लोथल में बनेगा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर – भारत की समुद्री ताकत का भव्य प्रदर्शन

भारत की समुद्री शक्ति को मिलेगा नया रूप!
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर
भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex – NMHC) की स्थापना को मंजूरी दी है। यह परियोजना भारत के समुद्री इतिहास को विश्व पटल पर उजागर करने के उद्देश्य से तैयार की जा रही है।
क्या है राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC)?
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) भारत की प्राचीन से आधुनिक समुद्री यात्रा और जलमार्गों की कहानी को चित्रित करेगा। यह परिसर गुजरात के लोथल में लगभग 400 एकड़ भूमि पर विकसित किया जा रहा है। इसे सागरमाला परियोजना के अंतर्गत केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा, गुजरात सरकार के सहयोग से तैयार किया जा रहा है।
इसका उद्देश्य केवल एक संग्रहालय नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल, शैक्षणिक केंद्र, और समुद्री अनुसंधान केंद्र के रूप में विकसित करना है।
लोथल का ऐतिहासिक महत्व:
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लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का एकमात्र ज्ञात बंदरगाह शहर था, जो लगभग 2200 ईसा पूर्व में स्थापित हुआ था।
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यह भावनगर जिले में स्थित है और इसका अर्थ है – ‘मृतकों का टीला’।
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इसकी खोज 1952 में प्रसिद्ध पुरातत्वविद् एस.आर. राव द्वारा की गई थी।
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यहाँ से सोने के दाने, सीप, तांबे की चूड़ियाँ, नाव के आकार की मुहरें, और विदेशी व्यापार से जुड़ी वस्तुएं मिली हैं।
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लोथल, सिंधु घाटी की उन्नत इंजीनियरिंग, जल प्रबंधन, और बंदरगाह प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है।
परियोजना के उद्देश्य:
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भारत की 4500 साल पुरानी समुद्री विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करना।
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दुनिया का सबसे ऊँचा लाइटहाउस म्यूज़ियम बनाना।
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जनता में समुद्री गतिविधियों में रुचि बढ़ाना।
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पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करना।
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शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
समुद्री नवाचार और विरासत:
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लोथल दुनिया के सबसे पुराने डॉकयार्ड में से एक का घर है।
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यह साबरमती नदी के प्राचीन जलमार्ग से जुड़ा हुआ था।
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हड़प्पा युग की व्यापार और जल प्रबंधन प्रणाली को उजागर करता है।
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यह भारत को एक प्रमुख वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में प्रस्तुत करने में मदद करेगा।
विकास एवं वित्तपोषण:
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परियोजना का विकास बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के तहत किया जा रहा है।
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वित्तपोषण की जिम्मेदारी लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय (DGLL) की है।
यूनेस्को मान्यता:
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अप्रैल 2014 में, लोथल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामांकित किया गया।
अन्य प्रमुख अवशेष (लोथल में प्राप्त):
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अन्न पीसने की चक्की, नाव के आकार की मुहरें, धान (चावल) के दाने।
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दिशा मापक यंत्र, पिसाई का टुकड़ा, हाथी दांत, फारसी और मेसोपोटामिया की मुहरें।
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तांबे की बनी जानवरों की आकृतियाँ – पक्षी, बैल, खरगोश और कुत्ता।
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तीन युग्मित समाधियाँ और स्त्री-पुरुष शवाधान के प्रमाण।
गुजरात में अन्य प्रमुख हड़प्पा स्थल:
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धोलावीरा
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सुरकोटदा
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) भारत की प्राचीन समुद्री गरिमा का प्रतीक है, जो न केवल देश की ऐतिहासिक उपलब्धियों को सहेजेगा, बल्कि भावी पीढ़ियों को प्रेरणा भी देगा। यह परियोजना भारत को वैश्विक समुद्री मानचित्र पर गौरवपूर्ण स्थान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।