MJO की भूमिका: समय से पहले मानसून की शुरुआत का वैज्ञानिक कारण

MJO यानी मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन ने इस बार मौसम का पैटर्न बदल दिया!

MJO यानी मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन ने इस बार मौसम का पैटर्न बदल दिया!

मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) बना समय से पहले मानसून की वजह!

इस वर्ष केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून की समय से पहले दस्तक ने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। इसके पीछे जो अहम कारण सामने आया है, वह है मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) — एक वैश्विक समुद्री-वायुमंडलीय प्रणाली जो वर्षा और चक्रवातों की गतिविधियों को नियंत्रित करती है। आइए जानते हैं कि MJO क्या है और कैसे यह भारतीय मानसून को प्रभावित करता है।

इस वर्ष केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून की समय से पहले शुरुआत ने मौसम वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है।

मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) क्या है ?

मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो विश्व भर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है। यह साप्ताहिक से लेकर मासिक समय-सीमा पर उष्णकटिबंधीय मौसम में बड़े उतार-चढ़ाव लाती है। एमजेओ को बदलो, हवा और दबाव की गड़बड़ी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है,जो 4-8 मीटर प्रति सेकंड की गति से पूर्व की ओर बढ़ रहा है, एमजेओ औसतन 30-60 दिनों में विश्व भर में घूमता है। कभी-कभी, इसमें 90 दिन भी लग सकते है। यह हवाओं, बादलों और दबाव का एक गतिशील तंत्र है जो भूमध्यरेखा के पास वर्षा का कारण बनता है। यह एक पारगमन घटना है और भारतीय और प्रशांत महासागरों में सबसे प्रमुख है।

इसके दो चरण होते है:

  1. सक्रिय चरण (बढ़ी हुई वर्षा): इस अवस्था में हवा वायुमंडल के शीर्ष पर विचरण करती है। जिससे वायुमंडल में बढ़ती हुई वायु गति संघनन को बढ़ाती है और इस प्रकार वर्षा होती है।
  2. दबा हुई वर्षा का चरण: इस चरण में हवाएं वायुमंडल के शीर्ष पर एकत्रित होकर नीचे की ओर आती है फिर सतह पर फैल जाती है। जैसे-जैसे हवा ऊंचाई ने नीचे आती है, उसका तापमान बढ़ता है और आर्द्रता घटती है। इससे वर्षा में कमी आती है।

भौगोलिक प्रभाव:

प्रारंभिक मानसून में MJO की भूमिका (2025):

परिणाम: केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून की समय से पहले शुरुआत हुई।

एमजेओ एक गतिशील प्रणाली है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बारिश के पैटर्न को प्रभावित करती है, भारतीय मानसून को प्रभावित करती है, जिससे बारिश अधिक या कम हो सकती है तथा जलवायु परिवर्तन और मौसम की भविष्यवाणी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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