मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दर्शन के साथ घूमें ये खास जगहें

श्रीशैलम (Srisailam) न सिर्फ भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक का पवित्र स्थल है, बल्कि यह क्षेत्र पौराणिकता, प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीवन का अनोखा मेल भी प्रस्तुत करता है। अगर आप आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर स्थित पवित्र मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि एक संपूर्ण आध्यात्मिक और प्राकृतिक अनुभव बन सकता है। यदि आप मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो इन महत्वपूर्ण और खूबसूरत जगहों को अपनी यात्रा में जरूर शामिल करें:
1. श्री भ्रमराम्बा देवी मंदिर
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर में ही स्थित यह मंदिर माता पार्वती के भ्रमराम्बा स्वरूप को समर्पित है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक माने जाने वाला अत्यंत शक्तिशाली स्थल है। मान्यता है कि यहां देवी सती का गर्दन भाग गिरा था। श्रद्धालु यहां शिव-शक्ति दोनों के संयुक्त दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
-
दूरी: मंदिर परिसर में ही स्थित
-
महत्व: यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता सती का कंठ गिरा था।
-
विशेषता: यह शक्तिपीठ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के साथ एकमात्र ऐसा स्थल है जहां शिव और शक्ति दोनों का संयुक्त रूप में पूजन होता है।
-
मान्यता: देवी को मधुमक्खियों के झुंड (भ्रमर) के रूप में देखा गया था, इसलिए इन्हें ‘भ्रमराम्बा’ कहा गया।
2. पातालगंगा (रोपवे सहित) (Patalganga)
यह कृष्णा नदी का एक पवित्र स्थान है, जो घाटियों और पहाड़ियों के बीच से होकर बहती है। यहां बने घाट पर श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाते हैं, जिससे त्वचा रोगों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। आप रोपवे की रोमांचक सवारी से नदी और पहाड़ी जंगलों के अद्भुत दृश्य देख सकते हैं – यह अनुभव श्रद्धा के साथ रोमांच भी जोड़ता है।
-
दूरी: 1.5 किमी, रोपवे या पैदल रास्ता
-
स्थान: कृष्णा नदी के तट पर, पहाड़ी घाटी में स्थित
-
विशेषता: यहां की डुबकी को पापों से मुक्ति दिलाने वाली माना गया है।
-
रोमांच: एक आधुनिक रोपवे सिस्टम के ज़रिये आप पहाड़ी से सीधे नदी तक जा सकते हैं — एक सुंदर और रोमांचक अनुभव।
3. श्रीशैलम बांध (Srisailam Dam)
कृष्णा नदी पर बना यह विशाल और भव्य बांध, श्रीशैलम क्षेत्र का एक प्रमुख आकर्षण है। यहां से नदी, घाटियों और पहाड़ों का लुभावना नज़ारा देखने को मिलता है, विशेषकर मानसून और सावन के मौसम में।
-
दूरी: मंदिर से 14 किमी
-
नदी: कृष्णा नदी
-
विशेषता: यह एशिया के सबसे ऊंचे बांधों में से एक है, जिसकी ऊंचाई 145 मीटर है।
-
क्या देखें: मानसून के समय यहां जलराशि की गूंज और आसपास के जंगलों का नज़ारा अत्यंत आकर्षक होता है।
4. नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (NSTR)
अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो यहां का भ्रमण जरूर करें। भारत के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में शामिल यह अभयारण्य 3,568 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां आपको बाघ, तेंदुआ, भालू, हिरण, नीलगाय समेत कई वन्यजीव देखने को मिलेंगे। जंगल सफारी, बोटिंग और ट्रेकिंग जैसे विकल्प इसे और भी रोमांचक बना देते हैं।
-
क्षेत्रफल: लगभग 3,568 वर्ग किमी (भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व)
-
क्या देखें: बाघ, तेंदुआ, भालू, नीलगाय, सांभर, पक्षियों की 250+ प्रजातियां
-
गतिविधियां:
-
जंगल सफारी (Jeep Safari)
-
ईको टूरिज्म कैंपिंग
-
फोटोग्राफी ट्रेल्स
-
-
बेस कैंप: Domalapenta और Mannanur
5. सिखरम (Sikharam Viewpoint)
शिखरम श्रीशैलम क्षेत्र का सबसे ऊंचा बिंदु है। यह शिखरेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, और समुद्र तल से 2830 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शिखरम श्रीशैलम पहाड़ियों में सबसे ऊंची चोटी है। शिखरम से आसपास के नल्लामाला पहाड़ियों और कृष्णा नदी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
-
दूरी: मंदिर से 8 किमी
-
विशेषता: यह श्रीशैलम क्षेत्र का सबसे ऊंचा बिंदु है (ऊंचाई: 2830 फीट)
-
पौराणिक मान्यता: कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां से भक्तों को दर्शन दिए थे।
-
क्या देखें: पूरी श्रीशैल घाटी, घने जंगल, और सूर्योदय-सूर्यास्त के दृश्य
6. हातेश्वरा मंदिर (Hatakeshwaram Temple)
हाटकोटी मंदिर शिमला से करीब 130 किलोमीटर और रोहड़ू से 14 किलोमीटर दूर है। माना जाता है कि हाटेश्वरी मंदिर 9वीं-10वीं शताब्दी बनाया गया था। इससे पहले भी यहां मंदिर के अवशेष मिले थे। हाटकोटी गांव 5 वर्ग किलोमीटर में फैला है. आज भी गांव में कई जगहों पर मंदिर हैं, जिसकी नक्काशी और वास्तुकला 6वीं से 9वी शताब्दी के बीच की है। मंदिर पिरामिडनुमा बना है। इसमें संगमरमर की अमलका और एक सुनहरे रंग का कलश है. असली कलश मंदिर परिसर के इंट्री गेट पर रखा गया है। मंदिर के चारों तरफ लकड़ी और पत्थर की दीवार बनाई गई है।
-
दूरी: मंदिर से लगभग 5 किमी
-
विशेषता: यह भी एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो एकांत और घने वृक्षों के बीच स्थित है।
-
आस्था: कहा जाता है कि इस स्थान पर रुककर ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को तप से प्रसन्न किया था।
यात्रा टिप्स:
-
-
यात्रा के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अनुकूल है (नवंबर से फरवरी)।
-
रोपवे और टाइगर सफारी के टिकट सीमित होते हैं, पहले से बुकिंग कराना बेहतर होगा।
-
श्रद्धालु सावन, महाशिवरात्रि और नवरात्र के समय भारी भीड़ के लिए तैयार रहें।
-