Navratri 9th Day: नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। ये मां दुर्गा का नौवां रूप है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। वैदिक पांचांग के अनुसार, 5 अप्रैल की रात 7 बजकर 25 मिनट से नवमी तिथि आरंभ हो गई है, इसका समापन 6 अप्रैल की रात 07 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में 6 अप्रैल 2025 को रामनवमी मनाई जाएगी। आप इस तिथि पर कन्या पूजन के साथ-साथ अपने व्रत का पारण भी कर सकते हैं। नवमी तिथि पर मां दुर्गा के नौवें और अंतिम स्परूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है।
माता सिद्धिदात्री का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सुशोभित होता है। उनके चार हाथ होते हैं, जिसमें एक हाथ में शंख, दूसरे हाथ में चक्र, तीसरे हाथ में गदा और चौथे हाथ में कमल का फूल होता है। मां का वाहन सिंह है और वे कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों, भौतिक सुख-संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए उपदेश देती हैं।
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब असुरों के अत्याचार से देवता परेशान हो गए, तब उन्होंने भगवान शिव और विष्णु से मदद मांगी। देवताओं के तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा गया। भगवान शंकर ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया था। सिद्धिदात्री देवी की कृपा से शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, भोग, मंत्र और शुभ रंग।
माता सिद्धिदात्री का प्रिय रंग
नवरात्रि की नवमी तिथि को बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ होता है।
मां सिद्धिदात्री का भोग
मां सिद्धिदात्री को तिल और मेवे से बने व्यंजनों का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा व समस्त देवी देवताओं का ध्यान करें। मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाकर मां की भक्ति भाव से पूजा करें। इसके बाद मां को पूरी, खीर, चने, हलुआ, नारियल का भोग लगाएं। उसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराएं।
मां सिद्धिदात्री मंत्र जाप
पूजा मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
मां सिद्धिदात्री स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां सिद्धिदात्री ध्यान
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता। तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।