क्या मोबाइल की रेडिएशन से हो सकता है ब्रेन ट्यूमर? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

0
क्या मोबाइल की रेडिएशन से हो सकता है ब्रेन ट्यूमर? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

क्या मोबाइल की रेडिएशन से हो सकता है ब्रेन ट्यूमर? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

नई दिल्ली : आज के डिजिटल युग में मोबाइल और लैपटॉप हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। बच्चे हों या युवा, घंटों तक स्क्रीन से चिपके रहना अब सामान्य हो गया है। इसी के साथ एक बड़ा सवाल भी उठता है—क्या मोबाइल की रेडिएशन और गर्मी ब्रेन ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारी का कारण बन सकती है?

रिसर्च क्या कहती है?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और अन्य वैश्विक मेडिकल रिसर्च संस्थाएं इस विषय पर लंबे समय से अध्ययन कर रही हैं। अब तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है जो यह साबित कर सके कि मोबाइल की रेडिएशन से सीधे ब्रेन ट्यूमर हो सकता है।

पुणे के डीपीयू सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जन डॉ. सारंग गोटेचा बताते हैं कि मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिवाइस नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन छोड़ते हैं। ये रेडिएशन डीएनए को नुकसान नहीं पहुंचाते, इसलिए सीधे ट्यूमर की वजह नहीं बनते।

फिर क्या नुकसान हो सकता है?

हालांकि, मोबाइल का लंबे समय तक इस्तेमाल ब्रेन की सेहत पर अप्रत्यक्ष रूप से असर डाल सकता है:

  • सिरदर्द

  • अनिद्रा (नींद न आना)

  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

  • आंखों में जलन

ये लक्षण भले ही ब्रेन ट्यूमर के नहीं हों, लेकिन लंबे समय में मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या करें बचाव के लिए?

डॉक्टर्स और न्यूरोलॉजिस्ट्स की सलाह:

  • मोबाइल पर बात करते समय स्पीकर मोड या ईयरफोन का इस्तेमाल करें।

  • हर 20 मिनट बाद आंखों और दिमाग को आराम दें।

  • बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें।

  • सोने से पहले मोबाइल से दूरी बनाएं।

मोबाइल फोन के रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर होने के ठोस सबूत नहीं हैं, लेकिन लंबे समय तक और गलत तरीके से इस्तेमाल करना मस्तिष्क को अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए सावधानी और जागरूकता ही सबसे अच्छा बचाव है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *