निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी पर मचा बवाल, कांग्रेस ने पीएम मोदी से पूछा सवाल

0
सुप्रीम कोर्ट पर निशिकांत दुबे की टिप्पणी के बाद राजनीतिक बवाल, कांग्रेस ने पीएम मोदी से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट पर निशिकांत दुबे की टिप्पणी के बाद राजनीतिक बवाल, कांग्रेस ने पीएम मोदी से मांगा जवाब

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। इस मुद्दे पर विपक्ष खासकर कांग्रेस ने तीखा रुख अपनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधा सवाल पूछा है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस बयान को भारतीय संविधान और लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणी प्रधानमंत्री की अनुमति के बिना संभव नहीं है।

पवन खेड़ा का तीखा सवाल: क्या पीएम मोदी की पार्टी पर अब पकड़ नहीं रही?

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “प्रधानमंत्री खुद को बहुत मजबूत नेता बताते हैं। अगर उनके सांसद इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर बयान दे रहे हैं, तो या तो यह उनकी सहमति से हो रहा है या फिर उनकी पार्टी पर अब उनका कोई नियंत्रण नहीं रहा। अगर यह बयान बिना अनुमति के दिया गया है तो प्रधानमंत्री बहुत कमजोर हो चुके हैं।”

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री अब भी अपनी पार्टी पर नियंत्रण रखते हैं तो उन्हें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से कहकर निशिकांत दुबे को कारण बताओ नोटिस दिलवाना चाहिए। खेड़ा ने यह भी याद दिलाया कि यह कोई पहली बार नहीं है जब न्यायपालिका पर इस तरह की टिप्पणी की गई हो। इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी न्यायपालिका को लेकर टिप्पणी की थी।

निशिकांत दुबे का विवादित बयान

सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली और वक्फ कानून की सुनवाई को लेकर निशिकांत दुबे ने कहा था, “अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाने लगे तो संसद को बंद कर देना चाहिए।” इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। दुबे के इस बयान को लोकतंत्र के स्तंभों में टकराव पैदा करने वाला कहा जा रहा है।

बीजेपी ने साधा पल्ला

भाजपा ने तुरंत इस बयान से किनारा कर लिया। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, “निशिकांत दुबे और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा के बयान उनके व्यक्तिगत विचार हैं। भारतीय जनता पार्टी का इस बयान से कोई लेना–देना नहीं है। पार्टी इन बयानों को पूरी तरह खारिज करती है और ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलते समय सावधानी बरतने की सलाह देती है।”

विपक्ष का आरोप: न्यायपालिका पर हमले सुनियोजित?

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का कहना है कि यह कोई एकल घटना नहीं है बल्कि एक सुनियोजित रणनीति के तहत न्यायपालिका की साख को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। विपक्ष का दावा है कि सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता में दखल देना चाहती है।

निशिकांत दुबे के बयान ने न केवल राजनीतिक हलचल पैदा की है बल्कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – के बीच संतुलन को लेकर भी एक बार फिर बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस प्रकरण को किस तरह से संभालती है और विपक्ष इसे आगामी चुनावों में कैसे मुद्दा बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *