‘संभावित कृषि आतंकवाद हथियार’ के लिए दो चीनी नागरिकों को हिरासत में लिया गया

0
कृषि-आतंकवाद (Agro Terrorism) क्या है?

कृषि-आतंकवाद (Agro Terrorism) क्या है?

अमेरिका में दो चीनी नागरिकों को फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम नामक अत्यंत खतरनाक कृषि रोगजनक की अवैध तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने इस कवक को ‘संभावित कृषि-आतंकवाद हथियार’ करार दिया है, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। अधिकारियों का मानना है कि इस जैविक एजेंट का उपयोग कृषि पर व्यवस्थित हमले के लिए किया जा सकता है, जिससे न केवल फसलों की पैदावार नष्ट होती है, बल्कि व्यापक आर्थिक अस्थिरता और खाद्य आपूर्ति संकट भी उत्पन्न हो सकता है।

कृषि-आतंकवाद (Agroterrorism) क्या है?

कृषि-आतंकवाद में जैविक रोगजनकों, कीटों या विषाक्त पदार्थों का जानबूझकर उपयोग करके किसी देश की कृषि पर हमला किया जाता है। इसका उद्देश्य खाद्यान्न की कमी, आर्थिक व्यवधान, खाद्य असुरक्षा और सार्वजनिक दहशत पैदा करना है। कृषि-आतंकवाद में किसी देश की कृषि पर हमला करने के लिए पौधों के रोगाणुओं, कीटों या विषाक्त पदार्थों जैसे जैविक कारकों का जानबूझकर उपयोग करना शामिल है।

  • उद्देश्य: कृषि-आतंकवाद का लक्ष्य खाद्यान्न की कमी, आर्थिक व्यवधान, खाद्य असुरक्षा, सार्वजानिक दहशत पैदा करना है।
  • प्रकार: एस्कोमाइसीट फंगस
  • रोग: फ्यूजेरियम हेड ब्लाइट (FHB) का कारण बनता है।
  • प्रभावित फसलें: गेहूं,जौ, मक्का,जई, चावल इत्यादि ।
  • विशेषताएँ: फसलों या पशुओं पर जैविक हमले कई सप्ताह तक पता नहीं चल पाते तथा अपराधियों तक पहुंचना भी कठिन होता है।
  • सैन्य या वित्तीय प्रणालियों के विपरीत, खेत, खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र और आपूर्ति श्रृंखलाएं कम संरक्षित है और व्यापक रूप से फैली हुई है।
  • प्रभाव: कृषि-आतंकवाद से न केवल कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे खाद्य कीमतें बढ़ सकती है, आर्थिक अस्थिरता आ सकती है और लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम क्या है?

फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम एक खतरनाक कवक है जो गेहूं, जौ, मक्का और चावल जैसी फसलों में फ्यूजेरियम हेड ब्लाइट (FHB) नामक बीमारी का कारण बनता है। यह बीमारी फसलों की पैदावार को 30-70% तक कम कर सकती है और अनाज को विषाक्त बना सकती है, जिससे मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

  • फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम एक विषैला कवक है, जो फ्यूजेरियम हेड ब्लास्ट नामक बीमारी पैदा करता है। ये विशेष रूप से खाद्य फसलों को नष्ट कर देता है।
  • यह गर्म, आर्द्र परिस्थितियों में पनपता है और बीजाणुओं के माध्यम से फैलकर पुरे खेत को दूषित कर देता है।
  • यह कवक वोमिटोक्सिन (डीऑसीनिवेलनॉल) उत्पन्न करता है, जो अनाज को मनुष्यों और पशुओं के लिए हानिकारक होता है।
  • इससे संक्रमित खेतों में अनाज की पैदावार 30-70 % तक कम हो जाती है।

अमेरिका में गिरफ्तारी का मामला

एफबीआई के अनुसार, 34 वर्षीय चीनी शोधकर्ता जुनयॉन्ग लियू ने जुलाई 2024 में अपनी प्रेमिका युनकिंग जियान से मिलने के लिए अमेरिका यात्रा के दौरान फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम कवक लाया। जियान मिशिगन विश्वविद्यालय में शोधकर्ता हैं और उन्हें चीनी सरकार से फंडिंग मिली थी। जांच में यह सामने आया कि जियान के गैजेट्स में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति उनकी वफादारी के सबूत मिले।

समाधान एवं रोकथाम:

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, कोई भी ऐसी समर्पित संधि या संगठन नहीं है जो पूरी तरह से कृषि आंतकवाद को नियंत्रित करता हो।
  • कृषि-आंतकवाद से निपटने के लिए, मजबूत जैव सुरक्षा उपाय, निगरानी प्रणाली और जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।
  • इसका समाधान जैव सुरक्षा,खाद्य सुरक्षा और आतंकवाद-निरोध पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय ढांचे,सम्मेलनों और एजेंसियों के संयोजन के माध्यम भी से किया जाता है।

भारतीय एवं वैश्विक उदाहरण:

  • गेहूं ब्लास्ट कवक (2016): मैग्नापोर्थे ओराइजे पैथोटाइप ट्रिटिकम से बांग्लादेश में प्रकोप के बाद पश्चिम बंगाल के दो जिलों में इसका पता चला।
  • यूके फुट एंड माउथ डिजीज (2001): संदिग्ध जैविक हमला; 8 बिलियन पाउंड का नुकसान।
  • राइस ब्लास्ट फंगस (एशिया): संभावित फसल हथियार
  • मवेशियों में एंथ्रेक्स (शीत युद्ध): सोवियत जैव युद्ध परीक्षण के समय पर 30 टन से अधिक पुकिनिया ट्रिटिसिना का भंडार जमा था परमाणु बम का विकल्प चुनने से पहले जापानी चावल की फसलों को नष्ट करने की भी योजना थी।

कृषि-आतंकवाद  पर वैश्विक सम्मेलन :

  • जैविक हथियार सम्मेलन (1972): जैविक और विषैले हथियार के विकास, उत्पादन और भंडारण पर प्रतिबंध लगाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प (UNSCR) 1540: यह अधिदेश देता है कि सभी राष्ट्र गैर-राज्यीय तत्वों को सामूहिक विनाश के हथियार (जैविक हथियारों सहित) तक पहुंच को रोकता है।
  • इंटरपोल कार्यक्रम: इंटरपोल एवं वैश्विक आतंकवाद निरोधी मंच कृषि-आतंकवादी कृत्यों, विशेष रूप से जैव-आंतकवाद से संबंधित कृत्यों की जांच एवं रोकथाम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का समर्थन करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय पौध संरक्षण सम्मेलन (IPPC): ये खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अंतर्गत आता है, तथा इसका उद्देश्य सीमाओं के पार पौधों के कीटों के प्रवेश और प्रसार को रोकना है।

भारत के लिए खतरा

भारत की कृषि व्यवस्था भी कृषि-आतंकवाद के लिए संवेदनशील है, क्योंकि देश की जीडीपी का 17% और जनसंख्या का 55% कृषि पर निर्भर है। ऐसे में भारत को भी जैविक सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 17 % तथा जनसंख्या का 55% कृषि पर निर्भर है, कृषि-आतंकवाद के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है। कृषि-आतंकवाद उन देशों या समूहों के लिए एक शक्तिशाली हथियार बन जाता है जो किसी प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र को अस्थिर  करना चाहते है।

फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम कवक की तस्करी का मामला कृषि-आतंकवाद के खतरे को उजागर करता है। यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैविक सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *