नागचंद्रेश्वर मंदिर: उज्जैन नगरी अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर ऐसा अनूठा मंदिर है जो पूरे साल में केवल एक दिन – नागपंचमी के अवसर पर ही खुलता है। इस विशेष दिन लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में नाग देवता और भगवान शिव के दर्शन करने के लिए उमड़ते हैं। इस मंदिर का इतिहास, मान्यता और पूजा-पद्धति बेहद रोचक है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर का इतिहास
नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर पार्थिव शिवलिंग और नाग प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थापित प्रतिमा में भगवान शिव शेषनाग के फन के नीचे विराजमान हैं।
ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर गुप्तकालीन स्थापत्य कला का उदाहरण है। मंदिर की दीवारों पर सांपों और नाग देवताओं की नक्काशी दिखाई देती है। मंदिर को महाकालेश्वर मंदिर परिसर का अभिन्न हिस्सा माना जाता है और इसे विशेष रूप से रहस्यमयी और चमत्कारी स्थान माना जाता है।
पौराणिक कथा
नागचंद्रेश्वर मंदिर को लेकर एक प्रचलित पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि नागराज वासुकी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वे उज्जैन में उनके साथ सदा विराजमान रहेंगे और केवल नागपंचमी के दिन ही भक्तों को दर्शन देंगे।
कहते हैं कि इस दिन नाग देवता स्वयं यहां प्रकट होते हैं और भगवान शिव के साथ पूजा ग्रहण करते हैं। इसी कारण से यह मंदिर पूरे वर्ष बंद रहता है और केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता है।
नागपंचमी और मंदिर का महत्व
नागपंचमी का पर्व भगवान शिव और नाग देवता दोनों के पूजन का दिन है। शास्त्रों में उल्लेख है कि नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष, सर्प भय, और जीवन की अनेक बाधाएं दूर हो जाती हैं। उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर इस दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यहां भगवान शिव स्वयं नागराज के साथ विराजमान माने जाते हैं।
त्रिकाल पूजा की परंपरा
नागपंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में विशेष त्रिकाल पूजा की जाती है:
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प्रातःकालीन पूजा: सुबह मंदिर खुलने के साथ ही पहला अभिषेक और नाग-पंचमी विशेष मंत्रों के साथ पूजा होती है।
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मध्याह्न पूजा: दोपहर में नाग देवता और भगवान शिव का दुग्ध-अभिषेक एवं बिल्वपत्र अर्पण किया जाता है।
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रात्रिकालीन पूजा: रात को विशेष आरती और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा संपन्न होती है, जिसके बाद भक्तों को नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इन तीनों पूजाओं में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
साल में सिर्फ 24 घंटे खुलने का कारण
इस मंदिर के 24 घंटे के लिए खुलने के पीछे मान्यता है कि नाग देवता केवल इस दिन प्रकट होते हैं। बाकी समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं क्योंकि यह स्थान दिव्य ऊर्जा से युक्त माना जाता है और कहा जाता है कि नाग देवता यहां तपस्या में लीन रहते हैं।
मान्यता और लाभ
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नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
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परिवार में शांति और सुख-समृद्धि आती है।
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संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।
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विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि भक्ति और आस्था का प्रतीक है। नागपंचमी के दिन इस मंदिर के कपाट खुलने पर लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। त्रिकाल पूजा, पौराणिक मान्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह मंदिर संपूर्ण भारत में अद्वितीय है।