निठारी कांड: सुप्रीम कोर्ट से पंधेर और कोली को राहत, सीबीआई साक्ष्य जुटाने में नाकाम

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निठारी कांड

बहुचर्चित निठारी कांड में एक बार फिर देश की जांच एजेंसियों की नाकामी सामने आई है। आरोपित मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 अक्टूबर 2023 को साक्ष्य के अभाव में दोनों को 12 मामलों में बरी कर दिया था। पीड़ित परिवारों को उम्मीद थी कि सीबीआई सर्वोच्च अदालत में ठोस साक्ष्य पेश करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

सुरेंद्र कोली पर अब सिर्फ बचा एक मामला

सुप्रीम कोर्ट में भी अभियोजन पक्ष अपराध साबित करने में नाकाम रहा। इसके बाद मोनिंदर सिंह पंधेर सभी मामलों से बरी हो गया, जबकि सुरेंद्र कोली पर अब सिर्फ एक मामला शेष है। वह गौतमबुद्ध नगर जिला जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

क्या है निठारी कांड?

दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी गांव के पास पंधेर के मकान के पीछे नाले से 19 बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंधेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

लेकिन जांच के दौरान पुलिस और फोरेंसिक टीम दोनों ही ठोस साक्ष्य जुटाने में असफल रही।

  • पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

  • मेडिकल जांच तक नहीं कराई गई।

  • फोरेंसिक जांच में भी खून के धब्बे या ठोस सबूत नहीं मिले।

सिर्फ इकबालिया बयान पर केस

पुलिस ने केवल इकबालिया बयान के आधार पर दोनों को आरोपित बनाया। लेकिन अदालत में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की असली चिप तक पेश नहीं की जा सकी। यहां तक कि सुरेंद्र कोली के कबूलनामे पर उसके हस्ताक्षर भी नहीं मिले, जिससे केस कमजोर हो गया।

सीबीआई की नाकामी और कोर्ट का फैसला

लंबी जांच के बावजूद सीबीआई मानव अंगों की तस्करी या हत्या के सबूत पेश करने में विफल रही। इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी साक्ष्य के अभाव में दोनों को राहत दी।

निठारी कांड ने एक बार फिर भारत की जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवार अब भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि आरोपितों को कानूनी लाभ मिल चुका है।

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