Navratri 2025: भारत के अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाई जाती है नवरात्रि?
Navratri 2025: नवरात्रि भारत का सबसे लोकप्रिय और भव्य पर्व है। यह त्योहार वर्ष में चार बार आता है, लेकिन शारदीय नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर) और चैत्र नवरात्रि (मार्च–अप्रैल) सबसे प्रमुख माने जाते हैं। नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है और विजयादशमी के दिन रावण दहन या दुर्गा विसर्जन के साथ पर्व का समापन होता है।
भारत की विविध संस्कृति इस त्योहार में साफ झलकती है। हर राज्य में नवरात्रि का स्वरूप अलग है, परंतु इसकी आत्मा एक ही है—देवी शक्ति की आराधना और अच्छाई की जीत। तो आइए जानते है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाई जाती है नवरात्रि?
अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाई जाती है नवरात्रि?
1. गुजरात
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परंपरा – यहाँ नवरात्रि का नाम लेते ही गरबा और डांडिया रास याद आते हैं। लोग रंग-बिरंगे परिधान पहनकर रातभर नृत्य करते हैं।
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महत्व – गरबा का घेरा माँ अम्बा की शक्ति का प्रतीक है। यहाँ नवरात्रि सिर्फ पूजा ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक है।
2. महाराष्ट्र
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परंपरा – महिलाएँ “घटस्थापना” करती हैं। उपवास और देवी दुर्गा की पूजा पूरे घर में होती है।
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महत्व – महाराष्ट्र में नवरात्रि को शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दशहरा के दिन सोने के पत्ते (आँवला के पत्ते) एक-दूसरे को देकर शुभकामनाएँ दी जाती हैं।
3. पश्चिम बंगाल
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परंपरा – दुर्गा पूजा यहाँ की आत्मा है। विशाल पंडाल, देवी की प्रतिमाएँ और सिंदूर खेला परंपरा खास है।
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महत्व – माँ दुर्गा को असुर महिषासुर पर विजय पाने वाली शक्ति के रूप में पूजा जाता है। यह बंगाली समाज की धार्मिक पहचान है।
4. उत्तर प्रदेश
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परंपरा – रामलीला मंचन, उपवास, कन्या पूजन और देवी मंदिरों में भीड़।
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महत्व – नवरात्रि यहाँ भगवान राम के जीवन से भी जुड़ा है। विजयादशमी को रावण दहन अच्छाई की जीत का संदेश देता है।
5. बिहार
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परंपरा – दुर्गा पूजा और रामलीला दोनों का विशेष महत्व। पटना, गया और भागलपुर में विशाल पंडाल सजते हैं।
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महत्व – धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक मेलजोल का पर्व।
6. मध्य प्रदेश
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परंपरा – गरबा, डांडिया और उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की विशेष पूजा।
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महत्व – यहाँ देवी को शैव परंपरा से जोड़कर देखा जाता है। शक्ति और शिव का मिलन नवरात्रि का मूल भाव है।
7. राजस्थान
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परंपरा – जयपुर और उदयपुर में गरबा-डांडिया, मंदिरों में घटस्थापना।
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महत्व – शक्ति उपासना के साथ शौर्य और वीरता की परंपरा भी जुड़ी है। कई राजपूत घराने नवरात्रि पर शस्त्र पूजन करते हैं।
8. दिल्ली
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परंपरा – विशाल दुर्गा पंडाल, रामलीला और कन्या पूजन।
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महत्व – यहाँ नवरात्रि धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव का भी रूप ले लेता है।
9. हरियाणा और पंजाब
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परंपरा – माता के जगराते, भजन संध्याएँ और कन्या पूजन।
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महत्व – नवरात्रि को यहाँ परिवार और समाज में धार्मिक एकजुटता का प्रतीक माना जाता है।
10. हिमाचल प्रदेश
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परंपरा – कांगड़ा देवी और चामुंडा देवी मंदिर में विशाल मेले लगते हैं।
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महत्व – यहाँ नवरात्रि “शक्ति पीठों” से जुड़ा है। देवी की शक्ति को लोकजीवन की रक्षा करने वाली माना जाता है।
11. जम्मू-कश्मीर
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परंपरा – माता वैष्णो देवी मंदिर में भारी श्रद्धालु जुटते हैं।
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महत्व – नवरात्रि यहाँ माता वैष्णो देवी की आराधना का सबसे बड़ा पर्व है।
12. ओडिशा
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परंपरा – दुर्गा पूजा, खासकर कटक में चाँदी और सोने के पंडाल।
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महत्व – माँ दुर्गा की पूजा यहाँ शक्ति और संपन्नता दोनों का प्रतीक है।
13. असम और पूर्वोत्तर राज्य
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परंपरा – दुर्गा पूजा बंगाली शैली में, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य प्रतिमाएँ।
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महत्व – नवरात्रि यहाँ धार्मिक-सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
14. तमिलनाडु
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परंपरा – “गोलू” यानी गुड़ियों की सजावट। महिलाएँ घर-घर जाकर गीत गाती हैं।
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महत्व – इसे ज्ञान और संस्कृति की आराधना माना जाता है।
15. कर्नाटक
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परंपरा – मैसूर दशहरा विश्व प्रसिद्ध। विजयादशमी पर राजा की शोभायात्रा होती है।
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महत्व – मैसूर दशहरा शक्ति की आराधना और राज्य की शौर्य परंपरा का प्रतीक है।
16. केरल
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परंपरा – विद्यारंभम, जिसमें बच्चों को अक्षर लिखना सिखाया जाता है।
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महत्व – ज्ञान और शिक्षा की देवी सरस्वती की पूजा।
17. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना
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परंपरा – बथुकम्मा उत्सव, जिसमें महिलाएँ फूलों की सजावट कर माँ गौरी की पूजा करती हैं।
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महत्व – यहाँ नवरात्रि स्त्रियों की सामाजिक और धार्मिक शक्ति का प्रतीक है।
नवरात्रि हर राज्य में होती है, लेकिन कुछ जगह यह लोक-उत्सव (जैसे गुजरात का गरबा, बंगाल की दुर्गा पूजा, कर्नाटक का मैसूर दशहरा) बन गई है, तो कुछ जगह सिर्फ धार्मिक/पारिवारिक स्तर पर मनाई जाती है।
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कुछ राज्यों में नवरात्रि केवल व्यक्तिगत पूजा, व्रत और कन्या पूजन तक सीमित रहती है, वहाँ कोई बड़ी लोक-परंपरा या सामूहिक आयोजन नहीं होता।
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उदाहरण के लिए गोवा, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी नवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन ये या तो बंगाल/असम/गुजरात जैसी परंपरा को फॉलो करते हैं या फिर सीमित स्तर पर घरों में पूजा होती है।
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दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों (केरल को छोड़कर) जैसे लक्षद्वीप या ईसाई-बहुल राज्यों में नवरात्रि का उतना सांस्कृतिक प्रभाव नहीं है जितना हिंदू-बहुल क्षेत्रों में है।
भारत की विविधता नवरात्रि में सबसे खूबसूरत रूप से सामने आती है। कहीं गरबा है, कहीं रामलीला, कहीं दुर्गा पूजा तो कहीं विद्यारंभम। परंतु संदेश एक ही है—देवी शक्ति की उपासना, समाज में एकता और बुराई पर अच्छाई की विजय।
