ञ) ।
o पूर्णकालिक सदस्य नीति आयोग का उपाध्यक्ष होता होता है।
o नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रधानमंत्री द्वारा एक निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त, भारत सरकार में सचिव के पद पर कार्यरत होता है।
मुख्य उद्देश्य:
- भारत सरकार के लिए नीति थिंक टैंक के रूप में कार्य करना।
- न-संचालित,नवाचार- अनुकूलन और उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करना जो दीर्घकालिक सतत विकास का समर्थन करता है।
- सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देना।
- राज्यों और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के बीच ज्ञान साझा करने में सुविधा प्रदान करना।
- अंतर- क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय समन्वय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी विचारों को आर्थिक नीतियों और रणनीतियों के निर्माण में एकीकारण करना।
- 75 वर्ष में नये भारत के लिए रणनीति जैसी दीर्घकालिक रणनीतिक योजनाएं तैयार करना आदि।
नीति आयोग की 10 वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में राज्यों की अनूठी क्षमताओं का उपयोग कर जमीनी स्तर पर परिवर्तनकारी बदलाव लाने पर जोर दिया गया, जिससे भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाया जा सके, साथ ही उद्यमिता को बढ़ावा देने, कौशल विकास और देश भर में स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया गया।