इस उपलब्धि के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस क्यों मनाया जाता है?
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चंद्रयान-3 का ऐतिहासिक लैंडिंग
23 अगस्त 2023 को ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडर “विक्रम” और रोवर “प्रज्ञान” को उतराया। इस मिशन ने भारत को चांद पर उतरने वाला चौथा देश बनाया और सबसे पहले ऐसा मिशन हुआ जिसने दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग की। -
भारत की अंतरिक्ष यात्रा का उत्सव
यह दिन भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत, भारत के अंतरिक्ष में निरंतर प्रयास, ISRO की तकनीकी प्रगति और अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की बढ़ती भूमिका का उत्सव है। -
युवा पीढ़ी को प्रेरित करना
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का एक बड़ा उद्देश्य है युवा वर्ग—खासकर छात्रों—में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के प्रति प्रेरणा और जिज्ञासा जगाना। कई स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम, कार्यशालाएं, व्याख्यान और NCERT द्वारा तैयार किए गए शैक्षणिक मॉड्यूल आयोजित किए जाते हैं।
2025 की थीम: “Aryabhatta to Gaganyaan: Ancient Wisdom to Infinite Possibilities”
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भीष्म कड़ी: अतीत से भविष्य तक
इस वर्ष की केंद्रीय थीम—“Aryabhatta to Gaganyaan: Ancient Wisdom to Infinite Possibilities”—भारतीय खगोलशास्त्र की प्राचीन विरासत (आर्यभट्ट की उपलब्धियाँ) को भारत की भविष्य की महत्वाकांक्षाओं (मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान—गगनयान) से जोड़ती है। -
थीम का गहरा उद्देश्य
यह विषय विज्ञान को केवल करियर के रूप में नहीं, बल्कि एक ‘कॉलिंग’—एक पुकार, एक संस्कृति के रूप में देखने की प्रेरणा देता है। साथ ही यह परम्परा और आधुनिकता का संगम दिखाता है—कैसे भारतीय विद्वान, अतीत और वर्तमान दोनों, ब्रह्मांड की खोज में योगदान देते रहे हैं।
2025 की कार्यक्रम-सारिणी और मुख्य आकर्षण
1. मुख्य समारोह और आयोजन
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प्रधान कार्यक्रम न्यूरो प्लैनेटेरियम और प्रधानमंत्री संग्रहालय परिसर (Bharat Mandapam), नई दिल्ली में आयोजित। यह कार्यक्रम ISRO की वेबसाइट और YouTube चैनल पर लाइव स्ट्रीम किया गया।
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स्थापना: आर्यभट्ट गैलरी, जहाँ प्राचीन खगोलशास्त्र और आधुनिक अंतरिक्ष विज्ञान की कहानी डिजिटल इंस्टॉलेशनों, वर्चुअल मिशन, इंटरैक्टिव मॉडल और अन्य आकर्षक तत्वों के माध्यम से दर्शाई गई है।
2. विशेष अतिथि और प्रेरक शख्सियतें
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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से डॉक किया—उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
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अन्य उपस्थित: भारत की सबसे युवा ‘एनालॉग’ अंतरिक्ष यात्री जह्नवी डांगेती, खगोल वैज्ञानिक डॉ. प्रिया हसन आदि।
3. शैक्षिक और युवाओं के लिए प्रेरणादायक कार्यक्रम
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स्कूलों में गतिविधियाँ: लखनऊ और अन्य स्थानों पर NCERT के नए मॉड्यूल “India – A Rising Space Power” का विमोचन, छात्र-कार्यशालाएं, व्याख्यान और प्रदर्शनियाँ।
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भोज विश्वविद्यालय (BHU) में ISRO-सहयोग: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रेरणा कार्यक्रम, जिसमें क्विज, प्रेरक प्रस्तुतियाँ और ISRO अधिकारियों की भागीदारी रही।
4. भविष्य की योजनाएँ औरं नई पहलें
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भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station – BAS) का मॉडल जारी किया गया, जो भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा—प्रथम मॉड्यूल 2028 में प्रक्षेपण, पूर्ण स्टेशन 2035 तक विकसित होने की योजना के साथ।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस भारत के लिए सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि गौरव, प्रेरणा और भविष्य के सपनों से जुड़ा हुआ पर्व है। यह दिन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में अतीत से लेकर भविष्य तक की यात्रा का प्रतीक है—आर्यभट्ट के आकाश-नियंन्त्रण गणना से लेकर गगनयान तक के लक्ष्यों तक।
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इतिहास और प्रेरणा: चंद्रयान-3 की सफलता ने यह सुनिश्चित किया कि भारत न केवल महान वैज्ञानिक उपलब्धियाँ प्राप्त कर रहा है, बल्कि वह एक स्वाभिमानी आकाशीय राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।
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शिक्षा और भविष्य की पीढ़ियाँ: यह दिवस छात्रों और युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रोमांच, जिज्ञासा और करियर बनाने की प्रेरणा जगाता है।
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प्रौद्योगिकी और नवाचार: ISRO की अगली बड़ी योजनाएं—मानवयुक्त मिशन (गगनयान) और भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)—दिखाती हैं कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में न सिर्फ आगे देख रहा है, बल्कि कदम भी उठा रहा है।
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संस्कृति और विज्ञान का समागम: इस दिन की थीम स्पष्ट रूप से परंपरा और आधुनिकता को जोड़ती है—यह दर्शाती है कि विज्ञान हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है और आगे भी रहेगा।